जनसंघ और भाजपा के संस्थापको में से एक श्री लाल कृष्ण आडवानी जी ने भारतीय जनता पार्टी को शीर्ष स्थान पर पहुचने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसे कोई भुला नहीं सकता लेकिन नरेन्द्र मोदी के बढ़ते कद से आहात हो कर उन्होंने जिस प्रकार पार्टी के सभी प्रमुख पदों से इस्तीफा देने का फैसला किया है इसे भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है जिस व्यक्ति को आज परिवार में बुजुर्ग की तरह छोटो को राह दिखानी चाहिए वही व्यक्ति कुर्शी की चाहत में अपने ही बनाये घर को उजाड़ने के प्रयास में लग गया .आज जब सम्पूर्ण भारत कांग्रेस के भ्रस्ताचार से मुक्ति पाना चाहता है और भाजपा को विकल्प के रूप में देख रहा है ऐसे समय में आडवानी जी के इस्तीफे को कोई भी राष्टवादी व्यक्ति सही नहीं कहेगा आखिर इतनी दरार क्यों पड़ गई आडवानी और पार्टी की मध्य यह भी विचारनीय प्रश्न है गौरतलब हो की यह उनका पहला इस्तीफा नहीं है यह उनका तीसरी बार दिया गया इस्तीफा है इससे पहले भी दो बार उन्होंने इस्तीफा दिया था लेकिन नेताओ के मानाने के बाद मान गए थे लेकिन इस बार अपनी हठधर्मिता पर अड़े हुए है २००९ के लोक सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें प्रधान मंत्री पद का दावेदार घोषित किया लेकिन पार्टी को हार का सामना करना पड़ा उसके बाद से ही आडवानी के विकल्प की तलास में पूरा संघ परिवार लगा हुआ था और धीरे धीरे विकल्प के रूप में नरेन्द्र मोदी उभरे लेकिन मोदी जिन्हें आडवानी ने ही मुख्या मंत्री की कुर्शी तक पहुचाया था और समय समय पर उनकी मदत भी करते रहते थे जब देखा की चेला चीनी बन रहा है तो बर्दास्त नहीं हुआ और विरोध करने लगे लेकिन संघ परिवार के युवा नेतृत्व की आवश्यकता ने आडवानी की दाल नहीं गलने दी और उनकी अनुपस्तिथि में ही मोदी को प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया जिससे आग बबूला हो आडवानी ने इस्तीफा दे दिया यहाँ आडवानी जी यह भूल गए की जो माली वृक्ष लगता है वो फल नहीं खा पाता .कृष्ण की तरह अर्जुन का सारथि बन कौरवो का नाश करे आडवानी जिससे इतिहाश के पन्नो में उनका नाम दर्ज हो ना की गुरु द्रोणाचार्य की तरह सिष्य की ऊँगली ही गुरु दक्षिणा स्वरुप मांग ले .साथ ही स्वार्थ की पराकाष्टा को पार करने की पीछे और भी अन्य कारन हो सकते है जिसकी जाच भी होनी चाहिए यदि पार्टी नेताओ द्वारा आडवानी की कही अनदेखी की गई जिससे वो आहात है तो उसमे भी सुधर किया जाना चाहिए प्रासंगिकता आज भी भाजपा में एक बुजुर्ग नेता की हैसियत से रहनी चाहिए जो की परिवार के बच्चो को दिशा दे क्योकि एक समय के बाद जब बच्चे बड़े हो जाते है तो बुजुर्ग ही उन्हें सही राह दिखाते है आडवानी जी को बच्चो की तरह हठ नहीं करना चाहिए उन्हें नरेन्द्र मोदी को आशीर्वाद देना चाहिए ताकि इस देश से कांग्रेस रूपी विष बेल को समाप्त किया जा सके .
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