गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

बिहार की राजनीती के एक अध्याय का अंत ?



बिहार की राजनीती में धुर्ब तारा बन कर उभरे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की राजनीती का आज अंत हो गया उनका राजनितिक केरियर लगभग पूरी तरह  समाप्त हो गया क्योकि सर्वोच्य नयायालय के आदेश के अनुसार अब वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे गौरतलब हो की बहुचर्चित 956 करोड़ के चारा घोटाला मामले में सी बी आई कोर्ट ने  लालू यादव को 5 साल की सजा
के साथ साथ  25 लाख का जुर्माना सुनाया  वही जे डी यू सांसद जगदीश शर्मा और ;जगरनाथ मिश्र को भी 4 - 4 साल की सजा सुनाई  गई है  ? बिहार में  माय ( मुश्लिम + यादव ) समीकरण के जरिये सत्ता तक पहुचे लालू यादव ने  कभी " भूरा बाल साफ़ करो "जैसे नारे देकर समाज को तोड़ने का जो काम किया था इससे उसका भी अंत हो गया यही नहीं लाल कृष्ण आडवानी की रथ यात्रा को समस्तीपुर में रोक कर तो वो रातो रात मुश्लिम  रहनुमा  गए थे   समाज वाद का सबसे बड़ा पहरुआ भी लालू स्वयं को बताने में पीछे नहीं रहे बहुबल धन बल के साथ साथ तमाम विवादों से लालू का पुराना रिश्ता रहा रेल मंत्री बनाने के बाद लालू ने कई बदलाव कर जनता के दिल को जितने की कोसिस की लेकिन पुराने मित्र नितीश कुमार ने पटखनी देकर सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया उसके बाबजूद संघ विरोध की राजनीती करके बिहार में सत्ता के एक प्रमुख केंद्र बने रहे लालू यादव  प्रधान मंत्री बनने का सपना पाले बैठे रहे  लेकिन सायद लालू यादव भूल गए की कानून भी कोई चीज़ है इस फैसले से बिहार ही नहीं देश की जनता का भी विस्वाश न्यायिक प्रक्रिया पर बढ़ा है और  फैसले ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया भारत की न्यायिक प्रक्रिया में विलंब हो सकता है लेकिन कोई मुजरिम जुर्म करके बच नहीं सकता अब हम बिहारिओ को 22 nov का इंतजार है जब इसी मामले में वर्त्तमान मुख्या मंत्री नितीश कुमार और शिवानन्द तिवारी जिनपर मिल कर 1 . 5 करोड़ रूपये लेने का आरोप है

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