नक्सलियो ने बिहार में एक सप्ताह के अंदर दूसरा हमला किया इन हमलो में अब तक 8 जवानो कि असमय मौत हो गई ऐसा नहीं है कि यह हमला बहुत दिनों के अंतराल में किया गया हो नक्सली आये दिन हमले कर बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहे है हलाकि उन हमलो कि आवाज सत्ता प्रतिष्ठान के कान के नसो को झकझोर नहीं पाती थी लेकिन मुंगेर के जमाल पुर में हुए इंटर सिटी एक्सप्रेस और औरंगाबाद में पुलिस गस्ती पर हुए ताजा हमलो कि गूंज पटना ही नहीं पुरे देश तक पहुँच गई है। पिछले कुछ दिनों से नक्सलियो ने बिहार में अपना खुनी तांडव तेज कर दिया है लेकिन बिहार सरकार तमाम ख़ुफ़िया जानकारी रहने का दावा करने के बावजूद इनके नेटवर्क को भेद पाने में पूरी तरह असफल है। मुख्य मंत्री नितीश कुमार के जिम्मे प्रदेश का गृह विभाग भी है लेकिन अठारह विभागो के बोझ तले नितीश कुमार कुछ भी करने में असमर्थ दीखते है कही ना कही उनके कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठना लाजिमी है कि जब बिहार के एक दर्जन से अधिक जिले नक्सल प्रभावित हो उसके बाद भी इस समस्या का हल निकालने के लिए कोई ठोस निति आज तक क्यों नहीं बनाई गई ? गौरतलब हो कि बिहार सरकार ने अन्य नक्सल प्रभावित राज्यो कि तरह बिहार में ऑप्रेशन ग्रीन हंट की मंजूरी नहीं दी है ? जिसका लाभ यहाँ के नक्सली उठाते है और अगर ख़ुफ़िया सूत्रो कि माने तो पिछले साल कि तुलना में इस साल बिहार में नक्सलियो का हमला कई गुना अधिक बढ़ चूका है इस साल अब तक लगभग 60 से अधिक जवान और नागरिक इन हमलो में मारे जा चुके है वही हथियारो कि लूट भी बड़े पैमाने पर हुई है गौरतलब हो कि पुरे देश में नक्सलियो ने जितने हथियार सुरक्षा बलो से छिने है उसका 50 फीसदी अकेले बिहार से छीना गया है वही बिहार पुलिस के हौसले पूरी तरह पस्त है और 2013 में एक भी नक्सली को पुलिस मार गिराने में अब तक सफल नहीं हो पाई है इसके बावजूद भी बिहार सरकार के गृह विभाग कि कुम्भकर्णी निंद्रा नहीं टूटी है और नक्सल प्रभावित जिलो में नक्सलियो के सफाये के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है ? आखिर क्या है सरकार कि नक्सल निति वो मारते रहे और हमारे जवान और नागरिक भेड़ बकरी कि तरह मरते रहे ? क्यों नहीं दी गई यहाँ ऑप्रेशन ग्रीन हंट जैसे अभियानो को मंजूरी ? एक साल में क्यों नहीं मरा एक भी हमलावर ? ऐसे में सरकार राज्य के नागरिको की सुरक्षा के प्रति कितनी चिंतित है यह समझा जा सकता है।
मंगलवार, 3 दिसंबर 2013
सोमवार, 25 नवंबर 2013
नितीश सरकार के आठ साल का सच ?
बिहार कि नितीश सरकार ने आठ साल पुरे कर लिए है जिसका रिपोर्ट कार्ड आज बड़ी गर्म जोशी से इन्होने जारी किया और सरकार कि उपलब्धिया गिनवाई है जिसमे सभी मोर्चे पर सरकार कि सफलता का गुणगान किया गया है लेकिन इसकी जमीनी सच्चाई क्या है ? अगर इन आठ वर्षो के शासन व्यवस्था का मुल्यांकन पहले पाच वर्षो को छोड़ कर किया जाए तो नतीजा शून्य निकलता है। बिहार का आम नागरिक होने के नाते सरकार के इन तीन वर्षो के कार्यकाल पर यही कहा जा सकता है की "हाथी के दाँत दिखाने के और खाने को अलग अलग होते है " वाली कहावत पूरी तरह यहाँ चरितार्थ हुई है ? शिक्षा , स्वास्थ्य , कानून व्यवस्था के साथ साथ पेयजल, परिवहन , बिजली का जितना ढिंढोरा पीटा जा रहा है जमीन पर कही नजर नहीं आता। जहा देखो बाबुओ का राज कायम है। उच्य शिक्षा अपनी बदहाली पर आसुँ बहा रही है कॉलेज में शिक्षक नहीं है ,स्कुल में शिक्षक है तो उन्हें जनवरी फरबरी लिखना नहीं आता अस्पताल में बड़े बड़े बिल्डिंग बना गए लेकिन बिना चिकित्सक के सफ़ेद हाथी बने हुए है।सदर अस्पताल रेफरल अस्पताल बने हुए है मरीज असमय काल के गाल में जाने पर विवश है कानून व्यवस्था कि बात करे तो चोरी ,लूट , बलात्कार ,हत्या का ग्राफ बड़े पैमाने पर बढ़ा है ग्रामीण जलापूर्ति योजना अपनी बदहाली पर आसुँ बहा रही है। सहरी क्षेत्र में उचे ऊचे जलमीनार शोभा कि वस्तु बने हुए है। परिवहन कि बात करे तो प्राइवेट बस मालिको ने लूट मचा रखा है। मनमाना किराया इनके द्वारा उसुला जा रहा है बिजली कि बात करना आवश्यक है क्योकि गाव में आठ घंटे बिजली देने कि घोषणा बड़े जोर शोर से करते है मुख्यमंत्री जी लेकिन खुद इनके विधायक के गाव में तीन साल हो गए बिजली नहीं पहुची तमाम विभागो में भ्रस्टाचार का बोलबाला कायम है बस अब बिहार सूर्य अस्त होते ही मस्त हो जाता है क्योकि विकाश कही नजर आता है तो दारु के ठेके पर नजर आता है जो आज गली गली में खुल गए है ?
गुरुवार, 21 नवंबर 2013
रोटी और बेटी ?
भारत और नेपाल का सम्बन्ध कभी रोटी और बेटी का हुआ करता था लेकिन अब समय बदल चूका है ? नेपाल में राजशाही कि समाप्ति के बाद जब से माओवादिओं ने सत्ता सम्भाली तब से ही नेपाल भारत विरोधी गतिविधिओ का मुख्य केंद्र बन गया क्योकि माओवादी चीन के करीबी थे और चीन हमारा परम्परागत दुश्मन . नेपाल के रास्ते बड़े पैमाने पर मादक पदार्थो कि तश्करी के साथ साथ जाली नोट और आतंकी गतिविधिओ का सञ्चालन माओवादिओं के संरक्षण में होने के कई मामले सामने आये लेकिन भारत सरकार द्वारा कोई ठोश कदम नहीं उठाया गया ? यही नहीं नेपाल में माओवादिओं द्वारा भारत विरोधी नारे चीन को खुश करने के लिए लिखे गए सूत्रो कि माने तो नेपाल कि जमीन पर चीन भारत विरोधी गतिविधिओ को अंजाम देने के लिए राशि भी उपलब्ध करवाता है साथ ही भारत कि सीमा तक सडको के जाल चीन के रूपये से बिछा दिए गए है और अब एक बार फिर जो हालात नेपाल चुनाव के बाद उभर कर सामने आ रहे है उनपर विचार करने कि अवसयकता है ? क्योकि नेपाल चुनाव २०१३ में माओवादी नेता प्रचंड कि जबर्दस्त हार हुई है और प्रचंड ने चुनाव बहिस्कार कि धामी दे डाली है यदि प्रचंड सत्ता से बेदखल होते है तो इसके गम्भीर परिणाम नेपाल में देखने को मिलेंगे माओवादी एक बार पुनः नेपाल में सक्रिय हो सकते है या फिर नेपाल में सत्ता विरोधी आंदोलन यदि होते है तो इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा इसलिए भारत सरकार को नेपाल के हालातो पर नजर रखने कि आवश्यकता है ताकि वह लोकतंत्र बहाल रहे और नेपाल से जो रोटी और बेटी का सम्बन्ध शदियों से चला आ रहा है उसपर खतरा ना मंडराए ?
बुधवार, 30 अक्तूबर 2013
एक दोस्त कि कहानी ?
एक दोस्त कि कहानी ?
अचानक ही सड़क से गुजरते वक्त नजर एक रिक्से वाले पर पड़ी देखा तो चौक गया क्योकि वो मेरे बचपन का मित्र श्याम था लेकिन श्याम रिक्सा चला रहा था ये बात कुछ समझ में नहीं आई आखिर इतना बुरा दिन कैसे आ गया श्याम का उससे पूछने और नजर मिलाने कि हिम्मत भी नहीं हो रही थी तब तक वो सवारी लिए आगे बढ़ चूका था और मुझे भी अपने काम में जाना था तो आगे बढ़ गया लेकिन पूरा दिन मस्तिष्क इसी उधेड़ बुन में लगा रहा कि आखिर श्याम कि ऐसी हालत क्यों हो गई साम में अन्य मित्रो से पता करने कि कोसिस कि तो पता चला कि जो श्याम १० वी कक्षा में ही में १०० रूपये कि नोट में तम्बाकू लपेट कर सिगरेट कि तरह पीता था अपनी साह खर्ची कि वजह से आज ऐसी स्थति पर पहुच गया कि दो जून कि रोटी के लिए रिक्शा चलाने पर मजबूर है . एक समय था जब श्याम को सभी मित्रो से अधिक पॉकेट मनी उसके पापा देते थे उसके पापा मछली के थोक व्यवसाई थे और सहर में उनकी अच्छी पहुच थी लेकिन उनकी मृत्यू के बाद श्याम अपनी साह खर्ची कि वजह से बने बनाये धंधे को बर्बाद करने के बाद अब पेट भरने के लिए रिक्सा चला रहा है . दोस्तों यह एक सच्ची घटना है और मुझे लगता है कि हमें इससे बहुत कुछ सिखने कि आवश्यकता है . अपने बहुमूल्य विचार जरुर दे कि में उस बचपन के मित्र के लिए क्या करू जिससे कि उसकी जिंदगी पुनः पटरी पर दौड़े
अचानक ही सड़क से गुजरते वक्त नजर एक रिक्से वाले पर पड़ी देखा तो चौक गया क्योकि वो मेरे बचपन का मित्र श्याम था लेकिन श्याम रिक्सा चला रहा था ये बात कुछ समझ में नहीं आई आखिर इतना बुरा दिन कैसे आ गया श्याम का उससे पूछने और नजर मिलाने कि हिम्मत भी नहीं हो रही थी तब तक वो सवारी लिए आगे बढ़ चूका था और मुझे भी अपने काम में जाना था तो आगे बढ़ गया लेकिन पूरा दिन मस्तिष्क इसी उधेड़ बुन में लगा रहा कि आखिर श्याम कि ऐसी हालत क्यों हो गई साम में अन्य मित्रो से पता करने कि कोसिस कि तो पता चला कि जो श्याम १० वी कक्षा में ही में १०० रूपये कि नोट में तम्बाकू लपेट कर सिगरेट कि तरह पीता था अपनी साह खर्ची कि वजह से आज ऐसी स्थति पर पहुच गया कि दो जून कि रोटी के लिए रिक्शा चलाने पर मजबूर है . एक समय था जब श्याम को सभी मित्रो से अधिक पॉकेट मनी उसके पापा देते थे उसके पापा मछली के थोक व्यवसाई थे और सहर में उनकी अच्छी पहुच थी लेकिन उनकी मृत्यू के बाद श्याम अपनी साह खर्ची कि वजह से बने बनाये धंधे को बर्बाद करने के बाद अब पेट भरने के लिए रिक्सा चला रहा है . दोस्तों यह एक सच्ची घटना है और मुझे लगता है कि हमें इससे बहुत कुछ सिखने कि आवश्यकता है . अपने बहुमूल्य विचार जरुर दे कि में उस बचपन के मित्र के लिए क्या करू जिससे कि उसकी जिंदगी पुनः पटरी पर दौड़े
रविवार, 20 अक्तूबर 2013
पाकिस्तान का अंत हम भारतीयों का सपना ?
वर्ष १९४७ भारत का बटवारा एक अलग देश पाकिस्तान का जन्म हम भारतीयों ने सोचा सायद इन्हें अब शांति मिल जाएगी लेकिन यह तत्कालीन हुक्मरानो की बहुत बड़ी भूल साबित हुई और उनकी भूल का खामियाजा हम आज 67 वर्ष बीत जाने के बाद भी भुगत रहे है कहने को तो दुनिया के तमाम देशो ने पाकिस्तान को एक आतंकी मुल्क घोषित कर दिया लेकिन परोक्ष रूप से इन्ही मुल्को ने पाकिस्तान को पूरी दुनिया में आतंक फ़ैलाने की छुट दे रखी है क्योकि पाकिस्तान इन देशो से बड़े पैमने पर हथियार खरीदता है जिसका उधारण हमने अनेको मामले में देखा और परखा है ? जवाहर लाल नेहरु से लेकर वर्त्तमान प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह तक ने पाकिस्तान से समय समय पर समझौते किये लेकिन पाकिस्तान द्वारा तमाम समझौतों को दरकिनार किया गया और हम मूकदर्शक बन देखते रहे शिमला समझौता हो या आगरा समझौता लेकिन पाकिस्तान ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी . नियंत्रण रेखा पर बार बार अतिक्रमण और युद्ध विराम का उलंघन करके पाकिस्तान ने अपनी नियत को जाहिर किया और हम दोस्ती का एकतरफा प्रयाश करते रहे खोखली चतावनी देते रहे लेकिन उनके द्वारा हमले और तेज कर दिए गये जिसका नतीजा है की आज कश्मीर का बड़ा भू भाग उनके कब्जे में है जहा से आतंकी गत्विधियो का सञ्चालन बड़े पैमाने पर हो रहा है हमारे जवान सरकार की नपुंसकता की वजह से मारे जा रहे है जबकि हम बार बार सुरक्षा परिषद् और अमरीका के सामने गुहार लगाते रहे है क्या यह हमारी सुरक्षा और विदेश निति पर सवालिया निसान नहीं खड़े करता ऐसे में जब आये दिन पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम का उलंघन करके नियंत्रण रेखा पर फायरिंग की जा रही हो जवानो के साथ साथ निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हो तब क्या बात चित से समस्या का हल संभव है मेरे विचार से नहीं क्योकि " लातो के भुत बातो से नहीं मानते "हो सकता है आप मेरे विचारो से सहमत ना हो लेकिन यही सच है आप में से कुछ कहेंगे युद्ध समस्या का समाधान नहीं है ? युद्ध से महंगाई बढ़ेगी ? तो भैया आज भी महंगाई कहा कम है याद कीजये लाल बहादुर शास्त्री जी , इंद्रा गाँधी और अटल बिहारी बाजपाई जी को जिन्होंने पाकिस्तान और चीन को छटी का दूध याद दिलाया था और आम जनता से अपील की थी एक समय का भोजन बचाने की और हम युद्ध में विजयी हुए थे 90000 हजार पाकिस्तानी सैनिको को बंदी बनाया गया था . विश्व में सबसे अधिक युवाओ वाले देश है हम और हमारे युवा जब सेना में नौकरी के लिए घुश देते हो तो समझये युवाओ की भावना को जब सरीर का एक अंग ख़राब हो जाता है तो उसे डॉक्टर काट कर हटा देते है की कही बीमार अंग अन्य अंगो को भी ख़राब ना कर दे यहाँ पाकिस्तान हमारा पडोसी है जो बार बार हमारे सैनिको पर हमले कर रहा है देश का युवा अब यही सपना देखता है भले एक समय भूखा रहना पड़े लेकिन ऐसे पडोशी का अंत होना चाहिए . "अब नगाड़ा बज चूका है सीमा पर सैतान का नक्से पर से नाम मिटा दो पापी पाकिस्तान का " वन्दे मातरम
गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013
बिहार की राजनीती के एक अध्याय का अंत ?
बिहार की राजनीती में धुर्ब तारा बन कर उभरे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की राजनीती का आज अंत हो गया उनका राजनितिक केरियर लगभग पूरी तरह समाप्त हो गया क्योकि सर्वोच्य नयायालय के आदेश के अनुसार अब वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे गौरतलब हो की बहुचर्चित 956 करोड़ के चारा घोटाला मामले में सी बी आई कोर्ट ने लालू यादव को 5 साल की सजा
के साथ साथ 25 लाख का जुर्माना सुनाया वही जे डी यू सांसद जगदीश शर्मा और ;जगरनाथ मिश्र को भी 4 - 4 साल की सजा सुनाई गई है ? बिहार में माय ( मुश्लिम + यादव ) समीकरण के जरिये सत्ता तक पहुचे लालू यादव ने कभी " भूरा बाल साफ़ करो "जैसे नारे देकर समाज को तोड़ने का जो काम किया था इससे उसका भी अंत हो गया यही नहीं लाल कृष्ण आडवानी की रथ यात्रा को समस्तीपुर में रोक कर तो वो रातो रात मुश्लिम रहनुमा गए थे समाज वाद का सबसे बड़ा पहरुआ भी लालू स्वयं को बताने में पीछे नहीं रहे बहुबल धन बल के साथ साथ तमाम विवादों से लालू का पुराना रिश्ता रहा रेल मंत्री बनाने के बाद लालू ने कई बदलाव कर जनता के दिल को जितने की कोसिस की लेकिन पुराने मित्र नितीश कुमार ने पटखनी देकर सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया उसके बाबजूद संघ विरोध की राजनीती करके बिहार में सत्ता के एक प्रमुख केंद्र बने रहे लालू यादव प्रधान मंत्री बनने का सपना पाले बैठे रहे लेकिन सायद लालू यादव भूल गए की कानून भी कोई चीज़ है इस फैसले से बिहार ही नहीं देश की जनता का भी विस्वाश न्यायिक प्रक्रिया पर बढ़ा है और फैसले ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया भारत की न्यायिक प्रक्रिया में विलंब हो सकता है लेकिन कोई मुजरिम जुर्म करके बच नहीं सकता अब हम बिहारिओ को 22 nov का इंतजार है जब इसी मामले में वर्त्तमान मुख्या मंत्री नितीश कुमार और शिवानन्द तिवारी जिनपर मिल कर 1 . 5 करोड़ रूपये लेने का आरोप है
के साथ साथ 25 लाख का जुर्माना सुनाया वही जे डी यू सांसद जगदीश शर्मा और ;जगरनाथ मिश्र को भी 4 - 4 साल की सजा सुनाई गई है ? बिहार में माय ( मुश्लिम + यादव ) समीकरण के जरिये सत्ता तक पहुचे लालू यादव ने कभी " भूरा बाल साफ़ करो "जैसे नारे देकर समाज को तोड़ने का जो काम किया था इससे उसका भी अंत हो गया यही नहीं लाल कृष्ण आडवानी की रथ यात्रा को समस्तीपुर में रोक कर तो वो रातो रात मुश्लिम रहनुमा गए थे समाज वाद का सबसे बड़ा पहरुआ भी लालू स्वयं को बताने में पीछे नहीं रहे बहुबल धन बल के साथ साथ तमाम विवादों से लालू का पुराना रिश्ता रहा रेल मंत्री बनाने के बाद लालू ने कई बदलाव कर जनता के दिल को जितने की कोसिस की लेकिन पुराने मित्र नितीश कुमार ने पटखनी देकर सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया उसके बाबजूद संघ विरोध की राजनीती करके बिहार में सत्ता के एक प्रमुख केंद्र बने रहे लालू यादव प्रधान मंत्री बनने का सपना पाले बैठे रहे लेकिन सायद लालू यादव भूल गए की कानून भी कोई चीज़ है इस फैसले से बिहार ही नहीं देश की जनता का भी विस्वाश न्यायिक प्रक्रिया पर बढ़ा है और फैसले ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया भारत की न्यायिक प्रक्रिया में विलंब हो सकता है लेकिन कोई मुजरिम जुर्म करके बच नहीं सकता अब हम बिहारिओ को 22 nov का इंतजार है जब इसी मामले में वर्त्तमान मुख्या मंत्री नितीश कुमार और शिवानन्द तिवारी जिनपर मिल कर 1 . 5 करोड़ रूपये लेने का आरोप है
शुक्रवार, 20 सितंबर 2013
क्या सोनिया गाँधी को इंद्रा गाँधी के मौत की जानकारी थी ?
क्या सोनिया गाँधी को इंद्रा गाँधी के मौत की जानकारी थी ? आखिर क्यों उन्होंने राजीव गाँधी से विवाह के इतने वर्षो तक भारत की नागरिकता नहीं ली ?गौरतलब हो की राजीव और सोनिया गाँधी का विवाह 1968 में हुआ उसके बाद भी सोनिया ने इटली की नागरिकता नहीं छोड़ी। सोनिया ने भारत की नागरिकता अप्रैल 1983 में प्राप्त की और ठीक उसके बाद श्री मति इंद्रा गाँधी की हत्या अक्टूबर 1984 में हो जाती है ? उसके बाद राजीव गाँधी प्रधान मंत्री की गद्दी पर बैठते है और Ottavio Quattrocchi से इनका सम्बन्ध देश के सामने आता है बोफोर्स घोटाले के रूप में इसके बाद राजीव की हत्या हो जाती है और ये तथा कथित अज्ञातवास में चली जाती है जबकि इसके पीछे की सच्चाई कुछ और कहती है एक तो नरसिम्हा राव ने इन्हें महत्व देना कम कर दिया दुसरे इमानदार क्षवि वाले सीता राम केसरी (तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ) ने भी इनकी मनमानी मांगो को पूरा करना बंद कर दिया था अपना बोरिया बिस्तर बंधता देख सोनिया गाँधी ने राजेश पायलट , अर्जुन सिंह , माधव राव सिंधिया ,ममता बनेर्जी , नारायण दत्त तिवारी , जी. के. मोपनर ,पी.चिदंबरम , जयंती नटराजन को सीता राम केसरी के खिलाफ भड़काया और पार्टी में बगावत करवा दी जैसा इनकी सास इंद्रा ने नेहरु के मरने के बाद शास्त्री जी के साथ किया था उसके बाद इन नेताओ ने सोनिया के लिए पार्टी में जमीन तैयार की और 1997 में पार्टी की सदस्यता दिलवाने के बाद 1998 में सोनिया गाँधी कांग्रेस पार्टी की प्रमुख नियुक्त कर दी गई जहा तक बार बार कांग्रेस के नेता उन्हें प्रचारित करते है की उन्होंने प्रधान मंत्री पद स्वयं ठुकरा दिया तो यह भी एक कोरा झूठ कांग्रेस नेताओ द्वारा आम नागरिको की बीच भ्रम फ़ैलाने के लिए किया जाता है जबकि इन्होने प्रधान मंत्री बनाने की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली थी और माननीय राष्ट्र पति श्री कलाम के पास सांसदों का समर्थन पत्र ले कर पहुच गई थी लेकिन भला हो कलाम साहब का क्योकि भारतीय संविधान के अनुसार भारत में जन्म लेने वाला व्यक्ति ही प्रधान मंत्री बन सकता है यह प्रावधान है कलाम ]साहब ने इन्हें वापस कर दिया तो कांग्रेस नेताओ ने इन्हें महान घोषित करने के लिए अफवाह उड़ा दिया की सोनिया गाँधी को पद का लालच नहीं है ये सिर्फ भारत के गरीब शोषित और पीड़ित जनता की सेवा करना चाहती है ? अब आप बुद्धिजीवी तय करे की सोनिया जी कितनी महान है और इतनी जल्दी में विश्व की 5 सबसे अमीर महिलाओ की सूचि में कैसे सामिल हो गई =========
साभार। । विभिन्य पत्र पत्रिका और विकिपीडिया से।
बुधवार, 11 सितंबर 2013
ये आग कब बुझेगी ?
चौक चौराहे से लेकर गली की पान दुकान पर हर और हिंसा ही हिंसा नजर आती है कही लोग रूपये के लिए लड़ है तो कही जमीन के लिए और तो और अब पत्नियों के लिए भी लोग लड़ते नजर आते है एक साहब आ गए मेरे पास कहने लगे राजेश भाई मेरी पत्नी को बहला कर कोई ले गया लौटने कहता हु तो देता नहीं ? यही नहीं युवा वर्ग अपनी नई गर्ल फ्रेंड के लिए भी अपने मित्र से लड़ता हुआ नजर आ जायेगा ? उस पर पूछो तो कहेंगे हम शांति से रहना चाहते है लेकिन हमें रहने नहीं दिया जा रहा है / कोई पडोसी को दोषारोपण करता है तो कोई सरकार को तो कोई अपने गृह मंत्रालय को जहा देखिये नुरा कुश्ती है / क्या आप ने कभी सोचा की आखिर मनुष्य जो स्वयं को सर्वश्रेष्ट प्राणी समझता है उसके मानवीय मूल्यों में इतनी गिरावट क्यों आई नहीं ना ? जरा सोचिये क्या हमारे पूर्वज भी इसी प्रकार लड़ते रहते थे या हम ही इस दुष्कृत में सामिल है जबकि हम चाँद पर पहुचने की बात करते है। स्वयं को ना तो में कोई बाबा समझता हूँ और ना ही बड़ा विद्वान् लेकिन हमारी लालसा ने हमें हिंसा पर उतारू कर दिया हमारी लालसा बढती गई और हम अपनी लालसा को पूरा करने के लिए झूठ , फरेब का सहारा लेने पर मजबूर हुए और एक झूठ हमें सौ झूठ बोलने पर मजबूर करता है यह कोई निरा बुद्धू भी बता देगा ? वर्त्तमान परिस्थितियो की वृहत पैमाने पर चर्चा की आवश्यकता जान पड़ती है क्योकि इस आग को हमें बुझाना हिंसा से प्रेम के मार्ग पर कैसे लौटा जाये ताकि अपना भारत पुन्ह : विश्व गुरु बने इसकी चिंता नई पीढ़ी को ही करनी है और हमारे युवाओ में यह जज्बा है तभी तो दिल्ली में एक निर्भया की आबरू लुटती है पूरा देश उस परिवार के साथ खड़ा रहता है जिसका नतीजा होता है आरोपी को सरकार सजा देने पर विवश होती है यही नहीं मुजफ्फर नगर में हिंसा होती है सोशल मीडिया उठ खड़ा होता है पीडितो के पक्ष में सरकार की भी कुम्भ करणी निंद्रा टूटती है ? आज जिस प्रकार आगे बढ़ कर लोग सड़को पर उतर रहे है पीडितो के पक्ष में खड़े हो रहे है यह एक अच्छा सन्देश है क्योकि अब गाँधी की एक मात्र अहिंसा की निति से हिंसा को रोकने का किया गया प्रयाश बेमानी साबित होगा . अब आवश्यकता है मर्यादा पुरुषोतम राम के पद चिन्हों पर चलने की "सठ संग विनय कुटिल संग निति "और
काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच।
बिनय न मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच॥58॥
काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच।
बिनय न मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच॥58॥
भावार्थ:-(काकभुशुण्डिजी कहते हैं-) हे गरुड़जी! सुनिए, चाहे कोई करोड़ों उपाय करके सींचे, पर केला तो काटने पर ही फलता है। नीच विनय से नहीं मानता, वह डाँटने पर ही झुकता है (रास्ते पर आता है)॥58॥ मेरे विचार से यदि हम इस निति पर चले तो भारत को पुन्ह विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता ?
मंगलवार, 27 अगस्त 2013
रेपिस्टो का स्वर्ग भारत ?
बलात्कार हिन्दुस्तानियो के दिन चर्या में सामिल हो गया है प्रात:काल हाथो में आने वाले अख़बार में कभी तमाम देश दुनिया की समस्याओ से रु बरु होने का मौका मिलता था अब चाय की चुस्कियो के साथ साथ बलात्कार की खबरों से मुख्या पृष्ट भरा होता है समाचार चेनल के टिकर हो या हेड लाइन्स सभी २१वि सताब्दी में बलात्कार की खबरों से भरे पड़े है कही नाबालिग से बलात्कार कही मौलवी द्वारा अपनी शिष्या से बलात्कार तो कही संत द्वरा बलात्कार इन तमाम बलात्कार की खबरों को देख सुन और पढ़ कर पूरी दिन चर्या ही बदल सी गई है . अब तो गली मुह्हाले से लेकर चौक चौराहे की चाय दुकान हो या मॉल लोग बलात्कार पर ही चर्चा करते दिख जाते है .? कही ४ साल की बच्ची का बलात्कार १२ साल के लड़के द्वारा हो रहा है तो ७० साल की बुजुर्ग महिला भी अछूती नहीं रह रह गई है बलात्कारियो के लिए ऐसी स्थिथि पर अपना हिंदुस्तान पहुच गया है ? लेकिन जब बलात्कार के कारणों पर प्रबुद्ध जन चर्चा करते है और इससे बचने के उपाय बताते है तो बड़ा ही हास्यास्पद लगता है हो सकता है की आप मेरे बातो से सहमत ना हो पाए लेकिन वर्त्तमान में समाचार चेनलो पर जो बलात्कार को रोकने के लिए चर्चो का दौर चलता है और ४-५ लोग बैठ कर बड़ी बड़ी डींगे हाकते है की कठोर कानून बना दिया जाये बलात्कारी के लिए फासी की सजा मुक़र्रर की जाये से में खुद को अलग रख कर देखता हूँ ?आज भारत में जितने भी कानून बलात्कारियो के लिए है मेरे विचार से पूर्ण है ? सबसे पहले हमें आवश्यकता है की बलात्कारियो को बलात्कार के लिए उत्प्रेरक का काम करने वाले तत्वों की तलास करना और उन्हें जड़ से समाप्त करना तभी जा कर हम इस घिनौने काम पर रोक लगा सकते है ? भूमंडली करण ने हिंदुस्तान को कुछ अच्छा दिया लेकिन उससे कही अधिक बुराई फैलाई है जिसे तथाकथित आधुनिक सोच वाले कतई मानने को तैयार नहीं है और जो आधुनिकता पर सवाल खड़े करते है उनका ये खिल्ली उड़ाने से बाज नहीं आते चाहे निर्भया मामले में संघ प्रमुख मोहन भगवत का बयान " की बलात्कार इंडिया में हो रहा है " या फिर अभी सपा नेता नरेश अगरवाल का यह बयान की "लडकियो को ढंग के कपडे पहने चाहिए " की जबरदस्त खिल्ली उड़ाई गई कोई यह मानने को तैयार नहीं है की हम जैसा देखते है वैसा ही सीखते है आज टी वी , सिनेमा ने जिस तरह अश्लीलता फैलाई है शिक्षा पद्दति में जितनी गिरावट आई है की उसे मानने को ये तैयार नहीं है .छोटे छोटे बच्चे जब टी वी और इन्टरनेट पर शक्ति प्राश . और अन्य कमोतेजक विज्ञापन देखते है तो उनके मन में भी जिज्ञासा उत्पन होती है ? प्रकृति का नियम है की पुरुष का नारी के प्रति स्वाभाविक आकर्षण होगा . पुरुष नारी को देख कर उसके निकट आने की कोसिस हमेसा से करता रहा है और करता रहेगा इसी से सृष्टी चलती है पुरुष के अन्दर हमेसा नारी का सानिध्य प्राप्त करने की चाहत रही है और रहेगी ? आप मेरे विचारो से सहमत हो भी सकते और नहीं भी कहेंगे की पुराणी सोच वाला व्यक्ति है लेकिन यह सच्चाई है बाजार में बगल से गुजरने वाली महिला को १६ साल का जबान भी घूम कर देखता है और ६० साल का बुजुर्ग भी क्योकि नारी एक आकर्षण है और जो इस आकर्षण से बच निकलता है वो संत होता है जो में और आप नहीं है जब विस्वमित्र नहीं बचे तो हम क्या चीज़ है . अगर इस घिर्नित कार्य को रोकने की प्रबल इक्च्छा सब के मन में है तो अविलब आधुनिकता के साथ साथ नैतिकता पर धयन दे बच्चो को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ संस्कार वान बनाये तभी बलात्कार की घटना रुक सकती है अन्यथा कितना भी सख्त से सख्त कानून बना ले कुछ होने वाला नहीं है आधुनिकता रूपी राक्षस सब समाप्त कर देगा ///////////////////////// बुरा लगे तो क्षमा करेंगे ?
मंगलवार, 13 अगस्त 2013
14th अगस्त १९४७ ?
14th अगस्त १९४७ को सिर्फ दो मुल्को का बटवारा नहीं हुआ था यह बटवारा दो दिलो का भी था पाकिस्तान जहा खुद को एक मुश्लिम राष्ट्र घोषित कर चूका था वही हिंदुस्तान के नेताओ ने अपनी परम्परागत सहिष्णुता दिखाते हुए धर्मनिरपेक्षता की चादर ओढ़ कर हिन्दू और मुसलमानों को एक छत के निचे रखने की कोशिश की थी और नेहरु कबूतर उड़ा कर शांति का सन्देश देने में लगे थे ? लेकिन इसका परिणाम आज भी देखने को मिल रहा है भले ही पाकिस्तान एक आजाद मुल्क है लेकिन आजादी के बाद भी पाकिस्तान के मन में हिंदुस्तान के प्रति द्वेष कम नहीं हुआ है आखिर ये द्वेष क्यों उत्पन हुआ ? जबकि जिन्नाह ने जो मांग भारत के समक्ष रखी थी उसे हमारे हुक्मरानों ने पूरी तरह मान लिया था ? बटवारा दो मुल्को का हो रहा था लेकिन लाशे दोनों और से बिछ रही थी जिन्ना ने नागरिको के मन में हिन्दुओ के प्रति ऐसी नफरत भरी थी की ट्रेन की बोगिओ में जिन्दा लोग कम और लाशे अधिक थी . नफरत की ऐसी आंधी चलाई जिन्नाह ने की सब कुछ देखते देखते खाक हो गया .जिन्ना और नेहरु की लालच में लाखो नागरिक मारे गए और आज भी मारे जा रहे है जबकि जिन्ना ने कश्मीर हैदराबाद ,पंजाब को पाकिस्तान में मिलाने की पुरजोर कोशिश की थी लेकिन जिन्ना के झासे में ये रजवाड़े नहीं आये थे क्योकि इन्हें जिन्ना की नियत का पता चल गया था उसके वाबजूद १९४८ में पाकिस्तान ने हमला किया और उसे मुह की खानी पड़ी और ये सिलसिला अब तक चला आ रहा है चाहे १९६२ हो १९७१ हो या फिर कारगिल युद्ध लेकिन इन तमाम युधो में मुह की खाने के बाद भी पाकिस्तान नहीं सुधरा और आगे इसके सुधरने की उम्मीद भी नहीं है पाकिस्तान की लगाई आग में एक और जहा कश्मीर आज भी जल रहा है वही देश के अन्दर भी छद्म रूप से नफरत की आग फ़ैलाने की कोशिश पाकिस्तानी जेहादियो द्वारा की जा रही है और हिंदुस्तान के अन्दर भी आज एक तबका ऐसा मौजूद है जिसे पाकिस्तान से प्रेम है ? हमारे हुक्मरानों की वजह से यह संख्या दिन प्रति दिन बढती जा रही है जिसका नतीजा है देश में आये दिन होने वाले दंगे और बम विस्फोट क्योकि भले ही इन विस्फोटो के पीछे आई एस आई और अन्य आतंकी संगठनो के नाम सामने आते हो लेकिन आई एस आई या अन्य संगठन बिना भारतीय मदत के घटनाओ को अंजाम नहीं दे सकते ये कोई निरा बुद्धू भी बता देगा ? आये दिन देश को दहलाने की कोशिश आज भी जारी है तो क्या एक पाकिस्तान हिंदुस्तान में अब भी बसता है यदि हां तो हमारे हुक्मरान कहा सोये हुए है ?
रविवार, 11 अगस्त 2013
जम्मू में हिंसा - सरकार मौन
जम्मू कश्मीर के 8 जिले में कर्फू लगा हुआ है गौरतलब हो की किस्तवाड़ में ईद के दिन हुई हिंसा में सैकड़ो हिन्दुओ के घर और दुकानों को जला दिया गया था जिसके बाद प्रसाशन ने कर्फु लगा दिया लेकिन उसके बाद भी जम्मू की हालत बिगड़ी हुई है ? अभी तक हिंसा रोक पाने में जम्मू और केंद्र सर्कार विफल है जिसका नतीजा है की अभी तक दर्जनों मौते हो चुकी है ? केंद्र सरकार हिन्दुओ के जान माल की रक्षा में पूरी तरह विफल है वही हालत का जायजा लेने जा रहे अरुण जेटली को भी जम्मू सरकार ने जाने नहीं दिया ? ऐसा लगता है पर्दे के पीछे अल्प संख्यक हिन्दुओ के खिलाफ सरकार बड़ी साजिश कर रही है ? क्योकि पाकिस्तान द्वारा भी फायरिंग की जा रही है साथ ही जमात उल दावा आतंकी हाफिज सईद ने स्वतंत्रता दिवस पर बम विस्फोट की धमकी दी है वही गुजरात के समुद्री क्षेत्र से 13 आतंकियो के प्रवेश की सुचना पर हाई अलर्ट जारी किया गया है सरकार अविलम्ब वहा के हिन्दुओ के जान माल की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाये और दोषीओ के खिलाफ सख्त करवाई की जाये जिससे जम्मू कश्मीर के अल्प संख्यक हिन्दुओ के मानवाधिकारों की रक्षा हो सके ?
गुरुवार, 8 अगस्त 2013
आजाद भारत की गुलाम परम्परा ?
हिंदुस्तान अब आजाद है लेकिन में मानसिक रूप खुद को आज भी गुलाम समझता हूँ ? हमारी सभ्यता और संस्कृति अतुलनीय है और रहेगी इसमें कोई सक नहीं है लेकिन हमारी इसी सभ्यता और संस्कृति पर जिसने आघात किया उसका महिमामंडन यदि स्वतंत्र भारत में भी किया जाता रहे तो कही ना कही मन में यह ठेश पहुचती है की जिसने हमारे पूर्वजो पर अत्याचार किये उसी का महिमामंडन कर के हम क्या साबित करना चाहते है ? जिसने जबरन हमारे बहु बेटियो पर अत्याचार किये जिसने दूध मुहे बच्चो को भी नहीं बक्सा और जलती हुई आग में फेक दिया जिन्होंने हजारो लोगो पर गोलिया चलवाई ? तोप में बांध कर जिन्दा मरवा दिया जिन्होंने हमारे पूर्वजो को दीवारों में चुनवा दिया हो लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी आज जब सड़को से गुजरते हुए उन नामो का बोर्ड नजर आता है तो मन में एक कसक सी उठती है गौरतलब हो की इतिहास कारो के अनुसार 715 A.डी में मोहमद बिन कासिम ने सर्वप्रथम काबुल पर हमला किया था और उसके बाद से ही यह सिलसिला आरंभ हुआ और ना जाने कितने आक्रंताओ ने हमारे ऊपर हमला किया जिनमे मोहम्मद गौरी , गजनी , क़ुतुब उद्दीन ऐबक ,जलालुद्दीन खिलजी , औरंगजेब ,अकबर आदि प्रमुख है जिन्होंने ना सिर्फ हमारी जमीन पर कब्ज़ा किया वरन संस्कृति पर भी गंभीर चोट पहुचाई चाहे वो धर्मांतरण के जरिये हो या फिर मंदिर को तोड़ कर लेकिन हममे से कुछ लोग आज उनकी महिमामंडन करते नहीं थकते आखिर क्या कारन है . आज भी हिंदुस्तान के लगभग सहरो में विदेसी आक्रंताओ चाहे वो औरंगजेब हो , तुगलब हो ,अकबर हो के नाम की बोर्ड सड़क पर नजर आती है , यही नहीं अंग्रेजो ने जिन्होंने हमारे ऊपर असंख्य अत्यचार किये उनके नाम की मुर्तियो पर कुछ लोग माल्यार्पण करते है .और उनके नाम की भी सड़क आज मौजूद है ? क्या ये नाम अभी भी रहना चाहिए मुग़ल सराए जैसे स्टेशन का नाम बदल कर हमारे स्वतंत्रता सेनानियो के नाम पर नहीं किया जाना चाहिए ताकि हमारे पूर्वजो को सम्मान मिले लेकिन दुर्भाग्य है इस देश का की आजादी के बाद भी हम मानसिक तौर पर गुलाम है और आक्रंताओ के नाम का माला जपने में स्वयं को धन्य समझते है ?
मंगलवार, 6 अगस्त 2013
क्या हिंदुस्तान को पाकिस्तान पर हमला करना चाहिए ?
पाकिस्तान ने एक बार फिर कायराना हरकत करते हुए जम्मू के पूंछ में आर्मी जवानो पर हमला किया जिसमे हमारे ५ जवान शहीद हो गए। पाकिस्तान द्वारा यह कोई पहली कायराना हरकत नहीं है। पाकिस्तान ने कभी भी एक अच्छे पडोशी का धर्म नहीं निभाया ? 1947 से 2013 तक हजारो बार छद्म रूप से हमले किये गए जिनमे हमारे हजारो सैनिको को जान गवानी पड़ी है। विगत जनवरी महीने में भी हमारे एक जवान का सर काट कर ले गए लेकिन हमारी सरकार ने हमेसा शांति वार्ता में विस्वाश रखा और धोखा खाते रहे लेकिन कब तक ? मंगलवार के हमले के बाद एक बार फिर पुरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा चरम पर है लेकिन हमारे प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का वही घिसा पिटा बयान आया है जो हमले के बाद अक्सर हम भारतीय को सुनने को मिलता रहा है " हम ऐसे हमले बर्दास्त नहीं करेंगे " आखिर मनमोहन सिंह इन बयानों से क्या साबित करना चाहते है वही रक्षा मंत्री ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बयान दिया की " पाकिस्तानी सेना की वर्दी में कुछ आतंकियो ने हमला किया " जिससे पाकिस्तान को ही यु एन ओ में बचने का मौका प्रदान किया गया है वही विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद भी बयान वीर निकले यह कह कर की " हमें कमजोर समझने की भूल कोई ना करे "? जब सरकार से पूरा देश एक कड़ा कदम उठाने की मांग कर रहा है तब सरकार सिर्फ बयान बाजी से देश वाशियो को भरोषा दे रही है ? आखिर कब तक हमारे जवानो की मौत पर सरकार इस प्रकार की बयान बाजी करती रहेगी। और हम अपने रण बाकुरो की मौत का मातम मानते रहेंगे यह एक विचारनीय प्रश्न है क्या सरकार की नजर में जवानो की मौत की कोई कीमत नहीं है ? क्या इनके परिवार नहीं है क्या मौत के बाद मुआवजे की घोषणा से शहीदों के परिवार वालो के जख्म भर जायेंगे ऐसे कई सवाल खड़े है हमारे समक्ष लेकिन क्यारेणुका चौधरी कहती है हम गाँधी वादी विचार धारा के लोग है ? गाँधी ऐसी अहिंषा के पक्षधर थे ? मेरे विचार से नहीं महात्मा गाँधी ने कभी ऐसी अहिंषा का पक्ष नहीं लिया था की कोई हमारे ऊपर हमला करता रहे और हम बयान वीर बन कर बर्दास्त करते रहे ? कोई हमारे वीर सेना का गला काट कर ले जाये और हम नपुंसक बन बैठे रहे ? ऐसे हमलो से जहा देश की सेना का मनोबल टूट रहा है वही दूसरी और पाकिस्तान का मनोबल बढ़ रहा है और वो ऐसे हमले तेज कर रहे है ?हमारे पास वीर सेनानियो की फ़ौज है ? जिनमे पाकिस्तान को नेस्तोनबुत करने की ताकत है ? हमारे पास अत्याधुनिक हथियार है ये क्या देखने के लिए रखे गए है आखिर ऐसे हथियारों का तब क्या काम ? समय आ गया है की पाकिस्तान के खिलाफ कठोर करवाई की जाये ताकि ऐसे हमले करने की हिम्मत ना जुटा पाए ये पाकिस्तानी ना की बयान वीर बन कर देश की जनता और सैनिको का मनोबल तोड़ने वाले बयान दिए जाये
शुक्रवार, 2 अगस्त 2013
लव जिहाद ?
इस्लाम की विस्तार वादी निति का घिनौना रूप है लव जिहाद शायद इस बात को देश के सेक्युलर नेता और छद्म धर्म निरपेक्ष लोग ना माने लेकिन बड़े पैमाने पर हिन्दू युवतियो को प्यार के जाल में फसा कर मुश्लिम युवको द्वारा धर्मान्तरित करवाया जा रहा है। यह समस्या एक चुनौती बन कर उभरी है हमारे सामने जिसका ठोस उपाय अत्यंत ही आवश्यक है। आतंकी हमलो में ५०-१०० मारे जाते है और हम कुछ दिन बाद इसे एक घटना समझ कर भूल जाते है लेकिन यह एक ऐसा हमला है जिसका घाव जिंदगी भर दर्द देने वाला है क्योकि यदि हिन्दू परिवार की लड़की किसी गैर धर्म में जाती है तो सायद इससे बड़ा हमला एक पुरे हिन्दू परिवार पर दूसरा कुछ नहीं होगा। लव जिहाद हिन्दू लडकियो को अपने प्रेम जाल में फसा कर मुश्लिम युवक उनका शारीरिक शोषण तो करते ही है साथ ही उनका धर्म परिवर्तन भी करवा रहे है। सूत्रों की माने तो पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आई एस आई इनकी फंडिंग करती है यही नहीं हिंदुस्तान की कई नामी मुश्लिम संगठनो के नाम भी सामने आये है जो मुश्लिम युवको को बड़े पैमाने पर धन मुहैया करवा रही है। साथ ही इन्हे ट्रेनिंग भी दिया जाता है की कैसे ये लडकियो को फसयेंगे ? लड़के पहले अपना हिन्दू नाम बताते है ? हाथो में रक्षा सूत्र बढ़ाते है हिन्दुओ की तरह ? महंगे मोबाइल फ़ोन और फैसी कपडे पहने है जबकि इन लडको के घरप की माली हालत बिलकुल ही ख़राब होती है आखिर कहा से आते है इनके पास ये सब ? गौरतलब हो की सीमा वर्ती क्षेत्रो में अशंख्य युवतियो को प्रेम जाल में फसा कर ऐसे कुकृत को अंजाम दे रहे है ये युवा हमारी भोली भाली लडकियो को ये सब्ज बाग़ दिखाते है और जाल में फसने के बाद इन लडकियो से देह व्यापर जैसा घिनौना कार्य तक करवाते है। जो लड़की एक बार इनके जाल में फस गई उनका निकलना मुश्किल हो जाता है। गौरतलब हो की 2006 से 2009 तक मात्र केरल में 4000 से अधिक लडकियो को धर्मान्तरित करवाया गया है जिसे लेकर केरल हाई कोर्ट ने चिंता जताई और पुलिस ने भी यह सब माना ? जबकि पुरे देश में यह संख्या लाखो में पहुच गई है। वही अगर बिहार की बात करे तो यहाँ भी इसने अपना पाव पसारना आरम्भ कर दिया है ? सीमा वर्ती किशनगंज जिले में ऐसे दर्जनों मामले सामने आ रहे है जहा प्रेम जाल में फसा कर इस कुकृत को अंजाम दिया जा रहा है जब तक इन लडकियो को समझ में आता है तब तक मामला बहुत आगे निकल चूका होता है जहा से इनका वापस आना मुश्किल हो जाता है लेकिन राष्ट्रीय समाचारों की सुर्खियो में यह कभी नहीं आ पाता ? क्योकि सेकुलर मीडिया यह सब दिखाना उचित नहीं समझता वही नेता ऐसे मामलो को निजी मामला बता कर पल्ला झाड़ लेते है ?
यहाँ जिहाद का मतलब समझा देना उचित होगा जिहाद का मतलब है धर्म की रक्षा के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध जो की गैर मुश्लिमो के खिलाफ लड़ा जाता है उन्हें मुश्लिम धर्म मनवाने के लिए स्वेक्षा से मान गए तो ठीक अन्यथा साम दाम दंड भेद की निति अपना कर पुरे ब्रह्मांड को इस्लाम में बदल देना है
और इसी विस्तार वाद की निति को लेकर आज की नई पीढ़ी चल पड़ी है क्योकि हिंदुस्तान में जबरन ये काम नहीं किया जा सकता
जहा जबरन किया जा सकता है कर रहे है जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में दिन प्रति दिन हिन्दू लडकियो को उठा कर ले जाने के मामले सामने आते रहते है लेकिन हिंदुस्तान में इसे अलग रूप दे कर लव जिहाद किया जा रहा है और हमारी भोली भली लडकियो को अपने प्रेम जाल में फसा कर धर्मान्तरित करवया जा रहा है। समय आ गया है की धर्म परिवर्तन और गैर धर्म में विवाह के लिए सरकार कठोर कानून बनाये ताकि हमारी भोली भली बछियो का धार्मिक आधार पर शोषण को रोक जा सके इसके लिए हमें सरकार से मांग करनी चाहिए साथ ही हमें भी अपने बच्चो पर विशेष ध्यान देना चाहिए उनका मेल जोल किसके साथ बढ़ रहा है इसपर विशेष निगरानी राखी जनि चाहिए और हो सके तो मोबाइल देने से बचना चाहिए यही नहीं धार्मिक शिक्षा देने पर विशेष बल दिए जाने की आवश्यकता जान पड़ती है
यहाँ जिहाद का मतलब समझा देना उचित होगा जिहाद का मतलब है धर्म की रक्षा के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध जो की गैर मुश्लिमो के खिलाफ लड़ा जाता है उन्हें मुश्लिम धर्म मनवाने के लिए स्वेक्षा से मान गए तो ठीक अन्यथा साम दाम दंड भेद की निति अपना कर पुरे ब्रह्मांड को इस्लाम में बदल देना है
और इसी विस्तार वाद की निति को लेकर आज की नई पीढ़ी चल पड़ी है क्योकि हिंदुस्तान में जबरन ये काम नहीं किया जा सकता
जहा जबरन किया जा सकता है कर रहे है जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में दिन प्रति दिन हिन्दू लडकियो को उठा कर ले जाने के मामले सामने आते रहते है लेकिन हिंदुस्तान में इसे अलग रूप दे कर लव जिहाद किया जा रहा है और हमारी भोली भली लडकियो को अपने प्रेम जाल में फसा कर धर्मान्तरित करवया जा रहा है। समय आ गया है की धर्म परिवर्तन और गैर धर्म में विवाह के लिए सरकार कठोर कानून बनाये ताकि हमारी भोली भली बछियो का धार्मिक आधार पर शोषण को रोक जा सके इसके लिए हमें सरकार से मांग करनी चाहिए साथ ही हमें भी अपने बच्चो पर विशेष ध्यान देना चाहिए उनका मेल जोल किसके साथ बढ़ रहा है इसपर विशेष निगरानी राखी जनि चाहिए और हो सके तो मोबाइल देने से बचना चाहिए यही नहीं धार्मिक शिक्षा देने पर विशेष बल दिए जाने की आवश्यकता जान पड़ती है
सोमवार, 29 जुलाई 2013
सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुण गान।
मर्यादा पुरुषोतम श्री राम का चरित्र हम सभी सनातन धर्मावलंबियो के लिए अनुकरणीय है। भगवान विष्णु के अवतार श्री राम के मर्यादा पुरषोतम बनने की कहानी भी कुछ कम प्रेरणा दायक नहीं है। हमारी आज की युवा पीढ़ी अपने धर्म से विमुख होकर पाश्चात्य सभ्यता के पीछे ऐसे भाग रही है जैसे घुड़ दौड़ हो रहा हो और उसमे कही ये पीछे ना छुट जाये लेकिन आज जितनी भी सभ्यता या संस्कृति हिंदुस्तान में पनपी है उनका मूल सनातन संस्कृति है सायद इस बात से हमारी नई पीढ़ी अनभिज्ञ है यहाँ जरुरत है हम सभी संस्कृतियो और सभ्यता से अच्छा कुछ सीखे लेकिन अच्छी बातो को ना की बुराई को। आज की युवा पीढ़ी मर्यादा पुरषोतम राम के चरित्र उनके अन्दर के त्याग सयम समर्पण से लगभग अनभिज्ञ है जिसकी वजह से अन्य धर्मो को मानने वाले अपने अपने ढग से श्री राम के चरित्र का वर्णन करते है यहाँ तक की कुछ लोग स्वार्थ की वजह से बेहद शर्म नाक टिपण्णी भी करते है और हम मूकदर्शक हो सुनते रहते है क्योकि हमें हमारे परिवार में इस प्रकार की शिक्षा ही नहीं दी गई हमारे परिवार वालो ने हमें अंग्रेजी पढ़ना उचित समझा ताकि हमें बेहतर रोजगार प्राप्त हो सके जिसका नतीजा हुआ की हम स्वयं के धर्म से विमुख होते गए हमारे बच्चे ओ गॉड , मोम , डैड बोल कर खुश हुए और हम यह सुन कर, लेकिन इसी अंग्रेजियत ने जब बूढ़े हुए तब रंग दिखाया बच्चे ने जब माता पिता को वृद्ध आश्रम में भेज दिया लेकिन यदि हम अपने बच्चो को जन्म काल से ही अंग्रेजियत के साथ साथ अपने सत्य सनातन धर्म से परिचित करवाते तो सायद ऐसा नहीं होता। आज लगभग हिन्दू परिवारों में यह देखने को मिल जायेगा जो की चिंता का विषय है। हमारी संस्कृति और सभ्यता पर जितना प्रहार विदेशी आक्रंताओ ने नहीं किया उससे कही अधिक हमने स्वयं किया है। आज श्री राम के चरित्र से हमें कुछ सिखने के आवश्यकता ताकि हम अपने धर्म की रक्षा कर सके। श्री राम ने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा का पालन करते हुए ताड़का राक्षसी का वध किया , पुत्र धर्म का पालन करते हुए वन प्रस्थान किया जबकि वो चाहते तो पिता की आज्ञा का उलंघन कर सकते थे । प्रजा की बात मान कर पत्नी सीता तक का त्याग कर दिया ताकि एक कुशल प्रसाशक कहलाये । ऐसे है श्री राम चन्द्र जी जिनका गुण गान करके राक्षस कुल में जन्मे विभीषण का उद्धार हो जाता है हम तो मानव योनि में जन्मे है यदि रघुनायक का गुण गान करे तो हमारा क्या कल्याण नहीं होगा आज की युवा पीढ़ी को समझना चाहिए।
सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुण गान।
सादर सुनहि ते तरहि भव सिंधु बिना जलजान।।
मोह मूल सुल प्रद त्यागहु तम अभिमान।
भजहु राम रघुनायक कृपा सिन्धु भगवान।। …… शिया वर राम चन्द्र की जय।
पवन पुत्र हनुमान की जय।
रविवार, 30 जून 2013
श्री राम जन्म भूमि संघर्ष गाथा ?
राज सत्ता के लिए भले ही राम जन्म भूमि और मंदिर कोई स्थान ना रखता हो लेकिन भगवन राम हमारे आराध्य है और रहेंगे भगवन राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बने यह देश के करोडो हिन्दुओ की मांग हमेसा से रही है और आगे भी रहेगी क्योकि यह हमारी आस्था का प्रतिक है यही नहीं
हमारे पूर्वजो ने भी कभी राम मंदिर पर अपना दावा कमजोर नहीं होने दिया .१५२८ में बाबर की अनुमति से मीर बाकी ने मंदिर को तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनवाई लेकिन अयोध्या में रहने वाले हिंदू कभी हार नहीं माने तब से ही उन्होंने अपना विरोध जारी रखा इतिहास कारो के अनुसार 1534 इसवी में अयोध्या में पहला दंगा हुआ और कई गुम्बजो को तोड़ दिया गया उसके बाद मुश्लामानो ने यहाँ नमाज अता करनी बंद कर दी .बाबर के बाद औरंगजेब का इस इलाके में मृत्यु पर्यंत कब्ज़ा बरक़रार रहा लेकिन विवाद कम नहीं हुआ था
१५३० से १५५६ इसवी तक हुमायु के साशन काल में दस बार युद्ध यहाँ हुए एक महिला रानी जय राज कुमारी तथा स्वामी महेस्वरानंद ने बार बार विधर्मियो को छट्टी का दूध याद दिलाया लेकिन अंतत पहले स्वामी महेस्वरानंद और बाद में रानी साहिबा सहीद हो गई ?क्या इतिहास इनकी सहादत को कभी भुला सकता है /
१७३४ इसवी में मुह्हमद सहादत साह गद्दी पर बैठा तब बुरहान उन मुल्क सादत अली खान अवध का गवर्नर बना उसके साशन काल में पुन्ह हिन्दुओ ने राम जन्म भूमि पर अपना दावा किया .इतिहाश कारो के अनुसार यही सबसे पहला मुकदमा ज्ञात हुआ है .१७६३ से १८३६ तक ५ बार अमेठी के राजा गुरु दत्त सिंह और पिपरा के राजा राज कुमार सिंह के नेतृत्व में मुग़ल सल्तनत को चुनौती दी गई तब जा कर मुगलिया सल्तनत ने हिन्दुओ से हार मानते हुए यहाँ पूजा और नमाज दोनों की मंजूरी प्रदान की तत्पश्चात हमारे रन बाकुरो ने यहाँ पूजा आरम्भ तो करवा दिया लेकिन उनकी मांग यही रही की मस्जिद को पूरी तरह हटाया जाय और ऐसा उन्होंने किया भी इस दौरान चार बार युद्ध हुए जो की बाबा उद्धव दास और भाटी नरेश के नेतृत्व में लड़े गए हार मान कर नबाब वाजिद अली साह ने तीन सद्शिया कमिटी का गठन किया गया जिसमे एक मुश्लिम और एक हिन्दू और तीसरा ईस्ट इंडिया कंपनी का मुलाजिम थे जिसमे यह बात सामने आई की मीर बाकी ने मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनवाई लेकिन दुर्भाग्य से १८५६ में अंग्रेजो का अवध पर कब्ज़ा हो गया और अंग्रेजो ने पुनः दोनों समुदाय को यहाँ पूजा और नमाज की अनुमति दे दी लेकिन गौर करने वाली बात है की हजारो प्रायशो के बाद भी हमारे पूर्वजो ने यहाँ पूजा अर्चना कभी बंद नहीं की १८५७ इसवी जहा स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए भी महत्वपूर्ण तारीख थी और स्वतंत्रता हेतु आवाज बुलंद हो चुकी थी वही राम जन्म भूमि भी ऐतिहासिक स्थान रखता है क्योकि इसी साल बहादुर साह जफ़र और आमिर अली द्वारा राम जन्म भूमि स्थल हमें देने का निर्णय लिया गया और हिन्दुओ ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बहादुर साह जफ़र को भारत का सम्राट घोषित कर दिया …………………………….
तमाम जानकारी अलग अलग इतिहाश कारो द्वारा लिखी गई पुस्तको से .
.शेष अगले भाग में
शुक्रवार, 28 जून 2013
आओ खेले एनकाउंटर की राजनीती ?
ऐसा लगता है की पुलिस और सुरक्षा बल के जवानो को अब अपराधियों से भिड़ने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना पड़ेगा की आतंकी या अपराधी हिन्दू है या मुश्लिम हिन्दू हुए तो ठीक उन्हें ठोक दिया जायेगा लेकिन कही भूल से वो मुश्लिम हो गए तो उन्हें राज्यों की पुलिस एन आई ए या सीबी आई के हवाले कर देगी एन आई ए उन्हें सोनिया और शिंदे तक ले जायेगा.गुनाह काबुल कर लिया तो ठीक नहीं तो उन्हें अखिलेश या नितीश या लालू के पास भेज दिया जायेगा मुआवजे के लिए आतंकियो को मुआवजे के साथ साथ नौकरी की भी पेश कश की जाएगी नौकरी लिया तो ठीक नहीं तो उन्हें मुआवजे के साथ जकिया जाफरी के पास भेज दिया जायेगा गवाह बना कर इस लिए सावधान ए देश के वीर जवानो तुम मरे तो कोई बात नहीं आतंकी नहीं मरना चाहिए तुम मरे तो १० लाख आतंकी मरा तो जिंदगी भर अदालत के चक्कर अब बोलो अदालत के चक्कर लगाना चाहते हो या आतंकियो के हाथो सहीद क्योकि केंद्र सरकार जिस प्रकार का राजनीती इशरत जहा मामले में कर रही है उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है सी बी आई और आई बी जैसी दो संवैधानिक संस्था आपस में भीड़ गई है और पूरा देश समझ रहा है की किसके इशारे पर सी बी आई ऐसा कदम उठा रही है गुजरात के मुख्या मंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो इन देश द्रोहियो ने पुरे मुडभेड से नरेन्द्र मोदी और अमित साह का नाम जोड़ दिया की उन्हें जानकारी थी क्या अब तक जितने भी आतंकियो की मौत हुई है कांग्रेस शाशित राज्यों के मुख्या मंत्रियो को इसकी जानकारी होती थी ?
और कहा जा रहा है की सी बी आई चार्जशीट में दोनों का नाम डाल सकती है .जबकि आजतक समाचार चैनेल ने विगत सप्ताह आतंकियो द्वारा की गई बात चित का टेप सार्वजनिक कर दिया था की इशरत और उनके साथियो की मंशा क्या थी .पिछले १५-२० वर्षो में आतंकी गतिविधिओ में सामिल सैकड़ो एनकाउंटर हुए और अधिकतर कांग्रेस साशित राज्यों में लेकिन इतना बबाल कभी नहीं मचा ना तो मीडिया ने ना ही केंद्र सरकार ने कभी इन मामलो की सुधि ली लेकिन छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ने का प्रयाश जिस प्रकार से किया जा रहा है क्या यह उचित है ऐसे में क्या पुलिस के जवान गुप्त सुचना के आधार पर कोई करवाई करने की हिम्मत दिखायेंगे ?
और कहा जा रहा है की सी बी आई चार्जशीट में दोनों का नाम डाल सकती है .जबकि आजतक समाचार चैनेल ने विगत सप्ताह आतंकियो द्वारा की गई बात चित का टेप सार्वजनिक कर दिया था की इशरत और उनके साथियो की मंशा क्या थी .पिछले १५-२० वर्षो में आतंकी गतिविधिओ में सामिल सैकड़ो एनकाउंटर हुए और अधिकतर कांग्रेस साशित राज्यों में लेकिन इतना बबाल कभी नहीं मचा ना तो मीडिया ने ना ही केंद्र सरकार ने कभी इन मामलो की सुधि ली लेकिन छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ने का प्रयाश जिस प्रकार से किया जा रहा है क्या यह उचित है ऐसे में क्या पुलिस के जवान गुप्त सुचना के आधार पर कोई करवाई करने की हिम्मत दिखायेंगे ?
बुधवार, 19 जून 2013
कुर्सी केवल सत्य है बाकी सब असत्य है?
हमने धार्मिक ग्रंथो में पढ़ा और सुना की केवल राम नाम ही सत्य है लेकिन वर्त्तमान के नेताओ ने इन वाक्यों को झुट्लाते हुए पूरी कायनात की काया की पलट कर रख दी कल तक कांग्रेस की नीतिओ के धुर विरोधी बिहार के तथाकथित सेकुलर मुख्य मंत्री के जनाजे को अब कन्धा देने के लिए कांग्रेस के चार विधायक तैयार है .कल तक कांग्रेस की नीतिओ का विरोध करने वाले अब उन्ही के कंधो पर सवारी करने निकल पड़े है गौरतलब हो की नरेन्द्र मोदी को प्रचार अभियान का प्रमुख बनाये जाने के बाद नितीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ चुके है और १९ जून को विधान सभा में विस्वाश मत हासिल करेंगे वर्त्तमान में नितीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के पास ११८ विधायक है जबकि विस्वाश मत के लिए जादुई आकड़ा १२२ का है ४ विधायको की कमी कांग्रेस पूरा करने जा रही है बिहार विधान सभा में कांग्रेस के मात्र चार ही विधायक है .अगर हम बिहार की राजनीती की बात करे तो २०१० में बिहार की जनता ने एन डी ए को पूर्ण बहुमत प्रदान किया था और कांग्रेस और लालू रामविलाश की पार्टियो का जनता ने सूपड़ा समाप्त कर दिया था ये जनादेश बिहार की जनता ने कांग्रेस और अन्य दलों की नीतिओ के खिलाफ दिया था लेकिन नितीश कुमार स्वार्थ की पराकाष्टा को पार करते हुए पुरे बिहार की जनादेश का ही अपमान कर डाला जिस नितीश कुमार ने २००३ में नरेन्द्र मोदी की तारीफों के पुल बंधते नहीं थकते थे वही नितीश कुमार अब नरेन्द्र मोदी के पक्के दुश्मन बन बैठे लेकिन नितीश को आडवानी से कोई दुश्मनी नहीं है आखिर ये कैसी धर्म निरपेक्षता है की एक पार्टी के एक नेता स्वीकार है और दुसरे नेता कतई स्वीकार नहीं है क्या इसका कोई जबाब नितीश कुमार बिहार की जनता को देंगे . यही नहीं १८ जून को भाजपा द्वारा आहूत बिहार बंद की सफलता को देख इन्होने अपने कार्यकर्ताओ को सड़क पर भाजपा कार्यकर्ताओ से मार पिट तक करने भेज दिया और ये सिर्फ वोट बैंक की राजनीती के लिए कभी राम विलाश पासवान ने भी ऐसा ही किया था नतीजा आप लोगो ने भी देखा था जब उन्होंने बिहार में मुश्लिम मुख्य मंत्री बनाने के नाम पर खुद का है सिट नहीं बचा पाए थे अब नितीश कुमार भी उसी राह पर चल निकले है जहा प्रधान मंत्री उन्हें धर्मनिरपेक्षता का सर्टिफिकेट दे रहे है ऐसे समय में जब जनता भय भूख और अत्याचार से पीड़ित है और केंद्र की कांग्रेस नित सरकार को उखड फेकने का मन बना लिया हो वैसे समय में आप इस कदम को कितना जायज मानते है ?किर्पया जरुर बताये
रविवार, 16 जून 2013
बिहार के सेकुलर मुख्य मंत्री के 3 काले कारनामे ?
आइये जानते है बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार के 3 काले कारनामे ?
नितीश जी के कारनामे नंबर --१
बात २००९ लोक सभा चुनाव की है जब ७८ प्रतिशत अल्पसंख्यक बहुल किशनगंज जिले की लोक सभा सीट कुछ स्वार्थी भाजपा नेताओ की वजह से गटबंधन के तहत जे डी यू के खाते में चली गई .जबकि नितीश जी की पार्टी का यहाँ कोई जनाधार तक नहीं था और इनके जिला अध्यक्ष भी बेचार बकलोल टाइप नेता थे मुश्लिम तुष्टिकरण की निति के तहत इन्होने सीट तो ले ली लेकिन उमीदवार ढूंढे नहीं मिल रहा था ऐसे में इन्होने उची कीमत लेकर ऐसे उम्मीदवार को टिकट दे दिया जो की बैंक का भगोड़ा था साथ ही इलाके में पशु तश्कर के नाम से कुख्यात था अब राष्ट्रवादियो ने निर्णय लिया गटबंधन जाये भांड में जे डी यु उम्मीदवार को हराना है सभी राष्ट्रवादी एक होकर सफल हुए और यहाँ से नितीश जी को मुह की खानी पड़ी ..बोलिए मिस्टर क्लीन ...............रहे ?
नितीश जी के कारनामे नंबर --2
बिहार के विकाश की बार बार चर्चा अखबारों में होती है लेकिन नितीश जी के मुख्य मंत्री रहते आज तक एक भी फैक्ट्री बिहार में नहीं खुली लेकिन इन्होने भारत नेपाल सीमा से सटे अररिया जिले के सिमराहा प्रखंड में मांस फैक्ट्री का लाइसेंस प्रदान कर दिया गौरतलब हो की इनके रहते बिहार में बड़े पैमाने पर पशु धन की तश्करी नेपाल और बांग्लादेश दिन के उजाले में हुई जबकि पहले तश्कर रात का इंतजार करते थे .भाजपा और राष्ट्रवादी संगठनो के विरोध के बाद मांस फैक्ट्री का काम अभी बंद पड़ा है .........तो बोलिए ऐसे मुख्य मंत्री ..........रहे ?
नितीश जी के कारनामे नंबर --३
मुश्लिम तुष्टिकरण निति के तहत नितीश कुमार ने अल्प संख्याओ को खुस करने के लिए जिले में अलीगढ मुश्लिम विश्विद्यालय के लिए २४७ एकड़ जमीन मात्र १ रूपये की लीज पर ९९ वर्षो के लिए दे दिया जबकि ये तमाम जमीन इंद्रा गाँधी ने वर्ष १९८३ में ही आदिवाशियो को खेती करने और घर बना कर रहने के लिए दी थी .आदिवाशियो द्वारा विरोध करने पर ४९ गरीब और निरीह आदिवाशियो के ऊपर जबरन मुकदमा कर दिया और कई आदिवाशियो को जेल के अन्दर भी डाल दिया गया इनकी मदत करने वाले राष्ट्रवादियो के ऊपर भी फर्जी मुकदमा कर दिया गया यहाँ तक की वन्वाशी कल्याण आश्रम के नेता २ महीने तक जेल में रहे यही नहीं राज्य अनुसूचित जाती जनजाति के अध्यक्ष बाबू लाल मुर्मू तक के ऊपर इन्होने मुकदमा कर दिया .पटना में विरोध कर रहे विद्यार्थी परिषद् नेताओ के ऊपर पुलिस ने दमनात्मक करवाई की लेकिन इन्होने इस सीमावर्ती जिले के अल्पसंख्यक हिन्दुओ की एक नहीं सुनी सिर्फ वोट की लालच में एकतरफा करवाई करते रहे वही वर्षो से गर्मी बरसात की मार झेल रहे सस्त्र सीमा बल (ssb )को आज तक जमीन नहीं दी गई .....बोलिए ऐसे धर्म निरपेक्ष नेता का क्या किया जाये .अब विचार करना आप के हाथो में है क्या ऐसे नेता जनता का भला कर सकते है जिन्हें सत्ता के लिए सिर्फ एक वर्ग
.दिखाई देता है
मंगलवार, 11 जून 2013
गुरु गुड चेला चीनी ?
जनसंघ और भाजपा के संस्थापको में से एक श्री लाल कृष्ण आडवानी जी ने भारतीय जनता पार्टी को शीर्ष स्थान पर पहुचने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसे कोई भुला नहीं सकता लेकिन नरेन्द्र मोदी के बढ़ते कद से आहात हो कर उन्होंने जिस प्रकार पार्टी के सभी प्रमुख पदों से इस्तीफा देने का फैसला किया है इसे भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है जिस व्यक्ति को आज परिवार में बुजुर्ग की तरह छोटो को राह दिखानी चाहिए वही व्यक्ति कुर्शी की चाहत में अपने ही बनाये घर को उजाड़ने के प्रयास में लग गया .आज जब सम्पूर्ण भारत कांग्रेस के भ्रस्ताचार से मुक्ति पाना चाहता है और भाजपा को विकल्प के रूप में देख रहा है ऐसे समय में आडवानी जी के इस्तीफे को कोई भी राष्टवादी व्यक्ति सही नहीं कहेगा आखिर इतनी दरार क्यों पड़ गई आडवानी और पार्टी की मध्य यह भी विचारनीय प्रश्न है गौरतलब हो की यह उनका पहला इस्तीफा नहीं है यह उनका तीसरी बार दिया गया इस्तीफा है इससे पहले भी दो बार उन्होंने इस्तीफा दिया था लेकिन नेताओ के मानाने के बाद मान गए थे लेकिन इस बार अपनी हठधर्मिता पर अड़े हुए है २००९ के लोक सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें प्रधान मंत्री पद का दावेदार घोषित किया लेकिन पार्टी को हार का सामना करना पड़ा उसके बाद से ही आडवानी के विकल्प की तलास में पूरा संघ परिवार लगा हुआ था और धीरे धीरे विकल्प के रूप में नरेन्द्र मोदी उभरे लेकिन मोदी जिन्हें आडवानी ने ही मुख्या मंत्री की कुर्शी तक पहुचाया था और समय समय पर उनकी मदत भी करते रहते थे जब देखा की चेला चीनी बन रहा है तो बर्दास्त नहीं हुआ और विरोध करने लगे लेकिन संघ परिवार के युवा नेतृत्व की आवश्यकता ने आडवानी की दाल नहीं गलने दी और उनकी अनुपस्तिथि में ही मोदी को प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया जिससे आग बबूला हो आडवानी ने इस्तीफा दे दिया यहाँ आडवानी जी यह भूल गए की जो माली वृक्ष लगता है वो फल नहीं खा पाता .कृष्ण की तरह अर्जुन का सारथि बन कौरवो का नाश करे आडवानी जिससे इतिहाश के पन्नो में उनका नाम दर्ज हो ना की गुरु द्रोणाचार्य की तरह सिष्य की ऊँगली ही गुरु दक्षिणा स्वरुप मांग ले .साथ ही स्वार्थ की पराकाष्टा को पार करने की पीछे और भी अन्य कारन हो सकते है जिसकी जाच भी होनी चाहिए यदि पार्टी नेताओ द्वारा आडवानी की कही अनदेखी की गई जिससे वो आहात है तो उसमे भी सुधर किया जाना चाहिए प्रासंगिकता आज भी भाजपा में एक बुजुर्ग नेता की हैसियत से रहनी चाहिए जो की परिवार के बच्चो को दिशा दे क्योकि एक समय के बाद जब बच्चे बड़े हो जाते है तो बुजुर्ग ही उन्हें सही राह दिखाते है आडवानी जी को बच्चो की तरह हठ नहीं करना चाहिए उन्हें नरेन्द्र मोदी को आशीर्वाद देना चाहिए ताकि इस देश से कांग्रेस रूपी विष बेल को समाप्त किया जा सके .
गुरुवार, 6 जून 2013
मोदी मस्त नितीश पस्त ?
गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर से नितीश कुमार पर भारी पड़े है .जब जब नितीश कुमार द्वारा मोदी का विरोध किया जाता है तब तब नरेन्द्र अपनी स्वीकारिता भारतीय राजनितिक मानचित्र पर छोड़ने मे सफल रहते है वही नितीश कुमार को मुह की खानी पड़ती है बुधवार को लोक सभा और विधान सभा उप चुनाव के परिणाम ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया की मोदी का विरोध नितीश को भारी पड़ेगा तो क्या नितीश को मोदी से हाथ मिला लेना चाहिए ?बिहार के महाराजगंज उप चुनाव में जिस प्रकार से जनता दल यू उमीदवार पी.के साही की हार हुई इससे तो यही प्रतीत होता है की मोदी का विरोध यहाँ भारी पड़ा और भाजपा के मतों का भी धुर्विकरण राजद उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह के तरफ हुआ है .प्रभुनाथ सिंह ने १ लाख ३७ हजार मतों से जीत दर्ज की जो की सीधे सीधे मतदाताओ के मूड को दर्शाता है की नितीश के प्रति जनता में कितना गुस्सा व्यापत है .विगत कुछ दिनों से अल्पसंख्यक वोट को अपने खेमे में करने के लिए नितीश कुमार सारे तिकड़म अपना चुके है लेकिन उसके बाबजूद भी बिहार के अल्पसंख्यक मतदाताओ में नितीश के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं है गौरतलब हो की बिहार के 38 ज़िलों में से मात्र एक ज़िला (किशनगंज 78% मुस्लिम आबादी) मुस्लिम बहुल है. तीन और ज़िले कटिहार 43%, अररिया 41% और पूर्णिया 37% ऐसे हैं जहां मुस्लिम मत लोकसभा प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करने की कूवत रखते हैं. लेकिन अन्य जिलो में मात्र ३ -४ प्रतिशत मुश्लिम मतदाता है .मालूम हो की मोदी के विरोध के बाद भी नितीश को किशनगंज के मुश्लिमो ने नकार दिया था और यहाँ भी उनका खाता नहीं खुला था लोजपा से जीत कर आये नौसाद आलम को इन्होने अपनी पार्टी में सामिल करवा कर अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश की वही यदि नरेन्द्र मोदी की स्वीकारिता की बात करे तो गुजरात उप चुनाव में जिस प्रकार का प्रदर्शन किया और लोक सभा की २ सीट और विधान सभा की चार सीट पर अपना कब्ज़ा जमा कर यह सिद्ध कर दिया है की देश की १२१ करोड़ जनता को साथ ले कर चलने की कुब्बत मोदी रखते है चाहे कोई लाख विरोध करे जिसे आगे बढ़ना है वो आगे ही बढेगा उसे कोई रोक नहीं सकता .परिणामो के बाद एक बार पुन्ह मंथन का दौर आरम्भ हो चूका है सायद नितीश कुमार भी आत्म चिंतन करे की उन्हें नरेन्द्र भाई से हाथ मिला लेना चाहिए अन्यथा सायद बिहार की जनता ने अपना मूड बना लिया है ये वही बिहार की जनता है जिसने लालू द्वारा आडवानी के रथ को रोके जाने के बाद लालू को हासिये पर पंहुचा दिया था कही मोदी का रथ रोकने पर नितीश भी हासिये पर ना चले जाये .
बुधवार, 29 मई 2013
क्या इसे माँ कहेंगे ?
केतकी का भरा पूरा परिवार था एक बेटा २ बेटिया कही से कोई दुःख नहीं था केतकी को . पति सुन्दर दास भी अपने परिवार के भरण पोषण के लायक कमा लेते थे लेकिन केतकी पड़ोसिओ के रहन सहन को देख कर मन ही मन कुढती रहती क्योकि बचपन से ही आभाव में पली थी और विवाह के बाद भी आभाव ने उसका पीछा नहीं छोड़ा था केतकी के सपने मन ही मन हिलोरे मरते रहते लेकिन वो कुछ कर नहीं पा रही थी दिन बिताते गए बच्चे भी बड़े हो गए बड़ी बेटी शीतल जहा अपने पैरो पर खड़ी हो चुकी थी वही दूसरी बेटी माया और बेटा पंकज कॉलेज में पढाई कर रहे थे इसी बीच शीतल को गौरव नाम के एक लड़के से प्यार हो गया गौरव काफी पैसे वाला था और उसके माँ बाप की पहले ही मौत हो चुकी थी शीतल ने एक दिन अपने प्यार की बात अपनी माँ केतकी को बताई तो माँ का रोना आरम्भ हो गया की गौरव काफी पैसे वाला है हमारी हैसियत नहीं है उसकी बराबरी करने की और ना जाने क्या क्या लेकिन अन्दर ही अन्दर केतकी खुद के सपनो को पूरा करने का ताना बाना बुनने लगी गौरव को घर पर बुला लिया और गौरव से कहने लगी देखो बेटा हमारी हैसियत नहीं है तुम्हारी बराबरी करने की गौरव बेचारा सीधा साधा नौजवान था केतकी ने जो कहा वो सब पर तैयार हो गया केतकी ने गौरव को बड़ा सा लिस्ट थमा दिया टीवी फ्रिज ए सी और ना जाने क्या क्या उसके बाद गौरव और शीतल परिणय सूत्र में बंध गए लेकिन दिन प्रति दिन केतकी की डिमांड बढती जा रही थी बेचारा सीधा साधा गौरव केतकी की मांग पूरी करता रहा वो भी बिना शीतल की जानकारी के केतकी के पति सुन्दर दास को भी ये सब बहुत बुरा लग रहा था लेकिन पत्नी के आगे उनकी एक ना चलती ऐसे में एक दिन शीतल को अपनी माँ के करतूतों का पता चल गया उसने माँ को खूब खरी खोटी सुनाई लेकिन केतकी की आँखों पर तो लालच का पर्दा चढ़ा था शीतल को ही डाट दिया और धमकी दी की यदि तुमने गौरव को कुछ कहा तो तुम्हारा तलाक करवा दूंगी और कहूँगी की तुम ने गौरव को फसाया था बेचारी शीतल खुद को बर्बाद होते हुए देख रही थी और उधर केतकी की डिमांड बढती जा रही थी गौरव भी केतकी की डिमांड पूरा करता जा रहा था लेकिन अब शीतल से यह सब देखा नहीं जा रहा था क्योकि अब शीतल भी गर्ववती हो चुकी थी और उसे भी अपने बच्चे का भविष्य नजर आ रहा था एक दिन शीतल ने गौरव को माँ की धमकी वाली बात बता दी और आइन्दा रुपया ना देने की गुजारिश गौरव से की इसी बीच २ -३ दिन बीत गए केतकी ने नया ड्रामा किया और पहुच गई गौरव के ऑफिस में गौरव से अपनी गलतियो के लिए माफ़ी माँगा और अपनी दूसरी बेटी अपर्णा को अपने ऑफिस में नौकरी देने की मिन्नतें करने लगी गौरव बेचारा फिर से केतकी की बातो में फस गया और अपर्णा को अपने ऑफिस में नौकरी दे दी केतकी का चाल सफल हो चूका था केतकी ने अपनी बेटी अपर्णा को समझाया की गौरव को तुम्हे अपने रंग रूप के जाल में फ़साना है और शीतल की जगह लेना है बस अपर्णा ने गौरव पर डोरे डालना आरम्भ कर दिया लेकिन गौरव को ये काफी बुरा लगता था दिन बीत रहे थे एक दिन अपर्णा ने गौरव को रेस्टोरेंट में खाना खिलने की जिद की गौरव अपनी साली की बात मान कर चला गया रेस्टोरेंट में अपर्णा ने गौरव के ड्रिंक्स में नशीली दवा मिला दी जिससे गौरव बेहोश हो गया अपर्णा गौरव को अपने घर ले आई जहा केतकी और उसके बेटे पंकज ने मिल कर अपर्णा और गौरव की अश्लील फिल्म बना ली और दुबारा गौरव से 50 लाख रूपये की डिमांड कर दी नहीं तो मुकदमा करने की बात कही गौरव बेचारा डर गया १० लाख रूपये की एक क़िस्त दे दी सुन्दर दास जो की केतकी का पति था उसने भी यह देख लिया और उसने सारी शीतल को बतानी चाही केतकी अपने स्वार्थ में इतना आगे जा चुकी थी की उसने पंकज और अपर्णा को लेकर अपने ही पति सुन्दर दास का क़त्ल कर दिया और सारा आरोप अपनी बड़ी बेटी शीतल पर लगा दिया पुलिस ने शीतल को गिरफ्तार कर लिया अब बेचारा गौरव कही का ना रहा था ऐसे में वकील की मदत लेने की सोची गौरव ने सहर के जाने माने वकील के पास गौरव पंहुचा और अपनी आप बीती सुनाई वकील ने केतकी और उसके साथियो को उन्ही के जाल में फ़साने की सलाह दी और गौरव ने अपर्णा को अपने यहाँ बुलाया दोनों ने शराब पि और शराब के नसे में सारी कहानी अपर्णा ने गौरव को बोल दी जो की एक फिल्म बन चुकी थी गौरव और वकील साहब पुलिस के पास पहुचे और सारी फिल्म दिखाई पुलिस ने भी पूरी कहानी देखने के बाद केतकी अपर्णा और पंकज को गिरफ्तार कर लिया वही शीतल को छोड़ दिया गया यह तो थी क माँ के लालच की कहानी जिसने अपने ही स्वार्थ के चलते भरे पुरे परिवार का गला घोट दिया .क्या कहते है आप समाज में आज लालच की वजह से ऐसे हजारो कहानी मिल जाएगी जो की परिवार के मुखिया की लालच के कारन बर्बाद हो चुकी है इसी लिए तो कहते है लालच बुरी बला ?
मंगलवार, 21 मई 2013
सपा सरकार का खेल आतंकियो को मिल रहा बेल ?
समाज वादी पार्टी जब उत्तर प्रदेश में दुबारा सत्ता में आई तो आम जनता को उम्मीद थी की इस बार सत्ता की कमान मुल्ला मुलायम ने अखिलेश यादव जैसे युवा नेता को सौपी है उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विकाश की राह में अग्रसर होगा किन्तु अखिलेश के सत्ता समहालने के अभी एक वर्ष और कुछ ही महीने हुए है सरकार का रंग रूप दोनों साफ झलकने लगा है मुश्लिम तुष्टिकरण की निति के तहत अखिलेश सरकार ने बिना शर्म राष्ट्र विरोधी गतिविधिओ में सामिल अपराधियो के मुक़दमे वापस लेने की घोषणा कर दी यही नहीं फैजाबाद सीरियल बम धमाको के आरोपी खालिद मुजाहिद को छुडवाने के सभी हतकंडे सरकार द्वारा अपनाये गए लेकिन ऊपर वाले की मार देखिये सारा खेल धरा का धरा रह गया और खालिद की मौत कोर्ट से वापस लाने के क्रम में हो गई वही दूसरा मामला मोह्हमद इक़बाल का है जो की हुजी का प्रमुख सद्श्य था और युवाओ को ट्रेनिंग देकर आतंकी बनाता था अदालती पत्रावली के अनुसार हूजी के आतंकी जलालुद्दीन उर्फ बाबू तथा नौशाद की गिरफ्तारी के बाद 23 जून 2007 को थाना वजीरगंज में रिपोर्ट दर्ज की गई थी और उसके बाद इक़बाल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था यही नहीं सिविल कोर्ट कचेहरी लखनऊ में हुए बम विस्फोट के आरोपियों सहित सात आतंकियों पर चल रहा मुकदमा वापस लेने के लिए भी सपा सरकार ने अर्जी दी है साथ ही कचहरी सीरियल ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की मौत के बाद अब सपा सरकार दूसरे अभियुक्त तारिक काजमी के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की वापसी के लिए हाई कोर्ट में विशेष याचिका दायर करेगी। यह कदम बाराबंकी की न्यायालय से मुकदमा वापसी की शासन की सिफारिश खारिज होने के बाद उठाया जा रहा है। सोमवार को गृह सचिव आरएन उपाध्याय ने बताया कि कुल 29 मामलों में 15 मामलों में मुकदमा वापस लेने के लिए संबंधित अदालतों में अर्जी दी गई है। उन्होंने बताया कि दस वादों में निर्णय नहीं हो सका है, जबकि बाकी प्रकरण न्याय विभाग के पास विचाराधीन हैं। सपा सरकार ने जिन आरोपियों का मुकदमा वापस करने की पहल की है, उसमें वर्ष 2007 में गोरखपुर, फैजाबाद, वाराणसी व लखनऊ में हुए विस्फोट के आरोपी तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद का नाम प्रमुख है। इनके अलावा 2008 में रामपुर में सीआरपीएफ कैंप में हुए हमले के आरोपी जावेद उर्फ गुड्डू, ताज मुहम्मद और मकसूद का भी मुकदमा वापसी की सूची में शामिल हैं। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोपी नौशाद, याकूब और नासिर हुसैन के लखनऊ में चल रहे मामले को भी वापस लेने के लिए अर्जी विचाराधीन है। अहमद हसन उर्फ बाबू व शमीम की वाराणसी की अदालत, मुहम्मद कलीम अख्तर और अब्दुल मोइन की लखनऊ अदालत तथा अरशद, सितारा बेगम और इम्तेयाज अली की कानपुर नगर की अदालत में रिहाई के लिए सरकार ने अर्जी लगाई है।गौरतलब है कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद डॉ. रामगोपाल यादव ने रविवार को इटावा में मुस्लिम समाज द्वारा आयोजित एक समारोह में कहा था कि पार्टी अब तक प्रदेश में 200 निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को जेलों से रिहा करा चुकी है और 400 मुस्लिमों से मुकदमे वापस हो चुके हैं। रामगोपाल कैसे कह सकते है ये निर्दोष थे यदि थे तो इन्हें फ़साने वाले पुलिस कर्मियों पर सरकार ने क्या करवाई की यदि नहीं की तो क्यों ?आखिर जब ऐसे ऐसे संगीन मामले इन लोगो पर दर्ज हो तब क्यों सरकार इनसे यह मुकदमा वापस लेना चाहती है सिर्फ एक वर्ग विशेष का वोट लेनेके लिए देश की सुरक्षा के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ ?
गौरतलब हो की इन बम विस्फोटो में सैकड़ो जाने गई सैकड़ो घर बर्बाद हुए बच्चे अनाथ हुए ,औरते विधवा हुई उन्हें इंसाफ कौन देगा क्या सरकार की उन परिवारों के प्रति कोई जिम्मेवारी नहीं है ? यह विचारनीय प्रश्न है यदि ये निर्दोष है तो न्यायलय सक्षम है इन्हें बाइज्जत बरी करने के लिए साथ ही ऐसे पुलिस वालो पर भी करवाई होना चाहिए जिन्होंने इन्हें निर्दोशो को बेवजह ऐसे मुकदमो में फसाया ?यहाँ सवाल यह उठता है की वोट बैंक की राजनीती के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने की इजाजत सरकार को किस ने दी साथ ही सरकार द्वारा उठाये गए ऐसे कदम से सुरक्षा बलों और पुलिस तंत्र का भी मनोबल टूटेगा .यही नहीं ऐसे निर्णयो से देश के मुसलमानों में भी भ्रम की स्तिथि उत्पन होगी की मुसलमान युवाओ को पुलिस बेवजह फसाती है और ऐसा देखा भी जा रहा है जब पुलिस किसी मुस्लिम युवक को गिरफ्तार करती है तो अब इसका मुखर विरोध होने लगा है लोग पुलिस पर सवालिया निसान खड़े करने लगे है मेरे विचार से समाज वादी पार्टी सरकार के ऐसे निर्णयो का पुरे देश में विरोध होना चाहिए ताकि कोई भी सरकार वोट बैंक की राजनीती के लिए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की हिम्मत ना दिखाए .
अखिलेश यादव से भारत का आम नागरिक होने के नाते ५ सवाल ?
(१) क्या जिन आरोपिओ के मुक़दमे वापस लिए जा रहे है वो सभी निर्दोष है ?
(२) निर्दोष है तो ऐसे पुलिस वालो पर सरकार क्या करवाई कर रही है ?
(३) क्या मुकदमा वापस लेने से सुरक्षा बलों का मनोबल नहीं टूटेगा ?
(४) विस्फोटो में मारे गए नागरिको को न्याय कौन देगा ?
(५) नागरिको के पुनर्वास के लिए सपा सरकार ने क्या कदम उठाये है आज तक ?
(१) क्या जिन आरोपिओ के मुक़दमे वापस लिए जा रहे है वो सभी निर्दोष है ?
(२) निर्दोष है तो ऐसे पुलिस वालो पर सरकार क्या करवाई कर रही है ?
(३) क्या मुकदमा वापस लेने से सुरक्षा बलों का मनोबल नहीं टूटेगा ?
(४) विस्फोटो में मारे गए नागरिको को न्याय कौन देगा ?
(५) नागरिको के पुनर्वास के लिए सपा सरकार ने क्या कदम उठाये है आज तक ?
रविवार, 12 मई 2013
खुस नसीब है मेरे वो दोस्त जिनके पास माँ है.
खुसनसीब है मेरे वो दोस्त जिनके पास माँ है
में तो उनकी यादो में ही जी रहा है
जिन हाथो के स्पर्श मात्र से ही रोम रोम पुलकित हो उठते थे
उन हाथो को ढूंढता फिर रहा हु कि तुम हो यही कही हो
जेठ कि तपती दुपहरी में आँचल में छुपा लेना तुम्हारा
कि कही से कोई किरण ना पड़ जाये मेरे चेहरे पर
कभी आँचल के कोरो से टपकते लार को पोछना
कभी ललाट पर पड़ आई सिकन को अपनी बाहों में समेट लेना
सब याद आता है आज लेकिन अब सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी यादे है
में तो उनकी यादो में ही जी रहा है
जिन हाथो के स्पर्श मात्र से ही रोम रोम पुलकित हो उठते थे
उन हाथो को ढूंढता फिर रहा हु कि तुम हो यही कही हो
जेठ कि तपती दुपहरी में आँचल में छुपा लेना तुम्हारा
कि कही से कोई किरण ना पड़ जाये मेरे चेहरे पर
कभी आँचल के कोरो से टपकते लार को पोछना
कभी ललाट पर पड़ आई सिकन को अपनी बाहों में समेट लेना
सब याद आता है आज लेकिन अब सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी यादे है
खुसनसीब है मेरे वो दोस्त जिनके पास माँ है
में तो बस तुम्हारी यादो में ही जी रहा हु
में तो बस तुम्हारी यादो में ही जी रहा हु
कभी सोचा ना था तुम यु हाथ छुड़ा कर चली जाओगी
अभी तो में अबोध था आखिर कौन सुलाएगा मुझे
हर अच्छे और बुरे से परिचित तुम्ही तो करवाती थी मुझे
कही से आता तो तुम्हे ढूंढता रहता तब तो एक आश थी कि
तुम हो यही कही हो
अब तो सिर्फ अनुभूतियो के सहारे
जिए जा रहा हु
खुस नसीब है मेरे वो दोस्त जिनके पास माँ है
में तो तुम्हारी याद में ही जिए जा रहा हु .
——————————- माँ तुम्हे सत सत नमन
अभी तो में अबोध था आखिर कौन सुलाएगा मुझे
हर अच्छे और बुरे से परिचित तुम्ही तो करवाती थी मुझे
कही से आता तो तुम्हे ढूंढता रहता तब तो एक आश थी कि
तुम हो यही कही हो
अब तो सिर्फ अनुभूतियो के सहारे
जिए जा रहा हु
खुस नसीब है मेरे वो दोस्त जिनके पास माँ है
में तो तुम्हारी याद में ही जिए जा रहा हु .
——————————- माँ तुम्हे सत सत नमन
रविवार, 21 अप्रैल 2013
करे कोई भरे कोई ?
दिल्ली में ५ वर्षीया गुडिया के साथ हुए दुराचार के बाद कई दिनों से
पूरा देश उबाल पर है देश के कई स्थानों पर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे है
इस घटना की जितनी निंदा की जाये कम है ऐसे कुकृत करने वालो को सख्त से सख्त
सजा मिलनी ही चाहिए और में भी फासी की मांग करता हु इसमें कोई दो राय नहीं
है पूरा देश आज गुडिया के साथ खड़ा है जैसे दामिनी के साथ खड़ा था लेकिन इन
सब के बीच एक खबर यह भी है की पूर्व की भाति इस बार भी गुडिया के दरिन्दे
बिहार के निकले एक आरोपी मनोज कुमार साह जहा बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का
रहने वाला है वही दूसरा आरोपी प्रदीप दरभंगा जिले का जैसा की दामिनी के
आरोपी राम सिंह भी बिहार का ही रहने वाला था लेकिन पुरे मामले को आज बिहार
की छबी के साथ जोड़ कर देखा जाना उचित प्रतीत नहीं होता. जागरण जैसे
प्रतिष्ठित अख़बार में घटना के बाद खबर छापी गई की जिसका टैग है “अब दिल्ली में जन्म लेना बन गया सजा ” और लिखा गया “आखिरकार एक और आरोपी वो भी बिहार का ही है। जियो बिहार के लल्ला।”
आखिर इस खबर के माध्यम से क्या सिद्ध करना चाहता है जागरण की जितने भी बिहारी है बलात्कारी है .भोपाल ,छत्तीसगढ़ ,राजेस्थान ,आसाम ,उत्तेर प्रदेश सहित पुरे देश में ऐसी घटनाये होती है ?तो क्या सब अपराधी बिहार के है एक मित्र लिखते है बिहारिओ को बहार निकलने पर पास देकर भेजा जाना चाहिए क्या ये हास्यास्पद नहीं है . बिहार कभी देश की सांस्कृतिक राजधानी हुआ करती थी गौतम बुद्ध,महावीर ,बाल्मीकि जैसे विद्वानों की धरती है चाणक्य की कर्म स्थली रही है बिहार क्या किसी एक के कु कृत के लिए पुरे बिहार को बदनाम करना जायज है .और तो और पूरी घटना के बाद सोशल मीडिया फेसबुक और ट्विटर पर जैसे बिहार को बदनाम करने की साजिश ही रच डाली गई है पुरे प्रकरण में मामला यही नहीं थमता गुडिया के गुनाह गार मनोज के परिवार वालो का पंचायत ने हुक्का पानी बंद कर दिया है और बड़े शान मीडिया के सामने इस बात को गाँव के मुखिया स्वीकार कर रहे है क्या लोकतान्त्रिक देश किसी गुनाहगार के परिवार वालो को सजा देने का अधिकार है हमारे एक मित्र कहते है अच्छा फैसला है आने वाले समय में इसका अच्छा परिणाम निकलेगा खुद को सभ्य समाज का मानने वाले लोग इस को जायज बताने में लगे है जबकि ये वही लोग है जब लडकियो के मोबाइल रखने पर पाबन्दी लगाई जाती है तो हंगामा खड़ा कर देते है और कहते है मानवाधिकार का हनन है तालिबानी फरमान है और ना जाने क्या क्या आखिर किसी एक के गुनाह के लिए उसके परिवार को सजा कैसे दी जा सकती है या पुरे बिहारी समाज को कैसे बदनाम किया जा सकता है ये तो वही कहावत हो गई की “करे कोई और भरे कोई ” आप जागरण जंक्शन के सुधि पाठक ही फैसला करे क्या मनोज और प्रदीप के गुनाह के लिए पुरे परिवार और बिहार को सजा दिया जाना न्याय सांगत है .
आखिर इस खबर के माध्यम से क्या सिद्ध करना चाहता है जागरण की जितने भी बिहारी है बलात्कारी है .भोपाल ,छत्तीसगढ़ ,राजेस्थान ,आसाम ,उत्तेर प्रदेश सहित पुरे देश में ऐसी घटनाये होती है ?तो क्या सब अपराधी बिहार के है एक मित्र लिखते है बिहारिओ को बहार निकलने पर पास देकर भेजा जाना चाहिए क्या ये हास्यास्पद नहीं है . बिहार कभी देश की सांस्कृतिक राजधानी हुआ करती थी गौतम बुद्ध,महावीर ,बाल्मीकि जैसे विद्वानों की धरती है चाणक्य की कर्म स्थली रही है बिहार क्या किसी एक के कु कृत के लिए पुरे बिहार को बदनाम करना जायज है .और तो और पूरी घटना के बाद सोशल मीडिया फेसबुक और ट्विटर पर जैसे बिहार को बदनाम करने की साजिश ही रच डाली गई है पुरे प्रकरण में मामला यही नहीं थमता गुडिया के गुनाह गार मनोज के परिवार वालो का पंचायत ने हुक्का पानी बंद कर दिया है और बड़े शान मीडिया के सामने इस बात को गाँव के मुखिया स्वीकार कर रहे है क्या लोकतान्त्रिक देश किसी गुनाहगार के परिवार वालो को सजा देने का अधिकार है हमारे एक मित्र कहते है अच्छा फैसला है आने वाले समय में इसका अच्छा परिणाम निकलेगा खुद को सभ्य समाज का मानने वाले लोग इस को जायज बताने में लगे है जबकि ये वही लोग है जब लडकियो के मोबाइल रखने पर पाबन्दी लगाई जाती है तो हंगामा खड़ा कर देते है और कहते है मानवाधिकार का हनन है तालिबानी फरमान है और ना जाने क्या क्या आखिर किसी एक के गुनाह के लिए उसके परिवार को सजा कैसे दी जा सकती है या पुरे बिहारी समाज को कैसे बदनाम किया जा सकता है ये तो वही कहावत हो गई की “करे कोई और भरे कोई ” आप जागरण जंक्शन के सुधि पाठक ही फैसला करे क्या मनोज और प्रदीप के गुनाह के लिए पुरे परिवार और बिहार को सजा दिया जाना न्याय सांगत है .
शनिवार, 13 अप्रैल 2013
ऐसा कोई सगा नहीं नितीश ने जिसे ठगा नहीं ?
जे डीयू के राष्ट्रीय सचिव शिव राज सिंह ने आज नितीश कुमार पर प्रहार करते हुई जिस प्रकार उन्हें अति महत्वाकांक्षी बताते हुए नरेन्द्र मोदी की तारीफ की और नितीश को बुरा भला कहते हुए बताया की ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नितीश ने ठगा नहीं . क्या इसके कुछ नतीजे भी निकलेंगे या फिर जैसे चल रहा है वैसे ही चलता रहेगा .क्योकि राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में मोदी पर आज भी एक राय नहीं बन पाई है आज बहुत दिनों बाद जे डी यू के किसी नेता ने दम ख़म दिखाते हुए नितीश पर निशाना साधा है जबकि अन्य नेता चाहे शरद यादव ही क्यों ना हो नितीश के आगे नत मस्तक ही दीखते है आप को याद होगा राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह को कैसे नितीश ने सत्ता प्राप्ति के बाद किनारे किया था जबकि ललन सिंह नितीश के सुख दुःख के साथी बताये जाते थे और राबड़ी देवी ने तो दोनों को साला बहनोई तक बता डाला था वही उपेन्द्र कुशवाहा भी कुछ कम हस्ती नहीं रखते थे और पुराने दिनों के साथी थे लेकिन नितीश की मह्त्वकंषा दिन प्रति दिन ऐसी बढती गई की विरोधियो को एक के बाद एक किनारे करते गए और तो और जार्ज फर्नांडिस जिन्होंने नितीश को राजनीती का ककहरा सिखाया उन्हें भी नहीं बख्सा और जीवन के अंतिम दिनों में नितीश जार्ज साहब को छोड़ दिया ये तो है नितीश बाबु ऐसे अनेको उद्धरण है इनके गिरगिट की तरह रंग बदलने के लेकिन बिहार में भाजपा की वैसाखी पर चलने वाले नितीश बाबु आज भाजपा को ही मुह चिढ़ा रहे है तो इसके पीछे जिम्मेवार भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व ही है जिसने इन्हें कुर्सी तक पहुचाया आज जे डी यू ६ -८ महीने समय भाजपा को देने की बात कर रहा है प्रधान मंत्री पद पर एक राय बनाये जाने पर यकीन मानिये बिहार के ब्रह्मण ,राजपूत कोइरी ,कुर्मी के जिस गठजोड़ पर ये कुर्सी पर बैठे है आज यदि भाजपा नाता तोड़ ले तो नितीश बाबु औंधे मुह गिरेंगे लेकिन उप मुख्या मंत्री सुशील मोदी जैसा पाठ केंद्रीय नेतृत्व को पढ़ाते है ऊपर वाले वही पढ़ रहे है जिसका खामियाजा भी भाजपा को ही उठाना पड़ेगा
जबकि २०१४ के बाद २०१५ में बिहार विधान सभा के चुनाव भी होने है .ऐसे में जब जे डी यू का एक धडा बगावत पर उतारू है भाजपा को चाहिए की नितीश कुमार से समर्थन वापस ले और बिहार में लोक सभा और विधान सभा चुनाव एक साथ करवाए तब नितीश बाबु को पता चले की उनकी औकात क्या है ?
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013
नरेन्द्र / नितीश ?
लोक सभा चुनाव के दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहे है वैसे वैसे राजनितिक तापमान भी बढ़ता जा रहा है एक और अप्रैल के महीने में ही जून की तपिस ने जीना दुसवार कर रखा है तो दूसरी और देश की राजनितिक तपिस ने . देश से आज महंगाई , भ्रस्ताचार ,आतंकवाद ,जैसे मुद्दे पूरी तरह गौण हो चुके है मुद्दा सिर्फ नरेन्द्र मोदी बचे है जिन्होंने गुजरात में हैट्रिक लगा कर विरोधियो को पटखनी देने के बाद अपनी महत्वाकांक्षा लगभग जाहिर कर दी है .और बड़े जोर शोर से यह चर्चा हो रही है की क्या भाजपा उन्हें प्रधान मंत्री का उम्मीदवार घोषित करेगी जिसपर भाजपा नेतृत्व अभी तक पूरी तरह मौन धारण किये हुए है और यही बाद विरोधियो को हजम नहीं हो रही है .एन डी ए में सामिल सहयोगियो में भी अभी तक एक मत नहीं हो पाया है जहा एक और अकाली दल ,शिव सेना ,जनता पार्टी नरेन्द्र के साथ खड़े है वही दूसरी और भाजपा के पुराने साथी नितीश कुमार कन्नी काटते नज़र आ रहे है और कंग्रेस के साथ गलबहिया कर रहे है .जनता दल यूनाइटेड के नेता शिवानन्द तिवारी तो गुजरात के विकाश मॉडल को पूरी तरह नकारते हुए बिहार के विकाश माडल की चर्चा पर अड़े हुए है यहाँ गुजरात माडल और बिहार माडल पर चर्चा जरुरी हो जाती है की आखिर बिहार के विकाश का माडल क्या है लालू यादव के जंगल राज की समाप्ति के बाद जब (२००५ )से नितीश कुमार ने बिहार की कुर्सी संभाली बिहार ने तरक्की की इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन बिहार आज भी जाति गत समीकरण से बाहर नहीं निकल पाया जिसका उधारण है दलित ,महादलित ,पिछड़ा ,अगड़ा के साथ साथ अल्प संख्यक यहाँ बता दे की बिहार में 18 प्रतिशत अल्प संख्यक आबादी रहती है और लगभग 35 प्रतिशत पिछड़ी जाति जिनमे (कुम्हार ,लोहार ,चमार ,दुसाद ,आदिवाशी ,) सामिल है जिन्हें नितीश कुमार ने इस प्रकार बाट दिया है की इन बेचारो को ना खुदा ही मिला ना मिसाले सनम ना इधर के रहे ना उधर के इनकी हालत आज भी जस की तस बनी हुई है वही बरह्मण ,राजपूत ,भूमिहार ,कुर्मी ,बनिया की हालत तो ख़राब है ही तो आखिर बिहार में विकास किसका हुआ आज बिहार में केंद्रीय योजना दम तोड़ रही है .ठेकेदारों को देने के लिए सरकार के पास रुपया नहीं है बिजली की हालत बद से बदतर है रोजगार के नए अवसरों का सृजन नहीं हो पा रहा है .विकाश योजनाये कागजो पर चल रही है मजदुर आज भी अन्य राज्यों में पलायन को मजबूर है टैक्स में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी से व्यापारी वर्ग त्राहिमाम कर रहा है पंचायतो में महिलाओ को पचास प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया महिला सशक्तिकरण के नाम पर लेकिन इनके पास कोई काम नहीं है आखिर क्या करेंगी ये .पंचायत में काम करने वाली सरकारी एजेंसी ही आज तक निर्धारित नहीं कर पाई है यह सरकार .किसानो को समय पर पानी नहीं मिलता है यह है बिहार का विकाश माडल जिससे आप को परिचित करवाना आवश्यक प्रतीत हुआ दूसरी और गुजरात के विकाश की बात करे तो नरेन्द्र मोदी समवेशी विकाश में लगे हुए है पुरे गुजरात का विकाश उनका मकसद है ना की किसी खास वर्ग या किसी खास जाति का .गुजरात में निवेश करने वालो का ताता लगा हुआ है जबकि बिहार में निवेश करने वाले कही नज़र नहीं आते क्योकि यहाँ संसाधन ही उपलब्ध नहीं है .गुजरात में हजारो करोड़ रूपये का निवेश हुआ लेकिन बिहार में सिर्फ हवा हवाई बाते हुए ऐसे में गुजरात माडल को तरजीह दिया जाये या बिहार माडल को फैसला हमारे ही हाथो में है की हम देश को कहा ले जाना चाहते है
शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013
लाल आतंक ?
देश में आए दिन होने वाली आतंकी घटनाओ के बाद सरकार से लेकर आम जन मानस तक हंगामा करते है और बड़े पैमाने पर शोर शराबा होता है अख़बार से लेकर खबरिया चेनल तक कई कई दिनों तक सिर्फ और सिर्फ इस मुद्दे पर बहस करती है .घटना यदि पाकिस्तान प्रायोजित हो तो हंगामा और बढ़ जाता है आज कल तो खबरिया चैनेल पाकिस्तान से भी गेस्ट बिठा लेते है ताकि टी आर पी मिलती रहे लेकिन बड़ा सवाल यहाँ यह है की हम पाकिस्तान प्रायोजित आतंक वाद पर जितना हंगामा करते है क्या उतना ही हंगामा नक्सली संगठनो द्वारा किये गए राष्ट्र विरोधी घटनाओ के बाद करते है सायद नहीं .आज हर दुसरे दिन नक्सली संगठनो द्वारा बड़े पैमाने पर नरसंघार किया जा रहा है भारत माँ के वीर सपूतो को घात लगा कर मार दिया जा रहा है इतिहास के पन्नो में जाये तो नक्सल आन्दोलन का जन्म पश्चिम बंगाल के नक्सल बाड़ी से आरम्भ हुआ लेकिन आज जहा से यह आन्दोलन पैदा हुआ था वहा पूरी तरह से शांति है आन्दोलन के जन्म दाता चारू मजुमदार ,कानू सन्याल अब इस दुनिया में नहीं है अपने म्रत्यु के अंतिम दिनों में चारू मजुमदार ने आज के नक्सल आन्दोलन की प्रासंगिकता पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा था की आज के नक्सली अपनी राह भटक चुके है ये कोई आन्दोलन नहीं यह डकैती कर रहे है जब एक संस्थापक के यह विचार हो तो उनके दर्द को समझा जा सकता है।
लेकिन नक्सल बाड़ी से आरम्भ हुआ यह आन्दोलन धीरे धीरे देश के कई राज्यों में अपने पाव पसार चूका है हमारी सत्ता प्रतिष्ठान की कमजोरी कहे या फिर इससे कुछ और इनके द्वारा अंजाम दी गई घटनाओ में प्रति वर्ष हजारो सैनिको की जाने जा रही है .केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा बार बार बयान दिए जाते है उसका नतीजा आज भी सिफर है .नक्सल बाड़ी से अब यह लाल आतंक बिहार ,बंगाल ,उड़ीसा ,छतीस गढ़ .सहित अन्य कई राज्यों तक पहुच गया है .आज नाक्सालियो के पास उच्य कोटि के हथियार मौजूद है आखिर ये हथियार उन्हें कहा से मिलते है खुफिया शुत्रो की माने तो आई एस आई का सहयोग इन्हें प्राप्त है इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे संगठन इनका लाभ उठा रहे है हिंदुस्तान में दहसत फ़ैलाने के लिए . ये नक्सली भी भारतीय है लेकिन जब ये भारत विरोधी कार्यो में संलिप्त हो तो इन्हें हम अपना समझने की भूल नहीं कर सकते हो सकता है की इनके साथ पूर्व में अन्याय हुआ है लेकिन तीन दसक बीत जाने के बाद भी यदि ये संतुष्ट नहीं हो पाए तो यह कहा जा सकता है की इनकी मनसा गलत है किसी भी राष्ट्र की अखंडता को खंडित करने की कोसिस करने वालो की आवज को हमेसा के लिए बंद कर देने का अब समय आ गया है की देश की जनता जागरूक हो कर इनका मुखर विरोध करे साथ ही सत्ता धारी पार्टिया भी वोट बैंक की राजनीती छोड़ कर ठोस उपाय निकाले जिससे की देश की एकता और अखंडता बनी रहे और हमारे वीर सिपाही अपने ही घरो में अपने ही भाइयो के हाथो काल कवलित होने से बचे .लाल आतंक का समूल नाश ही एक मात्र उपाय है क्योकि छुप कर वार करने वाले कभी शांति की भाषा नहीं समझेंगे इनके साथ होने वाली शांतिवार्ता केवल और केवल समय की बर्बादी है और इस बात को हमारे नेता भूल जाते है और उनकी गलतियों के कारन हमारे वीर सिपाही असमय मौत के मुह में जाने को विवश है .
केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलियो द्वारा प्रतिवर्ष नक्सली हमलो में मारे गए जवानो और आम आदमी की संख्या देखे --
लेकिन नक्सल बाड़ी से आरम्भ हुआ यह आन्दोलन धीरे धीरे देश के कई राज्यों में अपने पाव पसार चूका है हमारी सत्ता प्रतिष्ठान की कमजोरी कहे या फिर इससे कुछ और इनके द्वारा अंजाम दी गई घटनाओ में प्रति वर्ष हजारो सैनिको की जाने जा रही है .केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा बार बार बयान दिए जाते है उसका नतीजा आज भी सिफर है .नक्सल बाड़ी से अब यह लाल आतंक बिहार ,बंगाल ,उड़ीसा ,छतीस गढ़ .सहित अन्य कई राज्यों तक पहुच गया है .आज नाक्सालियो के पास उच्य कोटि के हथियार मौजूद है आखिर ये हथियार उन्हें कहा से मिलते है खुफिया शुत्रो की माने तो आई एस आई का सहयोग इन्हें प्राप्त है इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे संगठन इनका लाभ उठा रहे है हिंदुस्तान में दहसत फ़ैलाने के लिए . ये नक्सली भी भारतीय है लेकिन जब ये भारत विरोधी कार्यो में संलिप्त हो तो इन्हें हम अपना समझने की भूल नहीं कर सकते हो सकता है की इनके साथ पूर्व में अन्याय हुआ है लेकिन तीन दसक बीत जाने के बाद भी यदि ये संतुष्ट नहीं हो पाए तो यह कहा जा सकता है की इनकी मनसा गलत है किसी भी राष्ट्र की अखंडता को खंडित करने की कोसिस करने वालो की आवज को हमेसा के लिए बंद कर देने का अब समय आ गया है की देश की जनता जागरूक हो कर इनका मुखर विरोध करे साथ ही सत्ता धारी पार्टिया भी वोट बैंक की राजनीती छोड़ कर ठोस उपाय निकाले जिससे की देश की एकता और अखंडता बनी रहे और हमारे वीर सिपाही अपने ही घरो में अपने ही भाइयो के हाथो काल कवलित होने से बचे .लाल आतंक का समूल नाश ही एक मात्र उपाय है क्योकि छुप कर वार करने वाले कभी शांति की भाषा नहीं समझेंगे इनके साथ होने वाली शांतिवार्ता केवल और केवल समय की बर्बादी है और इस बात को हमारे नेता भूल जाते है और उनकी गलतियों के कारन हमारे वीर सिपाही असमय मौत के मुह में जाने को विवश है .
केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलियो द्वारा प्रतिवर्ष नक्सली हमलो में मारे गए जवानो और आम आदमी की संख्या देखे --
1996: 156 deaths 1997: 428 deaths 1998: 270 deaths 1999: 363 deaths 2000: 50 deaths 2001: 100+ deaths 2002: 140 deaths 2003: 451 deaths 2004: 500+ deaths 2005: 700+ deaths 2006: 750 deaths 2007: 650 deaths 2008: 794 deaths 2009: 1,134 deaths
२ 0 1 0 : 1005
2011 : 606 2012 : 137
क्या अब भी नहीं लगता की इनपर कठोर करवाई की जरुरत है .
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सोमवार, 18 मार्च 2013
21-16=5
16 साल में सेक्स १८ में लड़की की सादी जबकि लड़के की शादी की उम्र २१ साल २१- १६=५ इयर मजे के और कही इस दौरान बच्चे पैदा हो गए तो वो कहा जायेंगे क्या सरकार इसके लिए कोई राजीव गाँधी अनाथ आलय खोलेगी .बलात्कार के खिलाफ कोई कठोर कानून नहीं बना पाई सरकार तो नई बहस छेड़ दी गई / सहमती से सेक्स के बाद लड़के के ऊपर कोई क़ानूनी बाध्यता नहीं होगी क्योकि यह योन शोषण नहीं होगा अब लड़की या तो गर्भ पात करवाए (कानूनन वैध नहीं )या फिर बच्चे को जन्म देने के बाद किसी मंदिर मस्जिद इ सामने चुपके से छोड़ कर चली आये इसके सिवा लड़की के पास कोई चारा नहीं होगा और इसे कुछ लोग सरकार की सुधारवादी निति मान रहे है जो की कितना हाश्यास्पद प्रतीत होता है सरकार ने जनता से जुडी अन्य समस्याओ से लोगो का ध्यान सेक्स पर आकर्षित कर दिया सोचा देश के लोग बड़ा संस्कृति की दुहाई देते है चलो अब भारतीय संस्कृति पर ही हमला करते है जब से यह चर्चा उठी है चाहे सोशल मीडिया हो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर प्रिंट मीडिया यहाँ तक की गली के पान दुकान में भी अब लोग देश से जुड़े अन्य मुद्दों को भूल कर सिर्फ इसी बात पर चर्चा में मशगुल है की देखो घुरना मत ,सिटी मत बजाना ,पीछा मत करना आखिर सरकार को क्या हो गया है पाकिस्तान द्वारा ५ सैनिको की हत्या नक्सालियो द्वारा सी आर पि अफ कैंप में हमला ,काला धन ,आतंकवाद ,भ्रस्टाचार ,महंगाई जैसे मुद्देअचानक से ही गौण हो गए है जो की सरकार चाहती थी इन विषयो पर चर्चा होते होते एक दो महीने का समय बीत जायेगा जनकल्याण की नीतिया ठंढे बसते में डाल दी जाएँगी और चुनावो का वक्त आ जायेगा और यही सरकार चाहती है की जनता को गुमराह कर अपना एजेंडा लागु कर दिया जाये देश की एकता ,अखंडता ,संस्कृति पर किसी को सोचने का मौका ही ना दिया जाये .
रविवार, 3 मार्च 2013
बांग्लादेशी हिन्दुओ को बचाओ ?
बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिन्दुओ के साथ अत्याचार किया जा रहा है गौरतलब हो की जमाते इश्लामी नेता को फासी दिए जाने के बाद यहाँ तनाव उत्पन हुआ है जमाते इस्लामी के नेता को १९७१ के युद्ध में पाकिस्तान का साथ देने के आरोप में बांग्लादेश सरकार द्वारा फाशी की सजा दी गई और उसके बाद से ही जमात के सद्श्यो द्वारा अल्पसंख्यक हिन्दुओ के ऊपर अत्याचार हो रहा है .हिंसा में अब तक सैकड़ो जाने जा चुकी है वही सूत्रों की माने तो इस हिंसा का पूरा लाभ आई एस आई उठा रही है और भारत विरोधी ताकतों को भारतीय सीमा में प्रवेश की योजना तैयार की जा रही है बांग्लादेश में हिन्दुओ के घर जलाये जा रहे है मंदिरों को तोडा जा रहा है महिलाओ के साथ दुराचार किये जा रहे है और भारत सरकार की और से अभी तक कोई बयान तक नहीं आया है भारत बांग्लादेश सीमा पर तनाव की स्तिथि बनी हुई है हिंसा का शिकार बने हिंदुओं के मुताबिक इन घटनाओं ने उन्हें 1971 के दौर की याद दिला दी है। जमात-ए-इस्लामी सदस्यों के उत्पात का निशाना बने राजगंज इलाके के शिक्षक शंकर चंद्र ने डेली स्टार को फोन करके बताया कि उनके समेत करीब 50 हिंदू परिवारों को अपना घर-बार छोड़कर अन्य जगह शरण लेनी पड़ी है, क्योंकि जमात के लोग हिंदुओं के घर जलाने के साथ-साथ उनकी पिटाई भी कर रहे हैं। शंकर चंद्र ने कहा कि 1971 में वह सात साल के थे, लेकिन तब उतना भयभीत नहीं थे जितने आज हैं। -- हजारो इ संख्या में हिन्दू अपना घर बार छोड़ कर पालयन कर रहे है .भारत सरकार को जल्द से जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि अल्प संख्यक बांग्लादेशी हिन्दुओ के जान माल की रक्षा हो सके
गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013
ममता में नहीं है मानवता ?
बंगाल की शेरनी ,गरीबो की मसीहा ,मार्क्स और लेलिन को मसीहा समझने वाले वामपंथियो को धुल चटाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्या मंत्री ममता बनेर्जी आज सत्ता के नशे में चूर है जब से बंगाल में ममता सत्ता पर काबिज हुई है तब से ही उन्होंने यह साबित कर दिया की सूती की साड़ी और हवाई चप्पल तो मात्र एक दिखावा था सत्ता तक पहुचने का कभी कार्टून बनाने वाले शिक्षक को जेल की सलाखों में डलवा दिया तो कभी खुद ही थाने में पहुच कर हंगामा करने वाले तृणमूल कार्यकर्ताओ को छुडवा लिया कानून को ठेंगा दिखाते हुए विरोधियो को कैसे कैसे हतकंडे अपना कर ममता ने कुछ ही दिनों में अपनी हिटलर शाही से पुरे बंगाल को बर्बाद कर के रख दिया खैर ये तो विरोधियो के प्रति अपनाया हुआ रुख था लेकिन अपनी राज्य की जनता जिसने अपने बहुमूल्य मत देकर इन्हें सत्ता तक पहुचाया जब उन्हें ही इनकी घटिया तुष्टिकरण की निति की वजह से दुःख झेलना पड़े यहाँ तक की पूजा भी ना करने दिया जाये तो क्या कहेंगे ताजा मामला पश्चिम बंगाल के २४ परगना जिले के नालिखाली गाँव का है जहा २०० हिन्दू परिवार के घरो को मुश्लिम दंगइयो ने पुलिस के सामने जला दिया गया .महिलाओ और लडकियो के साथ खुलेआम बतमीजी की गई.हिन्दू देवी देवताओ के मंदिरों को तोड़ दिया गया लेकिन पुलिस मूकदर्शक बन देखती रही .हमलावर ट्रको में भर कर गाँव में हथियारों से लैश होकर पहुचे जिसकी जानकारी खुफिया तंत्र को पहले से थी लेकिन सरकार द्वारा इन हिन्दुओ को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया गया लोग मरते रहे दुकाने जलती रही लडकियो की इज्जत लुटती रही लेकिन पुलिस तमासबिन बन देखती रही ना तो पुलिस ने कोई मानवता दिखाई और ना ही ममता ने और तो और किसी भी राष्ट्रीय समाचार चैनेल ने खबर तक प्रसारित नहीं किया सिर्फ सुदर्शन न्यूज़ को छोड़ कर .गौरतलब हो की पश्चिम बंगाल के आधा दर्जन से अधिक जिले पूरी तरह मुश्लिम बहुल (बांग्लादेसी घुसपैठियो )हो गए है (जैसे ,मालदा ,उत्तेर दिनाज पुर ,कालिया चक ,रायगंज ,बर्दमान ,बालुरघाट ,२४ परगना ) जहा 70-८० प्रतिशत मुश्लिम आबादी है इन जिलो में बड़े पैमाने पर हिन्दू लडकियो का दिन दहाड़े मुश्लिम युवको द्वारा बलात्कार किया जाता ,पूजा करने ,मंदिरों में जाने से रोक लगे जाती है ,जबरन हिन्दुओ के घरो पर कब्ज़ा किया जा रहा है,खुले आम गौ माता काटी जा रही है लेकिन मुख्य मंत्री ममता बनर्जी सिर्फ अपने विरोधियो को सबक सिखाने में लगी हुई है ताकि सत्ता सुख का मजा मिलता रहे .मुश्लिम वोट बैंक की राजनीती के तहत बड़े पैमाने पर मदरसा खोल कर बांग्लादेश बनाने की साजिश रची जा रही है .राष्ट्रीय उच्य पथ के दोनों किनारे हजारो की संख्या में मदरसों का निर्माण हो रहा है जहा बड़े पैमाने पर राष्ट्र विरोधी गतिविधिओ को अंजाम दिया जाता है जिसे खुफिया तंत्र भी स्वीकार करती है लेकिन इन सब को दर किनार कर ममता सत्ता के नसे में चूर है हिन्दू मरे तो मरे उन्हें इन बातो से कोई लेना देना नहीं है .
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