भारतीय सभ्यता और संस्कृति का लोहा पूरी दुनिया मानती आई है लेकिन हाल के दिनों में जिस प्रकार की घटना सामने आई उससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है की इस संस्कृति में कितनी विकृति आ गई है। दक्षिण भारत के कोच्चि से निकली किश ऑफ़ लव की हवा देखते देखते कोलकाता होते हुए जब दिल्ली पहुंची तो तमाम बुद्धिजीविओ और समाज सुधारको को चुनौती देने वाली साबित हुई साथ ही यह सोचने पर भी बिबस किया की आखिर जिन संस्कारो की दुहाई वर्षो से हम अपने बच्चो को देने की बात करते रहे आखिर उसे देने में कहा कमी रह गई। मामले के तह में जाये तो इस का आयोजन इस लिए किया गया था की एक प्रेमी जोड़े को कोच्चि में मौत के घाट उतार दिया गया था जिसके विरोध स्वरुप किश ऑफ़ लव का आयोजन किया गया था जिसे कही से जायज नहीं ठहराया जा सकता है ना तो उस प्रेमी जोड़े की हत्या की इजाजत दी जा सकती है और ना ही इस प्रकार के फूहड़पन फैलाते किश ऑफ़ लव जैसे आयोजन की क्योकि दोनों ही मामले पूरी तरह एक विकृत मानसिकता की परिचायक है। सोचने वाली बात यह है की आखिर हमारे देश की युवा पीढ़ी इतनी उच्श्रृंखल क्यों हो गई की कि उसे अपने परम्पराओ अपने धर्म अपनी संस्कृति का जरा भी धयान नहीं रहा और इस प्रकार के कुकृत को बढ़ावा देने लगे कही ना कही यह हमारी शिक्षा पद्दति का दोष है क्योकि वर्षो से हम जिस शिक्षा पद्दति को ढो रहे है वो हमें शिक्षित तो कर रही है लेकिन उसके साथ ही हमारा नुकसान कही अधिक कर रही है।
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