पिछले दस दिनों में देश के विभिन्न इलाको से 6 आईएसआई जासूस पकडे गए जिससे साफ़ तौर पर समझा जा सकता है की पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी भारतीय सुरक्षा व्यवस्था में किस प्रकार से सेंध लगा चुकी है . कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले आतंक के इस नेटवर्क के खुलासे के बाद एक बार फिर पाकिस्तान का काला चिट्ठा विश्व के सामने है हलाकि यह जगजाहिर है की पाकिस्तान कभी सुधरने वाला नहीं है लेकिन अब पाकिस्तान से अधिक खतरनाक देश के लिए वो राज्य बन चुके है जो आतंक के सौदागरों को भी धर्म के चश्मे से देखते है और आतंकियों जासूसों की गिरफ्तारी के बाद वोट बैंक की खातिर घड़ियाली आँशु बहते है . इन राज्यों शिर्ष स्थान पर आज पश्चिम बंगाल और बिहार पहुंच चूका है . ख़ुफ़िया सूत्रों की माने तो बिहार और बंगाल में आज बड़े पैमाने पर आतंकी संगठन देश विरोधी कार्यो में संलिप्त है जिनको कही ना कही राज्य सरकारों का संरक्षण प्राप्त है जिसकी वजह से जिस प्रकार का ऑपरेशन इनके खिलाफ होना चाहिए नहीं हो पा रहा है . पश्चिमबंगाल के लगभग एक दर्जन जिले पूरी तरह आतंकियों का गढ़ बन चुके है तो दूसरी तरह बिहार के कई जिलो में आतंकियों का नेटवर्क काफी मजबूत है .अगर ताजा घटना क्रम की बात की जाये तो पश्चिमबंगाल से जितनी भी गिरफ्तारी हुई है और उनके पास से जो दस्तावेज बरामद हुए है अगर ये पूरी तरह सफल हो जाते तो जल्द ही बंगाल और आसाम में खून की नदिया बहने वाली थी और ना जाने कितने मासूम असमय काल के गाल में सामने वाले थे लेकिन बंगाल की मुख्या मंत्री ममता बनेर्जी पूरी तरह मामले पर चुप्पी साढ़े हुए है जिससे कही ना कही ऐसा लगता है की आतंकियों को इनका मौन समर्थन प्राप्त है ? देश की सुरक्षा व्यवस्था में इस प्रकार के सेंध से आम आदमी आज डरा हुआ महसूस करता है लेकिन वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीती के तहत इन्हे सिर्फ देश में असहिष्णुता नजर आती है इस लिए जरुरत है की केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों में हस्तछेप करे ताकि कम से आम आदमी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सके .
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