सोमवार, 28 नवंबर 2016

नोट बंदी के विरोध में बंद करवाने पहुँचे विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओ का स्वागत दुकानदारो ने मोदी - मोदी के नारे से किया।

नोटबंदी पर विपक्षी दलो द्वारा बुलाये गए भारत बंद को जनता का समर्थन नहीं मिला।  हलाकि नागरिको का मूड़  कांग्रेस , राजद सहित ममता बनर्जी की पार्टी पहले ही समझ चुके थे जिसकी वजह से इन सियासी दलो ने बंद के स्थान पर रैली निकालने का निर्णय लिया था।  परंतु वाम दल एव जनाधिकार पार्टी (पप्पू यादव )सब कुछ समझते हुए भी राजनीती चमकाने की असफल कोशिश में लगे थे जिसपर उन्हें मुँह की खानी पड़ी है और आम नागरिक नोट बंद के समर्थन में अहले सुबह से ही दुकान खोल बैठे नजर आये। सबसे मज़ा तो तब आया जब बंद करवाने पहुँचे कार्यकर्ताओ का स्वागत मोदी - मोदी के नारे से दुकानदारो ने किया। जी है सीमावर्ती किशनगंज जिले में दुकानदारो ने बंद करवाने पहुचे जनाधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओ के सामने मोदी - मोदी का नारा लगा कर बंद समर्थको को खदेड़ दिया अब इसे कोई देवीय चमत्कार ही समझा जाना चाहिए क्योकि नोट बंदी के सरकारी फैसले के बाद विपक्ष ने सोचा था की मोदी ने उन्हें बैठे बिठाये एक मुद्दा दे दिया है और तमाम विपक्षी दलो ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को घेरने की तमाम कोशिश की लेकिन अचानक ही विपक्ष को उस समय करारा झटका लग गया जब मोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने नोट बंदी का समर्थन कर दिया उसके बाद ममता बनर्जी जो की नोट बंदी के फैसले पर आगबबुला थी उन्होंने भी खुद को भारत बंद से अलग कर लिया। हलाकि संसद में आज भी विपक्षी दलो द्वारा प्रधान मंत्री के अभिभाषण की मांग तमाम विपक्षी दल कर रहे है लेकिन यह कहना अतिसयोक्ति नहीं होगा की अब इनके हंगामे का कोई असर प्रधान मंत्री पर नहीं पड़ने वाला है क्योकि देश का आम नागरिक नोट बंदी के समर्थन में तमाम कठिनाइयों के बाबजुद भी खड़ा है जिसका ज्वलंत उदहारण सोमवार को भारत बंद का असफल होना और प्रधान मंत्री द्वारा एप्स पर पूछे गए सवाल के बाद लाखो की संख्या में समर्थन में वोट देना है। इसलिए अब देश के तमाम विपक्षी दलो को चाहिए की संसद में हंगामा करना छोड़ कर आम जनता से जुड़े विधेयकों पर चर्चा करे ताकि देश खुशहाली के रास्ते पर आगे बढे।  


सोमवार, 16 मई 2016

थरथराता बिहार ?

बिहार में महागठबंधन  सरकार बनने के बाद से लगातार हो रही हत्या ने पुरे बिहार ही नहीं देश को  झकझोर कर रख दिया है . सुसाशन का नारा बस नारा बन कर रह गया है . बढ़ती अपराधिक घटनाओं पर   सभ्य समाज जहां चिरपरिचित अंदाज में अपनी चिंता जाहिर कर रहा है वही सत्ता पक्ष स्वयं को बचाने के लिए अन्य राज्यों में होने वाली घटनाओं की और लोगो का ध्यान आकृष्ट करवा कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर रही है लेकिन सवाल उठता है की क्या दूसरे राज्यों की कानून व्यवस्था का हवाला देकर  अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ा जा सकता है . क्या राजनीती   का स्तर इतना गिर चूका है . किसी भी राज्य की प्रगति वहां के  कानून व्यवस्था पर निर्भर करती है लेकिन बिहार में जिस  प्रकार से अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है ऐसे में समझा जा सकता है की इस राज्य में कौन निवेश करना चाहेगा . ताजा मामला सिवान जिले का है जहां हिंदुस्तान अख़बार के  रिपोर्टर राजदेव रंजन  को  अपराधियों ने सरे बाजार गोली मार दी और चलते बने इससे ठीक दो दिन पहले गया में सत्ता धारी दल की विधान पार्षद मनोरमा देवी के पुत्र ने सरे आम एक युवक आदित्य को गोली मार दी . इन दो घटनाओं ने क्योकि ये घटनाएं अभिजात्य वर्ग से जुडी है तो मीडिया की सुर्खिया बटोरने में सफल हुई लेकिन सरकार बनने के बाद से ऐसी सैकड़ो घटनाएं बिहार में आम हो चुकी है जहां सरे राह कभी अपराधी दरोगा को गोली मार कर हथियार छीन फरार हो जाते है तो कभी व्यवसाई को गोली मार कर लाखो लूट लिया जाता है . हत्या बलात्कार डकैती छिनतई की घटनाओं में बेतहासा वृद्धि कुछ महीनो में देखने को मिल रही है . इनसबके  बीच अगर शराब बंदी की बात ना की जाए तो बेमानी होगी . सरकार ने १ अप्रैल २०१६ से बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागु कर दिया . मुख्य मंत्री नितीश कुमार का  मनना था की सभी अपराधिक घटनाओं में शराब का अहम रोल होता है लेकिन शराब बंदी कानून को लागू हुए २ महीने पुरे होने वाले है कही से यह प्रतीत नहीं होता की शराब बंदी के बाद अपराधिक घटनाएं कम हुई है .नितीश कुमार का कहना है की शराब बंदी के बाद से अपराध का ग्राफ बिहार में गिरा है लेकिन हालिया घटनाओं पर अगर गौर किया जाये तो समझा जा सकता है की क्या हो रहा है . बिहार सरकार द्वारा की गई  शराब बंदी निश्चित रूप से सराहनीय कदम है और इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिलेंगे लेकिन बिहार सरकार सिर्फ इस कानून को लागु करने में इतनी व्यस्त हो चुकी है की उसे और कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है . शराब बंदी कानून लागू होने के बाद जो महिलाएं पति के शराब पिने से परेशान थी वो अब भी परेशान हो रही है क्योकि वर्षो से जिन्हे  शराब की  लत थी वो एक दिन में छूटने वाली नहीं है जिसका नतीजा है की शराब पिने के बाद शराबी जेल जा रहे है और पत्निया उनका जमानत करवाने के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है आखिर जिनका पति 3०० रूपये दिहाड़ी कमाता हो उसके जेल जाने के बाद जमानत का 5000  रुपया   कहा से आये . सैकड़ो परिवारों के सामने यह समस्या सुरसा की तरह  मुंह बाये खड़ा है .और  इसी कानून के सहारे नितीश कुमार प्रधान मंत्री बनने का सपना देखने लगे  है जबकि बिहारी भय भूख और भ्र्स्टाचार की वजह से थरथराने को मजबूर है . कोई गुंडों के आतंक से थरथरा रहा है तो किसी के हाथ पैर शराब नहीं मिलने की वजह से थरथरा रहे है .

थरथराता बिहार ?

बिहार में महागठबंधन  सरकार बनने के बाद से लगातार हो रही हत्या ने पुरे बिहार ही नहीं देश को  झकझोर कर रख दिया है . सुसाशन का नारा बस नारा बन कर रह गया है . बढ़ती अपराधिक घटनाओं पर   सभ्य समाज जहां चिरपरिचित अंदाज में अपनी चिंता जाहिर कर रहा है वही सत्ता पक्ष स्वयं को बचाने के लिए अन्य राज्यों में होने वाली घटनाओं की और लोगो का ध्यान आकृष्ट करवा कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर रही है लेकिन सवाल उठता है की क्या दूसरे राज्यों की कानून व्यवस्था का हवाला देकर  अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ा जा सकता है . क्या राजनीती   का स्तर इतना गिर चूका है . किसी भी राज्य की प्रगति वहां के  कानून व्यवस्था पर निर्भर करती है लेकिन बिहार में जिस  प्रकार से अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है ऐसे में समझा जा सकता है की इस राज्य में कौन निवेश करना चाहेगा . ताजा मामला सिवान जिले का है जहां हिंदुस्तान अख़बार के  रिपोर्टर राजदेव रंजन  को  अपराधियों ने सरे बाजार गोली मार दी और चलते बने इससे ठीक दो दिन पहले गया में सत्ता धारी दल की विधान पार्षद मनोरमा देवी के पुत्र ने सरे आम एक युवक आदित्य को गोली मार दी . इन दो घटनाओं ने क्योकि ये घटनाएं अभिजात्य वर्ग से जुडी है तो मीडिया की सुर्खिया बटोरने में सफल हुई लेकिन सरकार बनने के बाद से ऐसी सैकड़ो घटनाएं बिहार में आम हो चुकी है जहां सरे राह कभी अपराधी दरोगा को गोली मार कर हथियार छीन फरार हो जाते है तो कभी व्यवसाई को गोली मार कर लाखो लूट लिया जाता है . हत्या बलात्कार डकैती छिनतई की घटनाओं में बेतहासा वृद्धि कुछ महीनो में देखने को मिल रही है . इनसबके  बीच अगर शराब बंदी की बात ना की जाए तो बेमानी होगी . सरकार ने १ अप्रैल २०१६ से बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागु कर दिया . मुख्य मंत्री नितीश कुमार का  मनना था की सभी अपराधिक घटनाओं में शराब का अहम रोल होता है लेकिन शराब बंदी कानून को लागू हुए २ महीने पुरे होने वाले है कही से यह प्रतीत नहीं होता की शराब बंदी के बाद अपराधिक घटनाएं कम हुई है .नितीश कुमार का कहना है की शराब बंदी के बाद से अपराध का ग्राफ बिहार में गिरा है लेकिन हालिया घटनाओं पर अगर गौर किया जाये तो समझा जा सकता है की क्या हो रहा है . बिहार सरकार द्वारा की गई  शराब बंदी निश्चित रूप से सराहनीय कदम है और इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिलेंगे लेकिन बिहार सरकार सिर्फ इस कानून को लागु करने में इतनी व्यस्त हो चुकी है की उसे और कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है . शराब बंदी कानून लागू होने के बाद जो महिलाएं पति के शराब पिने से परेशान थी वो अब भी परेशान हो रही है क्योकि वर्षो से जिन्हे  शराब की  लत थी वो एक दिन में छूटने वाली नहीं है जिसका नतीजा है की शराब पिने के बाद शराबी जेल जा रहे है और पत्निया उनका जमानत करवाने के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है आखिर जिनका पति 3०० रूपये दिहाड़ी कमाता हो उसके जेल जाने के बाद जमानत का 5000  रुपया   कहा से आये . सैकड़ो परिवारों के सामने यह समस्या सुरसा की तरह  मुंह बाये खड़ा है .और  इसी कानून के सहारे नितीश कुमार प्रधान मंत्री बनने का सपना देखने लगे  है जबकि बिहारी भय भूख और भ्र्स्टाचार की वजह से थरथराने को मजबूर है . कोई गुंडों के आतंक से थरथरा रहा है तो किसी के हाथ पैर शराब नहीं मिलने की वजह से थरथरा रहे है .

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

सुरक्षा में सेंध ?

पिछले दस दिनों में देश के विभिन्न इलाको से 6 आईएसआई जासूस पकडे गए जिससे साफ़ तौर पर समझा जा सकता है की पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी  भारतीय सुरक्षा व्यवस्था में किस प्रकार से सेंध लगा चुकी है . कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले आतंक के इस नेटवर्क के खुलासे के बाद एक बार फिर पाकिस्तान का काला चिट्ठा विश्व के सामने है हलाकि यह जगजाहिर है की पाकिस्तान कभी सुधरने वाला नहीं है लेकिन अब पाकिस्तान से अधिक खतरनाक देश के लिए वो राज्य बन चुके है जो आतंक के सौदागरों को भी धर्म के चश्मे से देखते है और आतंकियों जासूसों की गिरफ्तारी के बाद वोट बैंक की खातिर घड़ियाली आँशु बहते है . इन  राज्यों  शिर्ष स्थान पर आज पश्चिम बंगाल और बिहार पहुंच चूका है . ख़ुफ़िया सूत्रों की माने तो बिहार और बंगाल में आज बड़े पैमाने पर आतंकी संगठन देश विरोधी कार्यो में संलिप्त है जिनको कही ना कही राज्य सरकारों का संरक्षण प्राप्त है जिसकी वजह से जिस प्रकार का ऑपरेशन इनके खिलाफ होना चाहिए नहीं हो पा रहा है . पश्चिमबंगाल के लगभग एक दर्जन जिले पूरी तरह आतंकियों का गढ़ बन चुके है तो दूसरी तरह बिहार के कई जिलो में आतंकियों का नेटवर्क काफी मजबूत है .अगर ताजा घटना क्रम की बात की जाये तो पश्चिमबंगाल से जितनी भी गिरफ्तारी हुई है और उनके पास से जो दस्तावेज बरामद हुए है अगर ये पूरी तरह सफल हो जाते तो जल्द ही बंगाल और आसाम में खून की नदिया बहने वाली थी और ना जाने कितने मासूम असमय काल के गाल में सामने वाले थे लेकिन बंगाल की मुख्या मंत्री ममता बनेर्जी पूरी तरह मामले पर चुप्पी साढ़े हुए है जिससे कही ना कही ऐसा लगता है की आतंकियों को इनका मौन समर्थन प्राप्त है ? देश की सुरक्षा व्यवस्था में इस प्रकार के सेंध से  आम आदमी आज डरा हुआ महसूस करता है लेकिन वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीती के तहत इन्हे सिर्फ देश में असहिष्णुता नजर आती है इस लिए जरुरत है की केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों में हस्तछेप करे ताकि कम से आम आदमी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सके .  

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

जागो जागो बिहार

बिहार विधान सभा चुनाव में नेताओ का प्रचार अभियान जोर शोर से जारी है। नेता  मतदाताओ को लुभाने की कोई कोशिश बाकी नहीं रख रहे है /पीएम मोदी द्वारा लगातार की जा रही  रैलियों से महागठबंधन  नेताओ की बौखलाहट साफ़ झलक रही है जिसका नतीजा है की अब निजी हमले किये जा रहे है और विकास की बाते बैमानी हो गई है /पीएम अपने भाषण में जनता को जो सन्देश दे कर जाते है उसी भाषण को महागठबंधन के नेता टेप रिकॉर्डर की तरह अपनी अपनी   सभा में जनता को सुना रहे है। बिकास के दम पर चुनाव लड़ने की बात करने वाले नितीश कुमार खुद अपने बिछाये जाल में फसते नजर आ रहे है तो लालू यादव को शैतान परेशान कर रहा है / अनर्गल बयान बाजी जैसा की पहले से ही जाहिर था हो रही है और जनता के वो तमाम मुद्दे जिनसे जनता को आये दिन दो चार होना पड़ता है ठंढे बस्ते में डाल दिया गया  है। बिहार आज जिस तरह से नक्सलवाद ,आतंकवाद ,भरस्टाचार ,बेरोजगारी से जूझ रहा है वो किसी से छुपा नहीं है लेकिन बिहारियों को कम अक्ल समझने वाले नेता इन मुद्दो पर चर्चा करने के स्थान पर भावनाओ को भड़काने में लगे है जबकि आज बिहार को जरुरत है ऐसे नेतृत्व की जो बिहार के युवाओ,किसानो को सही दिशा दे।  बिहार के किसान दिन प्रति दिन मौत के मुह में जाने को मजबूर है तो युवा बेरोजगारी के दंश से आये दिन आत्म हत्या करने पर लेकिन ना तो लालू यादव के पास इनके लिए कोई विज़न है और ना ही नितीश कुमार के पास जबकि भाजपा ने अभी तक सीएम पद पर कौन बैठेंगे के नाम की घोषणा ही नहीं की है और पीएम मोदी के नेतृत्व में ही बिहार की बैतरणी पार करना चाहती है / गौरतलब हो की पहले चरण का मतदान समाप्त हो चूका है और मतदान का औसत देख कर समझा जा सकता है की इस अनर्गल बयान बाजी की वजह से लोगो में मतदान को लेकर कितना उमंग है।  58 प्रतिशत मतदान पहले चरण में हुआ है जो की बहुत ही कम है हलाकि अभी चार चरण शेष बचे है और चुनाव आयोग को मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए ताकि मतदान का औसत बढ़ सके और मतदाता सही नुमाइंदे का चुनाव कर सके वही नेताओ को भी अब अनर्गल बयान बाजी से बाहर निकल कर मुद्दो की राजनीती करनी चाहिए ताकि बिहार का बिकास हो और जिस विकसित बिहार की कल्पना कभी जय प्रकाश नारायण और विनोबा भावे  जैसे नेताओ ने की थी उस स्थिति पर बिहार पहुंचे।   

रविवार, 16 अगस्त 2015

बिहार में ओबेशी के आगमन के मायने ?

हैदराबाद से लोकसभा सांसद और एमआईएम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असद उद्दीनओबेसी आज बिहार के मुश्लिम बहुल किशनगंज जिले में पहुंचे जहा एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने नितीश कुमार पर जम कर हमला बोला यही नहीं ओबेशी ने लालू यादव और कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा करते हुए मुसलमानो के पिछड़े पन का जिम्मेवार बताया और कहा की नितीश कुमार विकास विकास का नारा लगते है लेकिन नितीश कुमार विकास के सबसे बड़े विरोधी है २००५ से सत्ता में रहते हुए नितीश कुमार को सिर्फ एक इलाके का विकास दिखता है यही नहीं मुसलनाओ का विरोधी बताते हुए नितीश कुमार को गोधरा ट्रैन अग्निकांड का प्रायोजक बता डाला .हलाकि भाजपा पर भी हमला बोलते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा किया और आर्टिकल ३७१ के तहत सीमांचल को विशेष पैकेज देने की मांग की लेकिन इस इलाके में उनके दौरे का असर भाजपा को कम और महागठबंधन को अधिक होगा . गौरतलब हो की लोकसभा चुनाव में हार के बाद नितीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से गठबंधन किया ताकि जो मुश्लिम वोट अभी तक लालू के खाते में था वो अब गठबंधन को प्राप्त हो जायेगा लेकिन अब ओबेशी एक नई चुनौती के रूप में महागठबंधन के सामने उभर कर आये है जिससे निकलने के लिए महागठबंधन को कठिन परीक्षा पास करनी होगी .बिहार में अठारह प्रतिशत मुश्लिम मतदाता है जिसपर अभी तक नितीश कुमार लालुयादव और कांग्रेस का एकाधिकार रहा है लेकिन ओबेशी के किशनगंज आगमन से सियासत पूरी तरह गर्मा गई है और बड़ी तादाद में लोग ओबेशी को अपना रहनुमा मानने लगे है . सोशल मीडिया प्रयोग करने वाला युवाओ का एक बड़ा तबका ओबेशी में अपना नेता देखने लगा है जो की महागठबंधन के लिए सरदर्द साबित होगा क्योकि आज जिस प्रकार से ओबेशी ने आकड़ो के अनुसार बिहार के सियासी दलों पर हमला बोला है इससे जाहिर होता है की विधान सभा चुनाव में वो सीमांचल के इस क्षेत्र में जिसमे की पूर्णिया अररिया कटिहार किशनगंज शामिल है और विधान सभा की लगभग ४० सीट इन जिलो में आती है और बड़ी संख्या में मुश्लिम मतदाता है में अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे हलाकि ओबेशी ने पूरी तरह पत्ता नहीं खोला है और उनका कहना है की जनता जनार्दन जो फैसला करेगी सर आँखों पर होगा गौरतलब हो की ओबेशी को यहाँ अख्तरुल ईमान जो की लोकसभा चुनाव जनता दल यूनाइटेड की टिकट पर लड़ते लड़ते खुद को चुनाव से अलग कर लिया था और कहा था की भाजपा को रोकने की खातिर वो चुनाव से खुद को अलग कर रहे है ने किशनगंज में बुलाया है और यह बात किसी से छुपी नहीं है की अख्तरुल ईमान के मैदान से हटने के बाद इस सीमावर्ती इलाके में भाजपा को सभी सीटो पर हार का सामना करना पड़ा था और सभी सीट महागठबंधन के खाते में चली गई थी और अब मुश्लिम वोटो का धुर्वीकरण यदि एमआईएम के पक्ष में होता है तो सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है की इसका सीधा असर महागठबंधन पर होगा .

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

स्वतंत्रता दिवस के बहाने ?



देश ६९ वा स्वतंत्रता दिवस मानाने जा रहा है . लाल किले के प्राचीर से दूसरी बार बतौर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तिरंगा फहराएंगे पिछले वर्ष मोदी जी ने जब पहली बार लाल किले के प्राचीर से झंडा फहराया तो देश उत्साह से लबरेज था की एक युवा प्रधान मंत्री के हाथो में देश नई उचाईयो को प्राप्त करेगा . योजनाये अब कागजो तक ही सिमटी नहीं रहेगी , योजनाओ को मूर्त रूप देने वाला प्रधान मंत्री अब इस देश में है जो कहता है की ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा , देश की और आँख दिखाने वाले अब आँख दिखाने की हिम्मत नहीं करेंगे , राम राज का सपना साकार होगा विदेशो में हिंदुस्तान की धाक होगी हर और अमन चैन का वातावरण होगा और भी ना जाने कितने सपने अच्छे दिनों की आस में आम हिन्दुस्तानियो ने देखने आरम्भ कर दिए थे ,लेकिन इन एक वर्षो से भी अधिक समय में अगर जमीनी स्तर पर नई सरकार की उपलब्धियों को देखा जाए तो अब वो तमाम मुद्दे एक बार फिर से ठंढे बस्ते में भाजपा सरकार ने डाल दिए है जिसकी उम्मीद पर देश की गरीब जनता ने पूर्ण बहुमत प्रदान किया था . ऐसा नहीं है की सरकार ने काम नहीं किया या योजनाये नहीं बनाई योजनाये भी बानी और सरकार काम भी करना चाहती है लेकिन जितनी उम्मीद जनता ने सरकार से पाल रखा था उसपर अब तक यह सरकार खरी नहीं उतरी है यह अब कोई अदना सा व्यक्ति भी कह सकता है . भरस्टाचार पर कभी संसद ना चलने देने वाली सरकार अब खुद ही विपक्ष द्वारा कटघरे में खड़ी कर दी गई है संसद का सत्र पूरी तरह बेकार चला गया लेकिन जनता के हित में सरकार कोई फैसला नहीं ले सकी हलाकि यह विपक्ष की तानासाही कही जा सकती है लेकिन सवाल उठता है की अब तक इस सरकार के द्वारा कितने भ्र्स्ताचारियो को जेल भेजा गया चाहे शीला दिक्षित हो या फिर कन्नी मोई ए राजा या फिर दयानिधि मारन और ना जाने कितने नाम खुले आम घूम रहे है और उन कार्यकर्ताओ का मुह चिढ़ा रहे है जो कहते नहीं थकते थे की भाजपा सरकार आई तो इनका घर जेल की काल कोठरी होगी अब वही कार्यकर्त्ता मुह चुरा कर कन्नी काट निकल जाने पर मजबूर है सबसे बुरी स्थिति तो जम्मू कश्मीर में देखने को मिली जिसको कल तक आतंकियों का पैरोकार कहा जाता था उसी के साथ सरकार बना कर आज सत्ता का मजा लूट रहे है सारी की सारी नैतिकता धरी की धरी रह गई और मसरत रिहा हो गया , गिलानी खुले आम चेतावनी देता घूम रहा है पाकिस्तान लगातार सीमा पर सीज़ फायर का उलंघन कर रहा है जवानो की मौत आम हो गई और सरकार वार्ता पर वार्ता करने में व्यस्त है . काल धन पर एसआईटी के गठन के बाद से करवाई होती नहीं दिख रही , स्किल इंडिया के तहत बेरोजगारो को रोजगार प्रदान करने की बात कही गई है लेकिन अभी यह एक सपना ही है जैसे की स्वक्षता अभियान चला कर आम जनता को स्वच्छ बनाने का सपना पीएम साहब ने देखा लेकिन आम जनता कब जागरूक होगी और कब यह सपना साकार होगा उसी प्रकार किसानो के लिए प्रधान मंत्री सिचाई योजना भी जमीन पर कही नजर नहीं आ रही है अटल ज्योति योजना भरस्टाचार की भेट चढ़ रही है . देश में बेरोजगारी का आलम ऐसा है की किसी कार्यालय में चपरासी के एक रिक्त पद के लिए आवेदन मंगाए जाते है तो वहा २० हजार ऐसे युवक आवेदन देते है जो की पोस्ट ग्रेजुएट है .बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या का सिलशिला थमने का नाम नहीं ले रहा है लेकिन संसद में माल महाजन का मिर्जा खेले होली वाली कहावत चरितार्थ हो रही है ? सरकार ने पोर्न पर प्रतिबन्ध लगाया लोगो को खुसी हुई लेकिन दूसरे दिन ही तब निराशा हाथ लगी जब सरकार के मंत्री ने कहा की हम किसी के बैडरूम में नहीं झांक सकते आखिर ऐसे में जिन अच्छे दिनों की आस में झोली भर कर जनता ने समर्थन दिया था वो क्या करे कभी दूसरे को मजबूर कह कर चिढ़ाने वाले आज खुद ही मजबूर दिख रहे है इस लिए प्रधान मंत्री जी इन एक से अधिक वर्षो में जो हुआ जाने दे जनता ने आप से काफी उम्मीद पाल रखा है . जनता समझदार है वो विपक्ष के पंद्रह लाख के बहकावे में नहीं आएगी उसे बैंक खातों में पंद्रह लाख नहीं चाहिए . जनता को सिर्फ रोटी कपडा और मकान चाहिए .भरस्टाचार मुक्त भारत चाहिए ,किसानो को खेतो में पानी और खाद चाहिए , खुले आसमान में सोने वालो को एक अदना सा छत चाहिए , ट्रेनों में आरामदायक सफर ,चाहिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी चाहिए बच्चो को शिक्षा का अधिकार चाहिए गौ माता के ललाट पर मुश्कान चाहिए आतंकियों के लिए कब्रिस्तान चाहिए ……

शनिवार, 8 अगस्त 2015

नेपाल और बांग्लादेश सीमा पर जनसँख्या असंतुलन का खतरा ?

भारत नेपाल और बांग्लादेश सीमा पर जनसँख्या असंतुलन से आने वाले समय में सुरक्षा बालो को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है . सूत्रों  की माने तो भारत बांग्लादेश सीमा हो या फिर नेपाल सीमा पर विगत कुछ वर्षो से धर्म विशेष के लोगो को बसाने की मुहीम एक सोची समझी साजिश के तहत रची जा रही है जिसकी  वजह से सीमा क्षेत्र में हिन्दू समुदाय अल्पसंख्यक हो रहा है .प्रबुद्ध नागरिको को सायद यह बताना जरुरी नहीं की इससे क्या क्या खतरा हमारे सामने उतपन्न हो सकता है / राष्ट्रवादी संगठनो द्वारा सीमा क्षेत्र में किये गए सर्वे भी काफी चौकाने वाले है की किस प्रकार से जेहादी ताकतों द्वारा सीमा क्षेत्र में मदरसो की संख्या में बेतहासा वृद्धि की जा रही है और जनसँख्या बढ़ा कर सीमा क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की जा रही है . ख़ुफ़िया सूत्रों  की माने तो नेपाल और बांग्लादेश सीमा पर कई आतंकी संगठन सक्रिय है जो आर्थिक रूप से कमजोर नागरिको को प्रस्रय देने का काम करते है और उसके बदले सीमा पर तैनात जवानो के खिलाफ इनकी बहन बेटियो को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते है यही नहीं बॉर्डर पर जवानो को कई प्रकार के प्रलोभन  दिए जाते है  और जब इसमें सफलता नहीं मिलती तो बेवजह फ़साने की साजिश इनके द्वारा रची जाती है और पूरी सेना को कटघरे में रख कर ऐसा दिखने की कोशिश की जाती है की भारतीय सेना  तुम्हारी और तुम्हारे  तरक्की की दुसमन है . बिहार और बंगाल से लगती भारत नेपाल सीमा और बांग्लादेश सीमा पर विगत कुछ दिनों में घटी घटनाये भी अब गवाही देने लगी है की पूर्वोतर के क्षेत्र को अशांत करने की कोशिश किस प्रकार से की जा रही है गौरतलब हो की एक सप्ताह पूर्व  बिहार के किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड स्थित भारत नेपाल सीमा पर सस्त्र सीमा बल के दो जवानो को बुरी तरह पीटा गया यह आरोप लगा कर की इन्होने लड़की के साथ छेड़खानी की है लेकिन जब पुलिस ने मामले की जांच की तो और लोगो से थाना में मामला दर्ज करवाने की अपील की तो किसी ने एफआईआर दर्ज नहीं करवाया आखिर क्यों ऐसी घटनाओ की बाढ़ सी हैं जहा जवानो के मनोबल को तोड़ने का प्रयाश अभी से आरम्भ हो चूका है इसलिए समय रहते जरुरत है की भारत सरकार मामले पर गंभीरता पूर्वक विचार करे और बिहार बंगाल से लगती नेपाल और बांग्लादेश सीमा पर कड़ी निगरानी करे ताकि पाकिस्तान सीमा और कश्मीर वाले हालत यहाँ पैदा ना हो ?  

बुधवार, 5 अगस्त 2015

पोर्न बंद ?

केंद्र सरकार द्वारा अश्लील वेबसाइट पर प्रतिबन्ध लगा कर देश की संस्कृति को बचने का एक सार्थक प्रयाश किया गया आज  99% बलात्कार की घटनाए पार्न विडियो और नशे की वजह से समाज मे घटित हो रही है ।महिलाओ को जिस प्रकार विडियो मे देखते है उसी प्रकार की क्षवि मस्तिष्क मे बन जाती है ।युवा वर्ग पार्न फिल्म देखकर दिग्भ्रमित हो रहे है और महिलाओ को मनोरजन का साधन मात्र समझते है जिसका असर आने वाली पीढियो पर पडेगा । सरकार की घोषणा से खुशी हुई थी लेकिन जब पुनः सुचना प्रसारण मंत्री रवि शंकर प्रसाद  द्वारा घोषणा कि गई कि सिर्फ बच्चो की साईट को बंद किया जाऐगा तो निराशा हुई आखिर ये उ टर्न किसके दबाब में लिया जा रहा है यह सभ्य समाज जानना चाहता है क्योकि देश की बहुसंख्यक आबादी इसके पक्ष में नहीं है . तथाकथित बुद्धिजीवियों और पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करने वालो के दबाब में एक पूर्ण बहुमत की सरकार आ जाये यह चिंता की बात है . आज जिस प्रकार की घटनाये देखने और सुनने को मिल रही है उसमे पोर्न वीडियो का बहुत बड़ा हाथ है लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं मानते और ये वही लोग है जो की सड़क पर किश ऑफ़ डे मानाने से भी नहीं हिचकते तो क्या ऐसे लोगो के दबाब पर सरकार फैसले को वापस लेने पर मजबूर हुई है   सरकार इस मामले मे गंभीरता पुर्वक विचार करे और सभी साईट को बंद करे तथाकथित पश्चिमी संस्कृति के दलालो के विरोध को दरकिनार कर भारतीयता को बचाने की आवश्यकता है ।‪#‎Bjp_Govt‬ ‪#‎Porn‬ ‪#‎Ban‬

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

बहुत कठिन है डगर पनघट की - बिहार विधान सभा चुनाव ?

बिहार विधान सभा चुनाव २०१५ ओक्टुबर नवम्बर में होने जा रही है एक तरफ महागठबंधन ताल ठोक रही है तो दूसरी और भाजपा अपने सहयोगियों के साथ बिहार चुनाव को किसी भी हाल में जीतना चाहती है लेकिन भाजपा के राह में रोड़े बहुत है और उन रोड़ो से खुद को भाजपा कितना बचा पाती है यह देखने वाली बात होगी . बिहार में आज तक जो भी चुनाव हुए उनमे जातीयता के साथ साथ धर्म हावी रही है . विगत वर्षो में भाजपा नितीश कुमार के साथ चुनाव लड़ कर कई समीकरणों को ध्वस्त कर चुकी है लेकिन इस बार समीकरणों को ध्वस्त करने के लिए नितीश कुमार का साथ नहीं है हलाकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को बिहार में आशा से अधिक समर्थन प्राप्त हुआ था लेकिन लोकसभा चुनाव और विधान सभा चुनाव में जमीन आसमान का अंतर है . लोकसभा चुनाव में मोदी जी की लहर   और कांग्रेस के प्रति आम नागरिको का गुस्सा ही था की बिहार की जनता ने अच्छे दिनों की आस में झोली भर कर समर्थन दिया लेकिन विधान सभा चुनाव में ना तो मोदी जी मुख्यमंत्री बनाने वाले है और ना ही अब लोगो का कांग्रेस के प्रति आक्रोश है अब केंद्र में भाजपा सत्ता में है और विगत एक वर्षो में केंद्र से वैसी सौगात बिहार की जनता को नहीं मिल पाई है जिसकी आसा बिहार की जनता करती थी . बिहार की जनता मतदान करते वक्त एक नहीं अनेको बात का ध्यान रखती है जिसमे जाति को प्रमुखता दी जाती है वही बिहार का मुश्लिम समुदाय भी भाजपा को स्वीकार्य नहीं करता है . नितीश कुमार और लालू यादव  जिस जाति से आते है उस वोटबैंक में उनकी स्वीकार्यता के साथ साथ बिहार का मुश्लिम समाज भी महागठबंधन में अपना भविष्य तलास चूका है और खुल कर भाजपा की खिलाफत करता है जबकि दूसरी और भाजपा नेता चुनाव नजदीक होते हुए भी एकजुट नहीं दिख रहे है और  पूर्व मुख्यमंत्री मांझी पप्पू यादव रामविलास पासवान सहित कुसवाहा के समर्थन पर ही फूल कर कुप्पा है और  चुनाव मे भाजपा मांझी पप्पु रामविलास उपेन्द्र कुसवाहा के सहारे वैतरणी पार करना चाहती है क्योकि इन एक वर्षो से अधिक समय मे वैसा कुछ केन्द्र से बिहार को हासिल नही हो सका है जिससे कि बिहार की जनता बिना नेता का नाम घोषित किए सत्ता का हस्तातरण कर दे साथ ही लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के पास सोशल मीडिया का हथियार था जिसकी बदौलत भी भाजपा ने बेहतरीन परिणाम हासिल किये ।लेकिन विधान सभा में जाति धर्म के साथ साथ  लाठीतंत्र भी मतदान मे अहम किरदार निभाता है जिसकी लाठी उसकी भैस वाली कहावत सही मायने मे बिहार चुनावो मे ही देखने को मिलती है जहा जिसकी सख्या अधिक वहा उनका वर्चस्व ना विकास से मतलब है ना ही देश मे होने वाली अन्य गतिविधियो से भाजपा नेतृत्व भी इन सबसे बखुबी परिचित हो चुकी है इसलिए अभी तक नेता के नाम की घोषणा नही कि गई है , जबकि लालु यादव और नीतिश कुमार नेता के नाम की घोषिणा करने पर दबाब बना रहे है और पुरे मामले से लाभ लेने की कोशिश कर रहे है जो उनका वाजिब हक भी है ।महागठंबधन भले ही विधान परिषद चुनाव मे मजबुत दावेदारी ना कर पाई हो लेकिन महागठंबधन को हल्के मे लेना भाजपा के लिए भुल साबित हो सकती है साथ ही बिहार भाजपा के विक्षुब्ध नेता भी नुकसान दे सकते है ।बिहार के जाति विशेष और धर्म विशेष लोग भाजपा को आज भी छुत मानते है और दुर ही रहना चाहते है जिसमे सेधंमारी जबतक नही होगी तब तक भाजपा लाख रथ निकाल दे कुर्शी का सपना अधुरा ही रहेगा क्योकि बिहार भाजपा स्वार्थी नेताओ की जमात है जिसपर भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व को गभीरता पुर्वक विचार करना चाहिए अन्यथा बिहार मे जीत का सपना सपना ही रह जाऐगा यह हकीकत मे नही बदलेगा ।जबकि भाजपा को चाहिए की