<strong>अंधविस्वाश में जकड़े किस्से हर दिन अखबारों की सुर्खिया आजादी के ६४ वर्षो बाद भी यदि बन रही है तो इसे इस देश की विडम्बना ही कहेंगे .बचपन में अम्मा बाबु से किस्से कहानियो में सुन चूका डायन शब्द बड़ा होने पर कहावत की " डायन भी सात घर छोड़ देती है " ने अचानक ही आज मन में कई सवालात को जन्म दे दिया क्या सच में डायन जैसी कोई चीज इस पृथ्वी पर है या सिर्फ यह मानव मन की कल्पना मात्र है आये दिन अखबारों में खबर देखने को मिल जाते है फला इलाके में एक महिला को डायन बता कर पिट पिट कर मार डाला गया तो कही महिला को सरे बाजार निर्वस्त्र कर घुमाया गया यही नहीं कभी कभी तो पुरे परिवार को ही मौत के घाट उतार देने की बात सामने आती है ऐसी ही एक खबर बिहार के पूर्णिया जिले का हरदा प्रखंड जहा पड़ोशियो ने शक के आधार पर जुलेखा खातून नाम की महिला को पिट पिट कर मार डाला क्योकि जुलेखा के पडोश में रहने वाली महिला हमेसा बीमार रहती थी और पड़ोशियो को शक हो गया की जुलेखा डायन है और इसी की वजह से जुलेखा को मौत दे दी गई दूसरी घटना झारखण्ड के गुमला जिले की जहा पुरे परिवार को ही मार दिया गया क्योकि एक बच्चे की मौत का सक उस परिवार पर था ऐसे सैकड़ो मामले बिहार ,झारखण्ड ,उत्तर प्रदेश ,राजेस्थान ,गुजरात ,पूर्वोतर भारत के कई राज्यों में आये दिन सामने आ रहे है लेकिन आखिर इस डायन शब्द का सच क्या है सही मायने में कोई आज तक नहीं जान पाया और ना ही कोई कोशिश ही हमारे सभ्य समाज के द्वारा की गई जब इस मामले के तह में गया तो पता चला की ग्रामीण क्षेत्रो में झार फुक का बड़े पैमाने पर आज भी प्रचालन है और लोग बीमार होने पर डॉक्टर से पहले ओझा के पास पहुचते है और इसकी जड़ में ये झार फुक का धंधा ही है जो इन मौतों का जिम्मेवार है कुछ स्वार्थी लोग (शायद आप को विस्वाश ना हो ) अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए तंत्र मन्त्र का सहारा लेते है और तंत्र सिद्धि कर स्वार्थ की पूर्ति करते है इनमे जो महिला तंत्र साधक होती है जिन्हें हम साधिका कह सकते है जिनकी साधना समाज के कल्याण के लिए ना होकर स्वयम के कल्याण हेतु होती है या फिर जब तक समाज के कल्याण हेतु इनके द्वारा कार्य किया जाता है तब तक तो इनकी पूजा होती है लेकिन जैसे ही ये इस तंत्र शक्ति का दुरूपयोग कर अपना स्वार्थ पूरा करना चाहती है तो ग्रामीण इन्हें डायन जैसे नाम दे देते हैऔर धीरे धीरे एक समय ऐसा आता है की उसी शक्ति की वजह से इन्हें ये दुष्परिणाम झेलना पड़ता है .शायद आप मेरे विचार से सहमत ना हो लेकिन यह एक सच्चाई है जिससे हमें स्वीकार करना पड़ेगा जरुरत है लोगो को जागरूक करने की वो इस तंत्र मंत्र के जाल में ना फसे जिससे की जिन्दगिया बर्बाद होती हो .वही किसी की भी हत्या कर देना सिर्फ शक के आधार पर इसे भी उचित नहीं ठहराया जा सकता अपने बहुमूल्य विचार जरुर दे /</strong>
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