मंगलवार, 27 अगस्त 2013

रेपिस्टो का स्वर्ग भारत ?

बलात्कार हिन्दुस्तानियो के दिन चर्या में सामिल हो गया है प्रात:काल हाथो में आने वाले अख़बार में कभी तमाम देश दुनिया की समस्याओ से रु बरु होने का मौका मिलता था अब चाय की चुस्कियो के साथ साथ बलात्कार की खबरों से मुख्या पृष्ट भरा होता है समाचार चेनल के टिकर हो या हेड लाइन्स सभी २१वि सताब्दी में बलात्कार की खबरों से भरे पड़े है कही नाबालिग से बलात्कार कही मौलवी द्वारा अपनी शिष्या से बलात्कार तो कही संत द्वरा बलात्कार इन तमाम बलात्कार की खबरों को देख सुन और पढ़ कर पूरी दिन चर्या ही बदल सी गई है . अब  तो गली मुह्हाले से लेकर  चौक चौराहे की चाय दुकान हो या मॉल लोग बलात्कार पर ही चर्चा करते दिख जाते है .? कही ४ साल की बच्ची का बलात्कार १२ साल के लड़के द्वारा हो रहा है तो ७० साल की बुजुर्ग महिला भी अछूती नहीं रह रह गई है बलात्कारियो के लिए ऐसी स्थिथि पर अपना हिंदुस्तान पहुच गया है ? लेकिन जब बलात्कार के कारणों पर प्रबुद्ध जन चर्चा करते है और इससे बचने के उपाय बताते है तो बड़ा ही हास्यास्पद लगता है हो सकता है की आप मेरे बातो से सहमत ना हो पाए लेकिन वर्त्तमान में समाचार चेनलो पर जो बलात्कार को रोकने के लिए चर्चो का दौर चलता है और ४-५ लोग बैठ कर बड़ी बड़ी डींगे हाकते है की कठोर कानून बना दिया जाये बलात्कारी के लिए फासी की सजा मुक़र्रर की जाये से में खुद को अलग रख कर देखता हूँ ?आज भारत में जितने भी कानून बलात्कारियो के लिए है मेरे विचार से पूर्ण है ? सबसे पहले हमें आवश्यकता है की बलात्कारियो को बलात्कार के लिए उत्प्रेरक का काम करने वाले तत्वों की तलास करना और उन्हें जड़ से समाप्त करना तभी जा कर हम इस घिनौने काम पर रोक लगा सकते है ?  भूमंडली करण ने हिंदुस्तान को कुछ अच्छा दिया लेकिन उससे कही अधिक बुराई फैलाई है जिसे तथाकथित आधुनिक सोच वाले कतई मानने को तैयार नहीं है और जो आधुनिकता पर सवाल खड़े करते है उनका ये खिल्ली उड़ाने से बाज नहीं आते चाहे निर्भया मामले में संघ प्रमुख मोहन भगवत का बयान " की बलात्कार इंडिया में हो रहा है " या फिर अभी सपा नेता नरेश अगरवाल का यह बयान की "लडकियो को ढंग के कपडे पहने चाहिए " की जबरदस्त खिल्ली उड़ाई गई कोई यह मानने को तैयार नहीं है की हम जैसा देखते है वैसा ही सीखते है आज टी वी , सिनेमा ने जिस तरह अश्लीलता फैलाई है शिक्षा   पद्दति   में जितनी  गिरावट  आई  है की उसे मानने को ये तैयार नहीं है .छोटे  छोटे  बच्चे जब टी वी और इन्टरनेट पर शक्ति प्राश . और अन्य कमोतेजक विज्ञापन देखते है तो उनके मन में भी जिज्ञासा उत्पन होती है ? प्रकृति का नियम है की पुरुष का नारी के प्रति स्वाभाविक आकर्षण होगा . पुरुष नारी को देख कर उसके निकट आने की कोसिस हमेसा से करता रहा है और करता रहेगा इसी से सृष्टी चलती है पुरुष के अन्दर हमेसा नारी का सानिध्य प्राप्त करने की चाहत रही है और रहेगी ? आप मेरे विचारो से सहमत हो भी सकते और नहीं भी कहेंगे की पुराणी सोच वाला व्यक्ति है लेकिन यह सच्चाई है बाजार में बगल से गुजरने वाली महिला को १६ साल का जबान भी घूम कर देखता है और ६० साल का बुजुर्ग भी क्योकि नारी एक आकर्षण है और जो इस आकर्षण से बच निकलता है वो संत होता है जो में और आप नहीं है जब विस्वमित्र नहीं बचे तो हम क्या चीज़ है . अगर इस घिर्नित कार्य को रोकने की प्रबल इक्च्छा सब के मन में है तो अविलब आधुनिकता के साथ साथ नैतिकता पर धयन दे बच्चो को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ संस्कार वान बनाये तभी बलात्कार की घटना रुक सकती है अन्यथा कितना भी सख्त से सख्त कानून बना ले कुछ होने वाला नहीं है आधुनिकता रूपी राक्षस सब समाप्त कर देगा ///////////////////////// बुरा लगे तो क्षमा करेंगे ?

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