मर्यादा पुरुषोतम श्री राम का चरित्र हम सभी सनातन धर्मावलंबियो के लिए अनुकरणीय है। भगवान विष्णु के अवतार श्री राम के मर्यादा पुरषोतम बनने की कहानी भी कुछ कम प्रेरणा दायक नहीं है। हमारी आज की युवा पीढ़ी अपने धर्म से विमुख होकर पाश्चात्य सभ्यता के पीछे ऐसे भाग रही है जैसे घुड़ दौड़ हो रहा हो और उसमे कही ये पीछे ना छुट जाये लेकिन आज जितनी भी सभ्यता या संस्कृति हिंदुस्तान में पनपी है उनका मूल सनातन संस्कृति है सायद इस बात से हमारी नई पीढ़ी अनभिज्ञ है यहाँ जरुरत है हम सभी संस्कृतियो और सभ्यता से अच्छा कुछ सीखे लेकिन अच्छी बातो को ना की बुराई को। आज की युवा पीढ़ी मर्यादा पुरषोतम राम के चरित्र उनके अन्दर के त्याग सयम समर्पण से लगभग अनभिज्ञ है जिसकी वजह से अन्य धर्मो को मानने वाले अपने अपने ढग से श्री राम के चरित्र का वर्णन करते है यहाँ तक की कुछ लोग स्वार्थ की वजह से बेहद शर्म नाक टिपण्णी भी करते है और हम मूकदर्शक हो सुनते रहते है क्योकि हमें हमारे परिवार में इस प्रकार की शिक्षा ही नहीं दी गई हमारे परिवार वालो ने हमें अंग्रेजी पढ़ना उचित समझा ताकि हमें बेहतर रोजगार प्राप्त हो सके जिसका नतीजा हुआ की हम स्वयं के धर्म से विमुख होते गए हमारे बच्चे ओ गॉड , मोम , डैड बोल कर खुश हुए और हम यह सुन कर, लेकिन इसी अंग्रेजियत ने जब बूढ़े हुए तब रंग दिखाया बच्चे ने जब माता पिता को वृद्ध आश्रम में भेज दिया लेकिन यदि हम अपने बच्चो को जन्म काल से ही अंग्रेजियत के साथ साथ अपने सत्य सनातन धर्म से परिचित करवाते तो सायद ऐसा नहीं होता। आज लगभग हिन्दू परिवारों में यह देखने को मिल जायेगा जो की चिंता का विषय है। हमारी संस्कृति और सभ्यता पर जितना प्रहार विदेशी आक्रंताओ ने नहीं किया उससे कही अधिक हमने स्वयं किया है। आज श्री राम के चरित्र से हमें कुछ सिखने के आवश्यकता ताकि हम अपने धर्म की रक्षा कर सके। श्री राम ने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा का पालन करते हुए ताड़का राक्षसी का वध किया , पुत्र धर्म का पालन करते हुए वन प्रस्थान किया जबकि वो चाहते तो पिता की आज्ञा का उलंघन कर सकते थे । प्रजा की बात मान कर पत्नी सीता तक का त्याग कर दिया ताकि एक कुशल प्रसाशक कहलाये । ऐसे है श्री राम चन्द्र जी जिनका गुण गान करके राक्षस कुल में जन्मे विभीषण का उद्धार हो जाता है हम तो मानव योनि में जन्मे है यदि रघुनायक का गुण गान करे तो हमारा क्या कल्याण नहीं होगा आज की युवा पीढ़ी को समझना चाहिए।
सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुण गान।
सादर सुनहि ते तरहि भव सिंधु बिना जलजान।।
मोह मूल सुल प्रद त्यागहु तम अभिमान।
भजहु राम रघुनायक कृपा सिन्धु भगवान।। …… शिया वर राम चन्द्र की जय।
पवन पुत्र हनुमान की जय।
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