शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014
इदं लोकसभां स्वाह:।
रविवार, 9 फ़रवरी 2014
गाँधी और नेहरु की लगाई आग में जल रहा है हिंदुस्तान ?
बात इसी बसंत पंचमी कि है जब पुरे बिहार में माता सरस्वती कि पूजा धूम धाम से मनाई जा रही थी छात्र छात्राए माता कि आराधना में लीन थे और उसके बाद गाजे बाजे के साथ माँ के विसर्जन कि तयारी चल रही थी लेकिन कोई नहीं जनता था कि १९४७ में द्वि राष्ट्र वाद के सिद्धांत पर जो समझौता हुआ उसका खामियाजा नई पीढ़ी को उठाना पड़ेगा पुरानी घटनाओ पर जाये तो विगत कुछ वर्षो में बिहार ,उत्तर प्रदेश , झारखण्ड सहित कई राज्यो के मुश्लिम बहुल इलाको में विभिन्य धार्मिक आयोजनो के बाद निकलने वाले सोभा यात्रा पर हमला आम बात हो गई है ऐसा ही कुछ इस बार बड़े पैमाने पर बिहार में देखने को इस बार मिला जहा विसर्जन में निकलने वाले जुलुश पर पथराव किया गया ,मार पिट कि गई यही नहीं गोलीबारी तक हो गई बिहार के अररिया मधेपुरा , फारबिसगंज ,सीतामढ़ी सहित कई इलाको में ऐसी घटनाये घटी जिसपर समय रहते काबू तो पा लिया गया लेकिन इन घटनाओ में जहा २ लोगो कि मौत हो गई वही ५० से अधिक लोग घायल हो गए आखिर ये क्या है ? क्या सहिष्णुता जैसे सब्द किसी एक वर्ग के लिए ही बनाये गए है या फिर हिन्दू मुश्लिम भाई भाई जैसे नारे देकर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए गड्ढे खुद खोद रहे है क्योकि विगत वर्षो में जिस तरह के हालत देखने को मिल रहे है उससे तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है ? यह ठीक है कि भारत के सविधान ने सभी नागरिको को सामान रुप से अधिकार प्रदान किये है लेकिन इसका कितना पालन हो रहा है क्या उसपर चर्चा कि आवश्यकता नहीं वोट बैंक कि राजनीती के तहत हिन्दुओ को दोयम दर्जे का नागरिक बना कर रख दिया है नेताओ ने क्योकि हिन्दू कभी वोट बैंक नहीं बन पाये १९४७ के बाद से आज तक कश्मीर हो आसाम हो केरल हो सभी स्थानो पर बहुसंख्यक मुश्लिम वर्ग द्वारा हिन्दुओ का सोशन आम बात है गांधी और नेहरू क प्रेम ने ऐसी आग लगाई कि धर्म के आधार पर बटवारे के बाद भी आज तक शांति स्थापित नहीं हो पाई इस लिए अब खुले आम यह नारा लगाया जाता है “लड़ के लिए पाकिस्तान हस कर लेंगे हिंदुस्तान ” ? अब इसके बाद क्या नारा दिया जायेगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा .
शनिवार, 1 फ़रवरी 2014
क्या लालू और कांग्रेस पार्टी जबाब देगी ?
कांग्रेस हमेसा से चाहती थी कि देश टुकड़ो में विभाजित रहे ताकि वो सत्ता सुख भोगते रहे और यही हो रहा है जब देश में महंगाई भ्रटाचार गरीबी अशिक्षा आतंकवाद जैसे मुद्दे हावी हो रहे थे तो तत्काल राहुल गांधी ने सिख दंगो पर बहस छेड़ दी जिसका नतीजा हुआ कि गुजरात दंगो पर भी चर्चा चल निकली। साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता पर पर सवाल खड़े किये जाने लगे कांग्रेस नेता गुजरात दंगो कि बात करते है लेकिन गुजरात दंगो का कारन क्या था और गोधरा में कार सेवको कि हत्या किसने कि इस पर बात करने से कतराते है आखिर नानावटी आयोग कि जाच को ख़ारिज कर लालू प्रसाद यादव ने जिस सप्रंग 1 के दबाब में बनर्जी कमीसन को बनाया उसने कैसे सबूतो से खिलवाड़ किया इसका भी जबाब देश जानना चाहता है ? 2004 में कांग्रेस जैसे ही सत्ता में आई सबसे पहले उसने लालू प्रसाद यादव जो तत्कालीन रेल मंत्री थे पर दबाब बनवा कर गोधरा कांड के जाच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज उमेश चन्द्र बनर्जी के नेतृत्व में बनर्जी कमिसन बनवाया जिसने साबरमती ट्रैन में हुए कारसेवको कि मौत का कारन मानवीय भूल बताया। क्योकि हाजी बिलाल जो कि कांग्रेस नेता था उसे सजा से बचाना इनका मकसद था। गौरतलब हो कि गोधरा में 59 हिन्दुओ के मारे जाने के बाद ही गुजरात में दंगा भड़का था। उसके बाद कांग्रेस ने पोटा हटा दिया बाद में 17 मार्च 2002 को मुख्य संदिग्ध हाजी बिलाल , एक स्थानीय नगर पार्षद और एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समर्थक को गोधरा में एक आतंकवाद विरोधी दस्ते ने गिरफ्तार कर लिया बिलाल ने भी गिरोह के नेता लतीफ के साथ पाकिस्तान में कई बार कराची का दौरा किया था वही कई आरोपी बंगाल के रास्ते बंगलादेश भागने में सफल हो गए थे ? कोर्ट ने बनर्जी कमीशन के बातो को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया और नानावटी साह कमीसन के जाच को तरजीह देते हुए फरवरी 2011 को निचली अदालत 31 लोगों को दोषी करार दिया और इस घटना को एक ” पूर्व नियोजित षड्यंत्र माना। राज्य सरकार ने फैसले के खिलाफ आरोपिओ को फासी देने कि मांग कि है ?क्या इसका जबाब कोई कांग्रेस नेता देगा कि क्यों आज तक गोधरा और सिख दंगो पर बचते फिरते है। बार बार दंगो के नाम पर मुश्लिम तुष्टिकरण कर वोट कि फसल काटने वाले किसी कांग्रेसी राजद सपाई बसपाई के पास इसका जबाब नहीं है ?
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