बिहार विधान सभा चुनाव में नेताओ का प्रचार अभियान जोर शोर से जारी है। नेता मतदाताओ को लुभाने की कोई कोशिश बाकी नहीं रख रहे है /पीएम मोदी द्वारा लगातार की जा रही रैलियों से महागठबंधन नेताओ की बौखलाहट साफ़ झलक रही है जिसका नतीजा है की अब निजी हमले किये जा रहे है और विकास की बाते बैमानी हो गई है /पीएम अपने भाषण में जनता को जो सन्देश दे कर जाते है उसी भाषण को महागठबंधन के नेता टेप रिकॉर्डर की तरह अपनी अपनी सभा में जनता को सुना रहे है। बिकास के दम पर चुनाव लड़ने की बात करने वाले नितीश कुमार खुद अपने बिछाये जाल में फसते नजर आ रहे है तो लालू यादव को शैतान परेशान कर रहा है / अनर्गल बयान बाजी जैसा की पहले से ही जाहिर था हो रही है और जनता के वो तमाम मुद्दे जिनसे जनता को आये दिन दो चार होना पड़ता है ठंढे बस्ते में डाल दिया गया है। बिहार आज जिस तरह से नक्सलवाद ,आतंकवाद ,भरस्टाचार ,बेरोजगारी से जूझ रहा है वो किसी से छुपा नहीं है लेकिन बिहारियों को कम अक्ल समझने वाले नेता इन मुद्दो पर चर्चा करने के स्थान पर भावनाओ को भड़काने में लगे है जबकि आज बिहार को जरुरत है ऐसे नेतृत्व की जो बिहार के युवाओ,किसानो को सही दिशा दे। बिहार के किसान दिन प्रति दिन मौत के मुह में जाने को मजबूर है तो युवा बेरोजगारी के दंश से आये दिन आत्म हत्या करने पर लेकिन ना तो लालू यादव के पास इनके लिए कोई विज़न है और ना ही नितीश कुमार के पास जबकि भाजपा ने अभी तक सीएम पद पर कौन बैठेंगे के नाम की घोषणा ही नहीं की है और पीएम मोदी के नेतृत्व में ही बिहार की बैतरणी पार करना चाहती है / गौरतलब हो की पहले चरण का मतदान समाप्त हो चूका है और मतदान का औसत देख कर समझा जा सकता है की इस अनर्गल बयान बाजी की वजह से लोगो में मतदान को लेकर कितना उमंग है। 58 प्रतिशत मतदान पहले चरण में हुआ है जो की बहुत ही कम है हलाकि अभी चार चरण शेष बचे है और चुनाव आयोग को मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए ताकि मतदान का औसत बढ़ सके और मतदाता सही नुमाइंदे का चुनाव कर सके वही नेताओ को भी अब अनर्गल बयान बाजी से बाहर निकल कर मुद्दो की राजनीती करनी चाहिए ताकि बिहार का बिकास हो और जिस विकसित बिहार की कल्पना कभी जय प्रकाश नारायण और विनोबा भावे जैसे नेताओ ने की थी उस स्थिति पर बिहार पहुंचे।