ऐसा लगता है की पुलिस और सुरक्षा बल के जवानो को अब अपराधियों से भिड़ने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना पड़ेगा की आतंकी या अपराधी हिन्दू है या मुश्लिम हिन्दू हुए तो ठीक उन्हें ठोक दिया जायेगा लेकिन कही भूल से वो मुश्लिम हो गए तो उन्हें राज्यों की पुलिस एन आई ए या सीबी आई के हवाले कर देगी एन आई ए उन्हें सोनिया और शिंदे तक ले जायेगा.गुनाह काबुल कर लिया तो ठीक नहीं तो उन्हें अखिलेश या नितीश या लालू के पास भेज दिया जायेगा मुआवजे के लिए आतंकियो को मुआवजे के साथ साथ नौकरी की भी पेश कश की जाएगी नौकरी लिया तो ठीक नहीं तो उन्हें मुआवजे के साथ जकिया जाफरी के पास भेज दिया जायेगा गवाह बना कर इस लिए सावधान ए देश के वीर जवानो तुम मरे तो कोई बात नहीं आतंकी नहीं मरना चाहिए तुम मरे तो १० लाख आतंकी मरा तो जिंदगी भर अदालत के चक्कर अब बोलो अदालत के चक्कर लगाना चाहते हो या आतंकियो के हाथो सहीद क्योकि केंद्र सरकार जिस प्रकार का राजनीती इशरत जहा मामले में कर रही है उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है सी बी आई और आई बी जैसी दो संवैधानिक संस्था आपस में भीड़ गई है और पूरा देश समझ रहा है की किसके इशारे पर सी बी आई ऐसा कदम उठा रही है गुजरात के मुख्या मंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो इन देश द्रोहियो ने पुरे मुडभेड से नरेन्द्र मोदी और अमित साह का नाम जोड़ दिया की उन्हें जानकारी थी क्या अब तक जितने भी आतंकियो की मौत हुई है कांग्रेस शाशित राज्यों के मुख्या मंत्रियो को इसकी जानकारी होती थी ?
और कहा जा रहा है की सी बी आई चार्जशीट में दोनों का नाम डाल सकती है .जबकि आजतक समाचार चैनेल ने विगत सप्ताह आतंकियो द्वारा की गई बात चित का टेप सार्वजनिक कर दिया था की इशरत और उनके साथियो की मंशा क्या थी .पिछले १५-२० वर्षो में आतंकी गतिविधिओ में सामिल सैकड़ो एनकाउंटर हुए और अधिकतर कांग्रेस साशित राज्यों में लेकिन इतना बबाल कभी नहीं मचा ना तो मीडिया ने ना ही केंद्र सरकार ने कभी इन मामलो की सुधि ली लेकिन छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ने का प्रयाश जिस प्रकार से किया जा रहा है क्या यह उचित है ऐसे में क्या पुलिस के जवान गुप्त सुचना के आधार पर कोई करवाई करने की हिम्मत दिखायेंगे ?
और कहा जा रहा है की सी बी आई चार्जशीट में दोनों का नाम डाल सकती है .जबकि आजतक समाचार चैनेल ने विगत सप्ताह आतंकियो द्वारा की गई बात चित का टेप सार्वजनिक कर दिया था की इशरत और उनके साथियो की मंशा क्या थी .पिछले १५-२० वर्षो में आतंकी गतिविधिओ में सामिल सैकड़ो एनकाउंटर हुए और अधिकतर कांग्रेस साशित राज्यों में लेकिन इतना बबाल कभी नहीं मचा ना तो मीडिया ने ना ही केंद्र सरकार ने कभी इन मामलो की सुधि ली लेकिन छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ने का प्रयाश जिस प्रकार से किया जा रहा है क्या यह उचित है ऐसे में क्या पुलिस के जवान गुप्त सुचना के आधार पर कोई करवाई करने की हिम्मत दिखायेंगे ?
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