बुधवार, 29 मई 2013

क्या इसे माँ कहेंगे ?

केतकी का भरा पूरा परिवार था एक बेटा २ बेटिया कही से कोई दुःख नहीं था केतकी को . पति सुन्दर दास भी अपने परिवार के भरण पोषण के लायक कमा लेते थे लेकिन केतकी पड़ोसिओ के रहन सहन को देख कर मन ही मन कुढती रहती क्योकि बचपन से ही आभाव में पली थी और विवाह के बाद भी आभाव ने उसका पीछा नहीं छोड़ा था केतकी के सपने मन ही मन हिलोरे मरते रहते लेकिन वो कुछ कर नहीं पा रही थी दिन बिताते गए बच्चे भी बड़े हो गए बड़ी बेटी शीतल जहा अपने पैरो पर खड़ी हो चुकी थी वही दूसरी बेटी माया और बेटा पंकज कॉलेज में पढाई कर रहे थे इसी बीच शीतल को गौरव नाम के एक लड़के से प्यार हो गया गौरव काफी पैसे वाला था और उसके माँ बाप की पहले ही मौत हो चुकी थी शीतल ने एक दिन अपने प्यार की बात अपनी माँ केतकी को बताई तो माँ का रोना आरम्भ हो गया की गौरव काफी पैसे वाला है हमारी हैसियत नहीं है उसकी बराबरी करने की और ना जाने क्या क्या लेकिन अन्दर ही अन्दर केतकी खुद के सपनो को पूरा करने का ताना बाना बुनने लगी गौरव को घर पर बुला लिया और गौरव से कहने लगी देखो बेटा हमारी हैसियत नहीं है तुम्हारी बराबरी करने की गौरव बेचारा सीधा साधा नौजवान था केतकी ने जो कहा वो सब पर तैयार हो गया केतकी ने गौरव को बड़ा सा लिस्ट थमा दिया टीवी फ्रिज ए सी और ना जाने क्या क्या उसके बाद गौरव और शीतल परिणय सूत्र में बंध गए लेकिन दिन प्रति दिन केतकी की डिमांड बढती जा रही थी बेचारा सीधा साधा गौरव केतकी की मांग पूरी करता रहा वो भी बिना शीतल की जानकारी के केतकी के पति सुन्दर दास को भी ये सब बहुत बुरा लग रहा था लेकिन पत्नी के आगे उनकी एक ना चलती ऐसे में एक दिन शीतल को अपनी माँ के करतूतों का पता चल गया उसने माँ को खूब खरी खोटी सुनाई लेकिन केतकी की आँखों पर तो लालच का पर्दा चढ़ा था शीतल को ही डाट दिया और धमकी दी की यदि तुमने गौरव को कुछ कहा तो तुम्हारा तलाक करवा दूंगी और कहूँगी की तुम ने गौरव को फसाया था बेचारी शीतल खुद को बर्बाद होते हुए देख रही थी और उधर केतकी की डिमांड बढती जा रही थी गौरव भी केतकी की डिमांड पूरा करता जा रहा था लेकिन अब शीतल से यह सब देखा नहीं जा रहा था क्योकि अब शीतल भी गर्ववती हो चुकी थी और उसे भी अपने बच्चे का भविष्य नजर आ रहा था एक दिन शीतल ने गौरव को माँ की धमकी वाली बात बता दी और आइन्दा रुपया ना देने की गुजारिश गौरव से की इसी बीच २ -३ दिन बीत गए केतकी ने नया ड्रामा किया और पहुच गई गौरव के ऑफिस में गौरव से अपनी गलतियो के लिए माफ़ी माँगा और अपनी दूसरी बेटी अपर्णा को अपने ऑफिस में नौकरी देने की मिन्नतें करने लगी गौरव बेचारा फिर से केतकी की बातो में फस गया और अपर्णा को अपने ऑफिस में नौकरी दे दी केतकी का चाल सफल हो चूका था केतकी ने अपनी बेटी अपर्णा को समझाया की गौरव को तुम्हे अपने रंग रूप के जाल में फ़साना है और शीतल की जगह लेना है बस अपर्णा ने गौरव पर डोरे डालना आरम्भ कर दिया लेकिन गौरव को ये काफी बुरा लगता था दिन बीत रहे थे एक दिन अपर्णा ने गौरव को रेस्टोरेंट में खाना खिलने की जिद की गौरव अपनी साली की बात मान कर चला गया रेस्टोरेंट में अपर्णा ने गौरव के ड्रिंक्स में नशीली दवा मिला दी जिससे गौरव बेहोश हो गया अपर्णा गौरव को अपने घर ले आई जहा केतकी और उसके बेटे पंकज ने मिल कर अपर्णा और गौरव की अश्लील फिल्म बना ली और दुबारा गौरव से 50 लाख रूपये की डिमांड कर दी नहीं तो मुकदमा करने की बात कही गौरव बेचारा डर गया १० लाख रूपये की एक क़िस्त दे दी सुन्दर दास जो की केतकी का पति था उसने भी यह देख लिया और उसने सारी शीतल को बतानी चाही केतकी अपने स्वार्थ में इतना आगे जा चुकी थी की उसने पंकज और अपर्णा को लेकर अपने ही पति सुन्दर दास का क़त्ल कर दिया और सारा आरोप अपनी बड़ी बेटी शीतल पर लगा दिया पुलिस ने शीतल को गिरफ्तार कर लिया अब बेचारा गौरव कही का ना रहा था ऐसे में वकील की मदत लेने की सोची गौरव ने सहर के जाने माने वकील के पास गौरव पंहुचा और अपनी आप बीती सुनाई वकील ने केतकी और उसके साथियो को उन्ही के जाल में फ़साने की सलाह दी और गौरव ने अपर्णा को अपने यहाँ बुलाया दोनों ने शराब पि और शराब के नसे में सारी कहानी अपर्णा ने गौरव को बोल दी जो की एक फिल्म बन चुकी थी गौरव और वकील साहब पुलिस के पास पहुचे और सारी फिल्म दिखाई पुलिस ने भी पूरी कहानी देखने के बाद केतकी अपर्णा और पंकज को गिरफ्तार कर लिया वही शीतल को छोड़ दिया गया यह तो थी क माँ के लालच की कहानी जिसने अपने ही स्वार्थ के चलते भरे पुरे परिवार का गला घोट दिया .क्या कहते है आप समाज में आज लालच की वजह से ऐसे हजारो कहानी मिल जाएगी जो की परिवार के मुखिया की लालच के कारन बर्बाद हो चुकी है इसी लिए तो कहते है लालच बुरी बला ?

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