
गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर से नितीश कुमार पर भारी पड़े है .जब जब नितीश कुमार द्वारा मोदी का विरोध किया जाता है तब तब नरेन्द्र अपनी स्वीकारिता भारतीय राजनितिक मानचित्र पर छोड़ने मे सफल रहते है वही नितीश कुमार को मुह की खानी पड़ती है बुधवार को लोक सभा और विधान सभा उप चुनाव के परिणाम ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया की मोदी का विरोध नितीश को भारी पड़ेगा तो क्या नितीश को मोदी से हाथ मिला लेना चाहिए ?बिहार के महाराजगंज उप चुनाव में जिस प्रकार से जनता दल यू उमीदवार पी.के साही की हार हुई इससे तो यही प्रतीत होता है की मोदी का विरोध यहाँ भारी पड़ा और भाजपा के मतों का भी धुर्विकरण राजद उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह के तरफ हुआ है .प्रभुनाथ सिंह ने १ लाख ३७ हजार मतों से जीत दर्ज की जो की सीधे सीधे मतदाताओ के मूड को दर्शाता है की नितीश के प्रति जनता में कितना गुस्सा व्यापत है .विगत कुछ दिनों से अल्पसंख्यक वोट को अपने खेमे में करने के लिए नितीश कुमार सारे तिकड़म अपना चुके है लेकिन उसके बाबजूद भी बिहार के अल्पसंख्यक मतदाताओ में नितीश के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं है गौरतलब हो की बिहार के 38 ज़िलों में से मात्र एक ज़िला (किशनगंज 78% मुस्लिम आबादी) मुस्लिम बहुल है. तीन और ज़िले कटिहार 43%, अररिया 41% और पूर्णिया 37% ऐसे हैं जहां मुस्लिम मत लोकसभा प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करने की कूवत रखते हैं. लेकिन अन्य जिलो में मात्र ३ -४ प्रतिशत मुश्लिम मतदाता है .मालूम हो की मोदी के विरोध के बाद भी नितीश को किशनगंज के मुश्लिमो ने नकार दिया था और यहाँ भी उनका खाता नहीं खुला था लोजपा से जीत कर आये नौसाद आलम को इन्होने अपनी पार्टी में सामिल करवा कर अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश की वही यदि नरेन्द्र मोदी की स्वीकारिता की बात करे तो गुजरात उप चुनाव में जिस प्रकार का प्रदर्शन किया और लोक सभा की २ सीट और विधान सभा की चार सीट पर अपना कब्ज़ा जमा कर यह सिद्ध कर दिया है की देश की १२१ करोड़ जनता को साथ ले कर चलने की कुब्बत मोदी रखते है चाहे कोई लाख विरोध करे जिसे आगे बढ़ना है वो आगे ही बढेगा उसे कोई रोक नहीं सकता .परिणामो के बाद एक बार पुन्ह मंथन का दौर आरम्भ हो चूका है सायद नितीश कुमार भी आत्म चिंतन करे की उन्हें नरेन्द्र भाई से हाथ मिला लेना चाहिए अन्यथा सायद बिहार की जनता ने अपना मूड बना लिया है ये वही बिहार की जनता है जिसने लालू द्वारा आडवानी के रथ को रोके जाने के बाद लालू को हासिये पर पंहुचा दिया था कही मोदी का रथ रोकने पर नितीश भी हासिये पर ना चले जाये .
Dil Jeet lita apke post nei .. photograph Mast hai !!
जवाब देंहटाएंthanks my say for nice comment
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