देश में आए दिन होने वाली आतंकी घटनाओ के बाद सरकार से लेकर आम जन मानस तक हंगामा करते है और बड़े पैमाने पर शोर शराबा होता है अख़बार से लेकर खबरिया चेनल तक कई कई दिनों तक सिर्फ और सिर्फ इस मुद्दे पर बहस करती है .घटना यदि पाकिस्तान प्रायोजित हो तो हंगामा और बढ़ जाता है आज कल तो खबरिया चैनेल पाकिस्तान से भी गेस्ट बिठा लेते है ताकि टी आर पी मिलती रहे लेकिन बड़ा सवाल यहाँ यह है की हम पाकिस्तान प्रायोजित आतंक वाद पर जितना हंगामा करते है क्या उतना ही हंगामा नक्सली संगठनो द्वारा किये गए राष्ट्र विरोधी घटनाओ के बाद करते है सायद नहीं .आज हर दुसरे दिन नक्सली संगठनो द्वारा बड़े पैमाने पर नरसंघार किया जा रहा है भारत माँ के वीर सपूतो को घात लगा कर मार दिया जा रहा है इतिहास के पन्नो में जाये तो नक्सल आन्दोलन का जन्म पश्चिम बंगाल के नक्सल बाड़ी से आरम्भ हुआ लेकिन आज जहा से यह आन्दोलन पैदा हुआ था वहा पूरी तरह से शांति है आन्दोलन के जन्म दाता चारू मजुमदार ,कानू सन्याल अब इस दुनिया में नहीं है अपने म्रत्यु के अंतिम दिनों में चारू मजुमदार ने आज के नक्सल आन्दोलन की प्रासंगिकता पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा था की आज के नक्सली अपनी राह भटक चुके है ये कोई आन्दोलन नहीं यह डकैती कर रहे है जब एक संस्थापक के यह विचार हो तो उनके दर्द को समझा जा सकता है।
लेकिन नक्सल बाड़ी से आरम्भ हुआ यह आन्दोलन धीरे धीरे देश के कई राज्यों में अपने पाव पसार चूका है हमारी सत्ता प्रतिष्ठान की कमजोरी कहे या फिर इससे कुछ और इनके द्वारा अंजाम दी गई घटनाओ में प्रति वर्ष हजारो सैनिको की जाने जा रही है .केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा बार बार बयान दिए जाते है उसका नतीजा आज भी सिफर है .नक्सल बाड़ी से अब यह लाल आतंक बिहार ,बंगाल ,उड़ीसा ,छतीस गढ़ .सहित अन्य कई राज्यों तक पहुच गया है .आज नाक्सालियो के पास उच्य कोटि के हथियार मौजूद है आखिर ये हथियार उन्हें कहा से मिलते है खुफिया शुत्रो की माने तो आई एस आई का सहयोग इन्हें प्राप्त है इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे संगठन इनका लाभ उठा रहे है हिंदुस्तान में दहसत फ़ैलाने के लिए . ये नक्सली भी भारतीय है लेकिन जब ये भारत विरोधी कार्यो में संलिप्त हो तो इन्हें हम अपना समझने की भूल नहीं कर सकते हो सकता है की इनके साथ पूर्व में अन्याय हुआ है लेकिन तीन दसक बीत जाने के बाद भी यदि ये संतुष्ट नहीं हो पाए तो यह कहा जा सकता है की इनकी मनसा गलत है किसी भी राष्ट्र की अखंडता को खंडित करने की कोसिस करने वालो की आवज को हमेसा के लिए बंद कर देने का अब समय आ गया है की देश की जनता जागरूक हो कर इनका मुखर विरोध करे साथ ही सत्ता धारी पार्टिया भी वोट बैंक की राजनीती छोड़ कर ठोस उपाय निकाले जिससे की देश की एकता और अखंडता बनी रहे और हमारे वीर सिपाही अपने ही घरो में अपने ही भाइयो के हाथो काल कवलित होने से बचे .लाल आतंक का समूल नाश ही एक मात्र उपाय है क्योकि छुप कर वार करने वाले कभी शांति की भाषा नहीं समझेंगे इनके साथ होने वाली शांतिवार्ता केवल और केवल समय की बर्बादी है और इस बात को हमारे नेता भूल जाते है और उनकी गलतियों के कारन हमारे वीर सिपाही असमय मौत के मुह में जाने को विवश है .
केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलियो द्वारा प्रतिवर्ष नक्सली हमलो में मारे गए जवानो और आम आदमी की संख्या देखे --
लेकिन नक्सल बाड़ी से आरम्भ हुआ यह आन्दोलन धीरे धीरे देश के कई राज्यों में अपने पाव पसार चूका है हमारी सत्ता प्रतिष्ठान की कमजोरी कहे या फिर इससे कुछ और इनके द्वारा अंजाम दी गई घटनाओ में प्रति वर्ष हजारो सैनिको की जाने जा रही है .केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा बार बार बयान दिए जाते है उसका नतीजा आज भी सिफर है .नक्सल बाड़ी से अब यह लाल आतंक बिहार ,बंगाल ,उड़ीसा ,छतीस गढ़ .सहित अन्य कई राज्यों तक पहुच गया है .आज नाक्सालियो के पास उच्य कोटि के हथियार मौजूद है आखिर ये हथियार उन्हें कहा से मिलते है खुफिया शुत्रो की माने तो आई एस आई का सहयोग इन्हें प्राप्त है इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे संगठन इनका लाभ उठा रहे है हिंदुस्तान में दहसत फ़ैलाने के लिए . ये नक्सली भी भारतीय है लेकिन जब ये भारत विरोधी कार्यो में संलिप्त हो तो इन्हें हम अपना समझने की भूल नहीं कर सकते हो सकता है की इनके साथ पूर्व में अन्याय हुआ है लेकिन तीन दसक बीत जाने के बाद भी यदि ये संतुष्ट नहीं हो पाए तो यह कहा जा सकता है की इनकी मनसा गलत है किसी भी राष्ट्र की अखंडता को खंडित करने की कोसिस करने वालो की आवज को हमेसा के लिए बंद कर देने का अब समय आ गया है की देश की जनता जागरूक हो कर इनका मुखर विरोध करे साथ ही सत्ता धारी पार्टिया भी वोट बैंक की राजनीती छोड़ कर ठोस उपाय निकाले जिससे की देश की एकता और अखंडता बनी रहे और हमारे वीर सिपाही अपने ही घरो में अपने ही भाइयो के हाथो काल कवलित होने से बचे .लाल आतंक का समूल नाश ही एक मात्र उपाय है क्योकि छुप कर वार करने वाले कभी शांति की भाषा नहीं समझेंगे इनके साथ होने वाली शांतिवार्ता केवल और केवल समय की बर्बादी है और इस बात को हमारे नेता भूल जाते है और उनकी गलतियों के कारन हमारे वीर सिपाही असमय मौत के मुह में जाने को विवश है .
केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलियो द्वारा प्रतिवर्ष नक्सली हमलो में मारे गए जवानो और आम आदमी की संख्या देखे --
1996: 156 deaths 1997: 428 deaths 1998: 270 deaths 1999: 363 deaths 2000: 50 deaths 2001: 100+ deaths 2002: 140 deaths 2003: 451 deaths 2004: 500+ deaths 2005: 700+ deaths 2006: 750 deaths 2007: 650 deaths 2008: 794 deaths 2009: 1,134 deaths
२ 0 1 0 : 1005
2011 : 606 2012 : 137
क्या अब भी नहीं लगता की इनपर कठोर करवाई की जरुरत है .
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें